अनिल त्रिवेदी (एडवोकेट)

लेखक वरिष्ठ अभिभाषक हैं
मनुष्यों को जन्म के साथ ही प्राकृतिक रूप से वाणी मिलती है। मनुष्येतर अन्य जीवों को भी वाणी तो किसी न किसी रूप में मिलती ही है पर मनुष्यों ने जिस रूप-स्वरूप...
किसी भी जीव को जीवन को ऊर्जावान बनाए रखने के लिए नियमित आहार का जीव की जरूरत अनुसार निरन्तर मिलते रहना जीवन की अनिवार्य आवश्यकता है। मनुष्य और मनुष्येतर...
Indian democracy: लोकतंत्र एक पक्षीय या एक दलीय नहीं हो सकता है। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की सामान्य न्यूनतम निरंतर उपस्थिति से ही सामान्य रूप से लोकतंत्र...
मनुष्य को जन्म के साथ ही मनुष्य शरीर को आकार मिलता है।पर मनुष्य का आकार,आचार, विचार और स्वभाव अपने आप में मनुष्यता का पर्याय नहीं बन जाते। मनुष्य और पशु...
Mental stress: गुस्सा या तनाव क्षणिक हो तो उसे लहरों की तरह मन में आई क्षणिक स्थिति ही मनोविज्ञान में मानी जाती है। लगातार गुस्सा या तनाव और कभी भी किसी...
मनुष्य की अवधारणाएं गजब की है। अवधारणाओं का जन्म कल्पना करने की मानवीय क्षमता से हुआ है। मानवीय क्षमता के दो आयाम हैं। पहला शारीरिक और दूसरा मानसिक या...
Young population in India: भारत सभ्यता, संस्कृति, पारिवारिकता और दर्शन के संदर्भ में बहुत प्राचीन समय से अपनी मौलिक समझ और व्यापक जीवन शैली से जीवन जीने...
मौन का विस्तार अनंत है या यह भी कहा जा सकता हैं कि मौन की व्यापकता सीमा से परे होकर मौन पूर्णत: असीम है। मौन ध्वनि विहीन होते हुए भी सार्थक होकर एक तरह...
Lok Sabha Elections 2024: दो हजार 24 के लोकसभा चुनाव परिणाम में जो जनादेश आया है वह भारत के आम मतदाताओं की अनोखी दार्शनिक अभिव्यक्ति है। भारत के राजनैतिक...
Lok Sabha Elections 2024: भारतीय चुनाव सीधे-सीधे केवल अंक गणित की तरह नहीं होता है। भारतीय चुनाव में एक पक्षीय चुनाव परिणाम भी आते रहे हैं तो खंडित जनादेश...
Indian Politics: लोकतांत्रिक राजनीति का अर्थ किसी भी तरह से वोट का जुगाड करना हो गया है। इसका नतीजा यह हुआ कि समाज और राजनीति में बिना वोट की राजनीति पूरी...
Mahatma Gandhi Death Anniversary: बिड़ला भवन दिल्ली में 30 जनवरी 1948 की शाम संध्याकालीन प्रार्थना पर निकले साकार गांधी अपने अंतिम शब्द 'हे राम' के साथ...
Ayodhya Ram Temple: भारतीय लोक मानस लोक महासागर की तरह गहराई लिए हुए है। लोक मानस की गहराई और विविधता अनोखी पर सहजता लिए होती है। हम अगर यह कहे कि भारतीय...
solution to life challenges: आठ अरब जनसंख्या वाली इस विशाल दुनिया में कोई भी मनुष्य अकेला क्यों महसूस करने लगता है? इतनी बड़ी दुनिया में जहां हर कहीं लोग...
हिंसा और नफ़रत मानव समाज के स्थाई भाव नहीं हैं। जैसे प्राकृतिक आग सदैव प्रज्‍ज्‍वलित नहीं रहती वैसे ही सांप्रदायिक और जातीय हिंसक घटनाएं भी तात्कालिक रूप...
भारत में आजादी और लोकतंत्र आए पचहत्तर साल हो गए। फिर भी भारत के नागरिकों और राजनीतिक दलों के मानस में लोकतंत्र और नागरिकत्व के प्रति प्रायः उदासीनता का...
Freedom of Press: पत्रकारिता अपने जन्म से ही लोकजागृति और लोकचेतना की वाहक रही है। स्थापित राजनीतिक, धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक, आपराधिक माफिया, प्रशासनिक...
हालात अपने आप नहीं बदलते हैं। हालात बदलने के लिए खयालात में बदलाव बहुत जरूरी है। दुनिया के सारे बदलाव अपने आप नहीं आते हैं। जैसे जैसे खयालात बदलते गए हालत...
जीवन को शांति और समाधान देने वाले बुनियादी साधन ही मनुष्य समाज की सबसे बड़ी चुनौती या समस्या बन जाए तो आज का मनुष्य क्या करें? यह आज के काल का यक्षप्रश्न...
असंख्य ग्रह नक्षत्रों व तारामंडल को लेकर हमारे मन में कभी यह विचार नहीं आता की यह आकाशगंगा किसकी है? धरती को लेकर भी मेरे-तेरे का भाव भी हमारे मन में नहीं...