12 ज्योतिर्लिंगों में से एक मध्यप्रदेश में इंदौर से करीब 78 किलोमीटर दूर स्थित ओमकारेश्वर ज्योर्तिलिंग को चतुर्थ ज्योतिर्लिंग माना गया है। यह नर्मदा नदी के तट पर ओम के आकार के पर्वत पर स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग की महिमा का वर्णन पुराणों में मिलता है। प्राचीन समय में यह कई ऋषियों की तपोभूमि रही है। आओ जानते हैं इस जगह के 5 ऐसे रहस्य जिन्हें आप शायद ही जानते होंगे।
1. नंदी भगवान की मूर्ति शिवलिंग की ओर नहीं है: अक्सर हमने देखा है कि शिवलिंग के सामने ही द्वार के बाहर नंदी की प्रतीमा स्थापित की जाती है, लेकिन ओंकारेश्वर के मुख्य शिवलिंग यानि ज्योतिर्लिंग के सामने नंदी न होकर दूसरी ओर नंदी भगवान की प्रतीमा स्थापित है। इसके चलते यह माना जा रहा है कि जिस ओर नंदी भगवान देख रहे हैं उसी ओर असली शिवलिंग होगा। लेकिन पुरातत्व विभाग की जांच के अनुसार उस ओर शिवलिंग होने की भ्रांति है जो सही नहीं है। आक्रांताओं से शिवलिंग को बचाने के लिए कालांतर में नंदी भगवान की स्थापना की लोकेशन बदली गई होगी।
2. पांच मंजिला है मंदिर: यह मंदिर परमार काल में पांच मंजिला बनाया गया था। इसके सबसे नीचे ओंकारेश्वर, ऊपर महाकालेश्वर, उसके उपर सिद्धेश्वर, उसके ऊपर गुप्तेश्वर और सबसे उपर ध्वजेश्वर है। वहां तक पहुंचना बहुत ही कठिन है। इसलिए अधिकतर भक्त ओंकारेश्वर और महाकालेश्वर के दर्शन करने ही चले जाते हैं।
3. आरती में शामिल होते हैं महादेव: इस मंदिर क्षेत्र में तीन पुरियां हैं- शिवपुरी, विष्णुपुरी और ब्रह्मपुरी। यहां पर शिवजी की तीन प्रहर की आरती की जाती है। कहते हैं कि सुबह, शाम और रात्रि को शयानारती के समय स्वयं शिवजी उपस्थित रहते हैं।
4. शिव पार्वती जी खेलते हैं चौपड़: शयनकाल की आरती के बाद शयन आसन में शिव-पार्वती जी के लिए यहां पर चौपड़ सजयी जाती है। मान्यता है कि भोलेनाथ और मां पार्वती दोनों चौपड़ खेलने आते हैं। यहां के पुजारी पंडित रमेश चंद्र के अनुसार चौपड़ पासे जामाकर मंदिर के द्वार परजूना की जाती है और इसके बाद द्वार पर ताले लगा दिए जाते हैं। इस दौरान रात्रिकाल में किसी को भी मंदिर में जाने की अनुमति नहीं रहती है। अगले दिन ब्रह्म मुहु्र्त में मंदिर के जब पट खोले जाते हैं तो चौपड़ पर रखी गोटे और पासे इस प्रकार से बिखरे मिलते हैं कि जैसे उनसे खेला गया हो। कहते हैं कि तीनों लोक का भ्रमण करने के बाद शिवजी यहां पर चौसर खेलने के बाद रात्रि विश्राम करते हैं।
5. औरंगजेब ने देखा था अपना भविष्य: ओंकारेश्वर क्षेत्र में ओर पर्वत के मध्य में सोमनाथ शिवलिंग स्थापित हैं। यहां काले रंग के दो शिवलिंग स्थापित है। इन शिवलिंग को मामा भांजे का शिवलिंग कहते हैं। इसके बारे में मान्यता है कि यहां पर मामा जो बड़े हैं उनके सामने खड़े होकर व्यक्ति अपने भूत, वर्तमान और भविष्य को जान लेता है। यह भी कि कोई मरने के बाद अगला जन्म किस रूप में लेगा। भविष्य को जानने के लिए आंखें बंद करके शिवलिंग को अपनी दोनों बाहों में लेना होता है। जब यह बात औरंगजेब को पता चली तो उसे भी अपना भविष्य और अगला जन्म जानने के प्रति जिज्ञासा उत्पन्न हुई। यहां आकर जब उसने शिवलिंग को जब आंख बंद करके बाहों में लिया तो उसे सुअर नजर आया। यानि उसे संकेत मिलता कि वह अगले जन्म में सुअर बनेगा। यह जानकर उससे बहुत क्रोध आया और उसने शिवलिंग को तोड़ने का आदेश किया लेकिन कोई भी उसे शिवलिंग को तोड़ नहीं पाया तो उसे मंदिर क्षेत्र को जला दिया गया। तभी से यहां का शिवलिंग एकदम काला नजर आता है।