बानगी देखिए राममनोहर, रामसहाय, रामखेलावन, रामभरोसे, रामनिहोरे, रामजीवन, रामाश्रय, रामप्रसाद, रामकृष्ण, रामस्वरूप, रामसेवक, रामनिवास, रामायण प्रसाद, रामनिरंजन, रामकृपाल, रामदेव, रामविलास, रामलखन, रामधारी, रामानंद, रामानुज, रामसुंदर, रामवीर, रामविभोर, रामभज, रामगोपाल, रामगुलाम, रामगुप्त, रामफल, रामलाल, रामसिंह, रामदयाल, रामदरबार, रामअनोखे, रामआसरे, रामसुख, रामसुबीर, रामचंद्र, रामकुमार, रामस्नेही, रामसंजीवन, रामसुभग, रामसुलभ, रामलीला, रामसंवारे, रामनाथ, रामेश्वर, रामभजन, राममणि, रामअवतार, रामआश्रय, रामहर्ष, रामहरि, रामकौशल, रामाधीर, रामविजय, रामविनय, रामलीला, रामविशाल, रामप्रकाश, रामप्रताप, रामसुंदर, रामभजन, रामतीरथ, रामसिखावन, रामदर्शन, रामदरस, रामरज रामचरण, रामनयन, राम-रहीम, रामप्यारे, रामदुलारे, रामेश्वर, रामगोपाल, रामकौशल, रामकमल, राम-जानकी, रामसूरत, रामनिधि, रामसुलभ, रामकिशोर, रामकिशन, राममूर्ति, रामलुभावन, रामसखा, रामविशाल, रामचंद्र, रामरति, रामसागर, रामानंद, रामराज, रामराय, रामवृक्ष, रामलुभाया, रामबाबू, रामकिंकर, रामकरण, रामसमीर, रामनयन, रामाशंकर, रामनाथ ये एक सौ आठ नाम इस बात का एक उदाहरण हैं कि भारतीय लोकमानस में रामनाम किस तरह से समाया हुआ है।
आज के काल में प्रायः यह बात हम सब के मन में आती हैं कि यह काल एक तरह से अमर्यादित व्यवहार, विचार, टीका-टिप्पणी, विकास, प्रदूषण, असहिष्णुता, अभद्रता, संग्रह प्रवृत्ति, भोग, भोजन, बनावटी जीवन शैली, अशांति और अनुशासनहीनता का काल है। राममय लोकमानस में मर्यादा पुरुषोत्तम राम की मूल विशेषता मर्यादा का जीवन के प्रत्येक या सभी आयामों में जिस तरह से अमर्यादित उल्लंघन महसूस हो रहा है, उससे उबरने का राममय लोकमानस वाला समाज कैसे रास्ता निकालेगा? पंडित जसराज ने एक बहुत प्रभावी भजन गाया है 'राम भजो आराम तजो, राम ही प्रेम की मूरत है, राम ही सत्य की सूरत है'।