विशाखा नक्षत्र

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विशाखा नक्षत्र का अंतिम चरण मंगल की वृश्चिक राशि में आता है। इसे तो नाम अक्षर से पहचाना जाता है। जहाँ नक्षत्र स्वामी गुरु है तो राशि स्वामी मंगल गुरु मंगल का युतियाँ दृष्टि संबंध उस जातक के लिए उत्तम फलदायी होती हैं। ऐसे जातक उच्च पदों पर पहुँचने वाले धर्म-कर्म का मानने वाले महत्वाकांक्षी, गुणी, न्यायप्रिय लेकिन कट्टर भी होते हैं। गुरु ज्ञान पृथक्करण की क्षमता, प्रशासनिक क्षमता न्यायप्रियता प्रदान करेगा, वही मंगल साहस देगा।

* वृश्चिक लग्न व राशि जल तत्व प्रधान है। इस राशि का स्वामी मंगल सौम्य कहलाता है। इस राशि में जन्मे व विशेष विशाखा नक्षत्र के अंतिम चरण वाला जातक स्पष्ट वक्ता, होकर, न्यायप्रिय बातों पर अडिग रहने वाला बड़ों का आदर करने वाला भी होता है।

* मेष लग्न हो गुरु लग्न में हो व मंगल नवम भाग्य भाव में हो तो ऐसे जातकों उत्तम गुणी, महत्वाकांक्षी, धर्म-कर्म को मानने वाले, उच्च पद पर पहुँचने वाला होगा। गुरु नवम भाव में पंचम में मंगल हो तो ऐसा जातक उत्तम सफलता पाने वाला होगा।
  विशाखा नक्षत्र आकाश मंडल में 16वाँ नक्षत्र है। इसके तीनों चरण तुला राशि में आते हैं। विशाखा नक्षत्र का स्वामी गुरु है। वहीं राशि स्वामी शुक्र है। नक्षत्र स्वामी की दशा 16 वर्ष की होती है।      


* वृषभ लग्न में नक्षत्र स्वामी की पत्नी उत्तम गुणी, भाग्यशाली होगी। आयु भी उत्तम रहेगी। वहीं आय भी ठीक रहेगी। गुरु इस लग्न में सप्तम भाव में स्वराशिस्थ मंगल के साथ हो तो ऐसे जातक की वधू या वर उत्तम प्रशासनिक सेवा में या वकील होते हैं।

* मिथुन लग्न में गुरु सप्तम, दशम, एकादश में व राशि स्वामी मंगल तृतीय भाव में हो तो उत्तम लाभदायक होगा।

* कर्क लग्न में गुरु नवम, लग्न पंचम में हो व मंगल पंचम, दशम, नवम द्वितीय भाव हो तो उत्तम सफलतादायक होगा।

* सिंह लग्न में नक्षत्र स्वामी गुरु लग्न, पंचम, नवम, चतुर्थ भाव में हो मंगल नवम लग्न पंचम चतुर्थ में अनुकूल सफलता दायक रहेगा। ऐसा जातक धनवान भूमिवान होंगे। मान-सम्मान पाने वाले धर्मनिष्ठ भी होंगे।

* कन्या लग्न में गुरु सप्तम, चतुर्थ, तृतीय भाव में होना चाहिए वहीं राशि स्वामी मंगल, वृश्चिक, धनु, मीन राशि का हो तो उत्तम सफलता दायक विद्वान बल द्वारा सफलता पाने वाला होगा। पत्नी या पति गुणी मिलेगा।

* तुला लग्न में गुरु सप्तम, दशम, तृतीय षष्ठ भाव में हो व राशि स्वामी मंगल सप्तम षष्ठ एकादश भाव में शुभ परिणाम देगा। वृश्चिक लग्न में गुरु लग्न पंचम, नवम, दशम, षष्ठ, द्वितीय भाव में शुभ फलदायी रहेगा। राशि स्वामी मंगल लग्न पंचम, दशम, द्वितीय भाव में शुभ फलदायी होगा।

* धनु लग्न में नक्षत्र स्वामी गुरु, लग्न पंचम नवम, चतुर्थ में हो राशि स्वामी मंगल लग्न, चतुर्थ, पंचम, नवम में युति या दृष्टि संबंध में हो तो अति शुभ परिणाम देने वाला होगा। राशि स्वामी लग्न चतुर्थ, द्वादश में हो व गुरु से दृष्ट हो तो मंगल दोष नहीं लगेगा।

* मकर लग्न में गुरु दितीय, चतुर्थ, सप्तम में शुभ रहेगा वहीं राशि स्वामी मंगल लग्न एकादश में शुभफलदायी रहेगा।

* कुंभ लग्न में नक्षत्र स्वामी गुरु एकादश, तृतीय, दशम, षष्ठ भाव में शुभ फलदायी रहेगा। मीन लग्न में गुरु लग्न नवम, पंचम, दशम में शुभ फलदायी रहेगा। राशि स्वामी मंगल लग्न दशम, नवम भाव में शुभ परिणाम देने वाला होगा।

