श्री घंटाकर्ण यंत्र अति विशिष्ट एवं प्रभावशाली है, जो वर्तमान में अन्य किसी पुस्तक में संभवत: अभी तक उपलब्ध नहीं है। श्री घंटाकर्ण महावीर की पूजा सात्विक मानी जाती है।
अत: सात्विक कृति वाले मनुष्यों को मंत्र स्मरण की योग्यता होती है। जिसकी जैसी भावना रहती है उसे वैसा ही फल मिलता है। अहमदाबाद से लगभग 55 किमी दूर महुड़ी गांव में श्री घंटाकर्ण देव का मूल स्थान है।
इस यंत्र का प्रयोग गुरु आज्ञा व गुरु सान्निध्य में सात्विक सिद्धि अथवा कार्य हेतु जैसे संतान, व्यापार, नौकरी, बीमारी, पारिवारिक वाद-विवाद आदि परेशानी से छुटकारा पाने के लिए किया जाता है। इस यंत्र की पूजा किसी भी मंगलवार की रात्रि में उत्तम चौघड़िया से शुरू की जाती है। मंत्र जाप हेतु मूंगे की माला का ही प्रयोग किया जाना चाहिए।
साधक का मुख पूर्व दिशा की ओर एवं पूजा हेतु प्रयोग किए जाने आसन केसरिया हो। यंत्र के समक्ष चांदी का दीपक एवं धूपबत्ती प्रज्वलित कर पूजा-जाप शुरू करें। प्रतिदिन 7 माला, 108 दाने की, 11 या 27 (कार्यानुसार) करनी होगी।