वृषभ लग्न : वृषभ राशि पर साढे़साती- 2

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जब मेष राशि पर शनि आएगा तब वृषभ लग्न वालों को शनि की साढे़साती का प्रथम ढैया शुरू होगा। इस समय शनि की स्थिति नीच की होने से बाहरी मामलों में ठीक नहीं रहेगी। आर्थिक नुकसान, यात्रा में कष्ट, बाहरी व्यक्तियों से अनबन रहना जैसे कार्य होते हैं।

राज्य, व्यापार में घाटा होता हैं। आँखों में तकलीफ रहती है, वैसे शत्रु पक्ष पर प्रभाव बना रहता हैं। यदि शनि भी नीच का होकर द्वादश भाव में हो तो कष्ट अधिक मिलते हैं। ऐसी स्थिति में सरसों के तेल का छाया दान करना कष्टों में कमी करता हैं।

शनि की दूसरी साढे़साती वृषभ पर शनि के आने से शुरू होती हैं, इस राशि में शनि भाग्येश-कर्मेश होकर लग्न में होने से आपके कार्य में सफलता, व्यापार-व्यवसाय में उन्नति, नौकरी में सफलता के प्रयासों में वृद्धि हो जाती हैं। वैवाहिक मामलों में बाधा का भी कारण बनता है, स्त्री को कष्ट रहता है।

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दैनिक कार्य में बाधा भी रहती है। लेकिन प्रयास अधिक करने पर सफलता भी मिलती है। धन-कुटुंब से भी सहयोग मिलता है। पराक्रम में वृद्धि होकर भाइयों, पिता से भी सहयोग मिलने से राहत रहती है। शनि की तृतीय साढे़साती शनि के मिथुन राशि पर आने से लगेगी जो उतरती होगी।

शनि इस समय मित्र राशि से भ्रमण करेगा अतः धन-कुटुंब से अपनी वाणी के प्रभाव से कार्य में सफलता मिलेगी, मातृ पक्ष में थोड़ी सावधानी रखकर चलना होगा। मकान संबंधित मामलों में सावधानी रखें। पारिवारिक मामलों में सहयोग की भावना रखें, वाहनादि चलाते समय सावधानी रखना होगी। स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना होगा। आर्थिक मामलों में मिली-जुली स्थिति रहेगी।

शनि जन्म लग्न में स्वराशि मकर, कुंभ या कन्या, वृषभ-तुला में हो तो साढे़साती का प्रभाव कम ही देखने मिलता है।

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