सूर्य प्रत्यक्ष देवता हैं आइए जानें उन्हें अपनी चमकती सफलता के लिए कैसे शुभ बनाया जाए...
एकाक्षरी बीज मंत्र- 'ॐ घृणि: सूर्याय नम:'।
तांत्रिक मंत्र- 'ॐ हृां हृीं हृौं स: सूर्याय नम:'।
जप संख्या- 7,000 (सात हजार)।
(कलियुग में 4 गुना जाप एवं दशांश हवन का विधान है।)
दान सामग्री- लाल वस्त्र, गुड़, माणिक्य, गेहूं, लाल पुष्प, केसर, स्वर्ण आदि।
(उक्त सामग्री को लाल वस्त्र में बांधकर उसकी पोटली बनाएं तत्पश्चात उसे मंदिर में अर्पण करें अथवा बहते जल में प्रवाहित करें।)
दान का समय- सूर्योदय।
हवन हेतु समिधा- आक।
औषधि स्नान- इलायची, केसर, रक्त चंदन, मुलेठी, लाल पुष्प मिश्रित जल से।
अशुभ प्रभाव कम करने हेतु अन्य उपयोगी उपाय
*250 ग्राम गुड़ रविवार को जल में प्रवाहित करें।
* नित्य सूर्य को कुमकुम मिश्रित जल से अर्घ्य दें।
* 11 रविवार 1 नारियल और 8 बादाम मंदिर में चढ़ाएं।
* रविवार को बिना नमक वाला भोजन सूर्यास्त से पूर्व करें।
* लाल वस्त्रों का प्रयोग न करें।
* सवत्सा लाल गाय दान करें।
* सूर्य मंत्र को ताम्रपत्र या भोजपत्र पर उत्कीर्ण करवाकर नित्य पूजा करें।
-ज्योतिर्विद् पं हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com
नोट : इस लेख में व्यक्त विचार/विश्लेषण लेखक के निजी हैं। इसमें शामिल तथ्य तथा विचार/विश्लेषण वेबदुनिया के नहीं हैं और वेबदुनिया इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।