धनु-चारित्रिक विशेषताएँ
चरित्र के प्रारंभिक लक्षण- दुराग्रही, लालची, भौतिकवादी, इंद्रियार्थवादी, भौतिक इच्छाओं द्वारा नियंत्रित, अड़ियल, मोटी बुद्धि का, अनम्य, भूमिज, स्थिर चित्त का व्यक्ति। चरित्र के उत्तरकालीन लक्षण- दृढ़निश्चयी, दुराग्रही, अटल, बौद्धिक मूल्यों का विकास, सच्चे अंतर्निहित मूल्यों के साथ अनुकूलता, भौतिकवाद तथा भौतिकेतर चमक-दमक से विलग होना, भावनात्मक इच्छाओं को नियंत्रित करना, आधिपत्य को साधनों के अंत की बजाय अंत के साधन के रूप में देखना। अंतःकरण के लक्षण- इच्छाओं का आकांक्षाओं तथा आध्यात्मिक इच्छाओं में रूपांतरण, आध्यात्मिक मूल्यों के साथ अनुकूलता, माया की दुनिया का प्रबोधन, विश्व को ज्ञान के प्रकाश की ओर प्रेरित करना करने में सहायक, लोगों के मध्य होकर भी अलग-थलग रहना, दैविक कार्यों की प्रगति में स्वयं के संसाधनों का उपयोग, ईश्वरीय संसाधनों का प्रबंधक होना, स्वामित्व, क्षमताओं तथा भौतिक वस्तुओं का उचित उपयोग, आध्यात्मिक प्रबोधन द्वारा भौतिक बंधनों को तोड़ना, भौतिकेतर भ्रांतियों को समाप्त करना।