विशाखा के तीन चरण, तुला राशि में जन्मा जातक खुशहा
विशाखा नक्षत्र आकाश मंडल में 16वाँ नक्षत्र है। इसके तीनों चरण तुला राशि में आते हैं। विशाखा नक्षत्र का स्वामी गुरु है। वहीं राशि स्वामी शुक्र है। नक्षत्र स्वामी की दशा 16 वर्ष की होती है, जबकि तुला राशि में चंद्रमा के अंशों कलाओं पर शेष योग्य दशा होती है। गुरु की दशा बीतने के बाद सबसे अधिक शुक्र से 1 वर्ष तक शनि की महादशा लगती है।

* तुला राशि व लग्न वालों के लिए शनि सुखेश व पंचमेश होता है। इस नक्षत्र में जन्मा जातक विवेकशील, गुणी, नीति कुशल, ईमानदार, विद्वान होता है। गुरु ज्ञान, विद्वता, पृथक्करण का कारक व महत्वाकांक्षी, उच्च पद प्राप्त करने वाला ग्रह हैं। वही राशि स्वामी शुक्र कला सौंदर्य, सेक्सी स्वभाव, धन आदि का कारक है। इस नक्षत्र में जन्मे जातकों पर गुरु शुक्र का जीवन भर प्रभाव रहता है। इनकी जन्म कुंडली में स्थितिनुसार इनका व्यक्तित्व होता है।

गुरु शुक्र साथ हो तो ऐसा जातक सुंदर, आकर्षक व्यक्तित्व का धनी, हरफन मौला होता है। मनोविनोदी स्वभाव का भी होता है। गुरु मेष लग्न में नवम भाव में हो व शुक्र तुला का हो तो ऐसे जातकों के जीवनसाथी का भाग्य उत्तम होता है। वहीं उनका दांपत्य जीवन सुखद रहता है। गुरु नक्षत्र स्वामी उच्च का चतुर्थ भाव में हो व शुक्र भी उच्च का हो तो ऐसी स्थिति वाला जातक ऐश्वर्य शाली, जनता के बीच प्रसिद्ध, वाहनादि से संपन्न मकान, भूमि-माता से लाभ मिलता है।

इसी लग्न में गुरु पंचम में हो या लग्न में हो व शुक्र द्वितीय धन भाव में हो तो उत्तम सुख पाने वाला होता है। वृषभ लग्न में गुरु एकादश भाव में हो या चतुर्थ भाव में हो तो या सप्तम भाव में हो वहीं शुक्र एकादश में लग्न में नवम भाव में हो तो ऐसे जातकों को उत्तम सफलता के साथ लाभ पाता है। भाग्य उत्तम होता है व ऐसे जातक स्वप्रयत्नों से लाभ पाने वाले होते हैं।

* मिथुन लग्न में शुक्र पंचम भाव में हो तो राशि स्वामी शुक्र चतुर्थ, एकादश, नवम भाव में हो तो ऐसे जातक भाग्यशाली धनी, खुशहाल जीवन जीने वाले वाहन आदि के मालिक होते हैं।

* सिंह लग्न में शुक्र दशम में हो गुरु, लग्न चतुर्थ, पंचम, नवम भाव में हो तो सुख समृद्धि वाहनादि सुख मिलता है।

* कन्या लग्न में शुक्र नवम द्वितीय भाव में व गुरु चतुर्थ भाव में सप्तम भावमें तृतीय भाव में उत्तम सफलता देगा।

* वृश्चिक लग्न में नक्षत्र गुरु लग्न में पंचम, नवम, शुक्र सप्तम, पंचम में शुभ फलदायक रहेगा।

* धनु लग्न में नक्षत्र स्वामी गुरु, लग्न, चतुर्थ, पंचम, नवम भाव द्वादश में शुभ रहेगा, वहीं शुक्र एकादश में ठीक रहेगा।

* मकर लग्न में नक्षत्र स्वामी गुरु एकादश सप्तम में चतुर्थ में ठीक फल देगा वहीं शुक्र राशि स्वामी चतुर्थ पंचम में हो तो उत्तम रहेगा।

* कुंभ लग्न में नक्षत्र स्वामी द्वितीय भाव में, दशम भाव में शुभ फल देगा। राशि स्वामी नवम चतुर्थ भाव में शुभफल देगा।

* मीन लग्न में नक्षत्र स्वामी लग्न, दशम, पंचम, नवम भाव में शुभ फलदायी रहेगा, वहीं राशि स्वामी शुक्र, लग्न एकादश में शुभ परिणाम देने वाला होगा। नक्षत्र स्वामी गुरु, नीच अस्त, राहु के साथ हो तो ऐसे जातकों को पुखराज पहनना चाहिए।

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