श्रेष्ठ मुहूर्त के लिए तिथि, लग्न और नक्षत्र पर भी ध्यान दें

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मुहूर्त विचार में तिथि के साथ लग्न और नक्षत्र विचार भी आवश्यक होता है। 
 
अगर आपको शुभ कार्य करना है तो शुभ और कोमल नक्षत्र में कार्य शुरू करना चाहिए। इसी प्रकार क्रूर कार्य के लिए कठोर और क्रूर नक्षत्रों का विचार किया जाना चाहिए। 
 
सफल मुहूर्त के लिए लग्न का शुद्ध होना भी आवश्यक माना गया है। अतः मुहूर्त का विचार करते समय लग्न की शुद्धि का भी ध्यान रखना चाहिए अगर नवमांश भी शुद्ध हो तो इसे सोने पे सुहागा कहा जाना चाहिए। 
 
ध्यान देने वाली बात है कि मुहूर्त की सफलता के लिए यह देखना चाहिए कि अष्टम भाव में कोई ग्रह नहीं हो और लग्न स्थान में शुभ ग्रह विराजमान हो। 
 
अगर ऐसी स्थिति नहीं बन रही है तो देखना चाहिए कि त्रिकोण एवं केन्द्र में शुभ ग्रह हों तथा तीसरे, छठे, ग्यारहवें भाव में पाप ग्रह हों। 
 
उत्तम मुहूर्त का विचार करते समय यह भी देखना चाहिए कि लग्न, चन्द्रमा और कार्य भाव पाप कर्तरी में नहीं हों अर्थात्‌ लग्न चन्द्र से दूसरे तथा बारहवें भाव में पाप ग्रह नहीं हों।
 

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