चतुर्थ सूर्य अशुभ हो तो माणिक पहनें

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चतुर्थ भाव में सूर्य पंचमेश होगा तो पंचम भाव संतान, मनोरंजन, विद्या, प्रेम का भाव माना जाता है। पंचम से सूर्य द्वादश होने से विद्या के क्षेत्र में कुछ कमी महसूस होती है। सूर्य चतुर्थ में कर्क राशि का होगा जो उसकी सम राशि है, उसे माता, भूमि का सामान्य सुख मिलेगा।

यदि सूर्य इस भाव में सिंह राशि का हो तो उसे जनता से संबंधित कार्यों में सफलता मिलती है। माता की उम्र भी ठीक रहती है। पिता से कुछ मनमुटाव रह सकता है। यदि मेष का सूर्य हो तो अष्टमेश होने से स्थानीय राजनीति में सफलतादायक रहता है लेकिन माता को कष्ट रहता है। धनु का सूर्य द्वादश होने से बाहर से लाभकारी रहता है। अक्सर आजीविका हेतु बाहर जाना पड़ता है।

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मीन का सूर्य हो तो भाग्येश होने से उस जातक का भाग्य उत्तम होता है। ऐसा जातक धर्म-कर्म को मानने वाला भी होता है। उसे माता, भूमि, भवन का सुख उत्तम रहता है। यदि लग्नेश सूर्य चतुर्थ में हो तो ऐसा जातक स्व:प्रयत्नों से सभी सुख पाने में समर्थ होता है व माता का साथ उत्तम मिलता है।

तुला का सूर्य पारिवारिक कलह का कारण बनता है एवं बार-बार घर बदलता रहता है। उसके जीवन में स्थायीत्व की कमी बनी रहती है। संपत्ति आदि का सुख कम ही रहता है। यदि ऐसी स्थिति किसी की पत्रिका में हो तो वह सूर्य को प्रातः अर्घ्य दें व नमकरहित एक वक्त भोजन करें। बहते पानी में रविवार के दिन ताँबे का सिक्का बहाएँ, बहते पानी में नौ बादाम भी रविवार को प्रातः बहाएँ।

इस प्रकार सूर्य के अशुभ प्रभाव में कमी आती है व कष्ट सहने की ताकत बढ़ जाती है। यदि व्यक्ति विवाहित है तो पत्निसहित पैतृक स्थान पर भगवान विष्णु का यज्ञ कराएँ या निर्धनों को भोजन कराएँ।