कला के क्षेत्र में प्रसिद्धि और लक्ष्मी दोनों ही भरपूर होती है। कोई व्यक्ति कलाकार (विशेषत: गायक, वादक, नर्तक) बनेगा या नहीं यह उसकी कुंडली में शुक्र की स्थिति पर निर्भर करता है।
वृष और तुला लग्न या राशि चूँकि स्वयं शुक्र के स्वामित्व होते हैं अत: इन व्यक्तियों का कला की तरफ स्वाभाविक झुकाव रहता है। अन्य लग्नों में यदि शुक्र लग्न या पंचम भाव से संबंध रखता हो, केंद्र या पंचम भाव में स्थित हो तो व्यक्ति की कला में रूचि रहती है। शुक्र पर शुभ ग्रहों का प्रभाव हो तो व्यक्ति कला को व्यवसाय के रूप में अपनाता है। शुक्र की नवम-दशम स्थिति भी यही फल दर्शाती है।
शुक्र की चंद्रमा से युति-प्रतियुति व्यक्ति को कल्पनाशील बनाती है (लेखन आदि)। गुरु का साथ गीत-संगीत में आध्यात्मिक अनुभूति वाला है, शुक्र-बुध की युति कला क्षेत्र में व्यावसायिक सफलता दिलाती है।
मजबूत सूर्य का होना भी कुंडली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सूर्य और शुक्र प्रबल होने पर ही व्यक्ति को कला से धन व यश दोनों मिलता है अन्यथा कला केवल जीवनयापन का साधन बनकर रह जाती है।
शुक्र को मजबूत करने के लिए कुछ उपाय : * दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा या लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें। * सफेद वस्तु का दान व सेवन करें। * शुक्रवार को खीर खाने से भी शुक्र मजबूत होता है। * हीरा धारण किया जा सकता है। * स्त्री का आदर-सम्मान करें।
शुक्र के अतिरिक्त सूर्य को मजबूत करने के भी उपाय करें ताकि धन और यश दोनों ही आपके सहभागी बन सकें।