अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य प्रारंभ हो चुका है। मंदिर परिसर में नक्षत्र वाटिका भी बनाई जाएगी। इस वाटिका में 27 नक्षत्रों से जुड़े 27 पेड़ लगाए जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों इसकी शुरुआत भी हो चुकी है। 70 एकड़ भूमि में हरियाली का खास ध्यान रखा जाएगा।
क्या होती है नक्षत्र वाटिका : नक्षत्र वाटिका में 27 नक्षत्रों से जुड़े पेड़ होते हैं। इस वाटिका में कुचला (अश्विनी), आंवला (भरणि), गूलर (कृतिका), जामुन (रोहिणी), खैर ( मृगशिरा), शीशम (आर्द्रा), बांस (पुनर्वसु), पीपल (पुष्य), नागकेसर (आश्लेषा), बरगद (मघा),
पलाश (पूर्वा फाल्गुनी), पाकड़ (उत्तरा फाल्गुनी), रीठा (हस्त), बेल (चित्रा), अर्जुन (स्वाति), विकंकत (बिसाखा), मौलश्री (अनुराधा), चीड़ (ज्येष्ठा), साल (मूल), जलवेतस (पूर्वाषाढ़ा), कटहल
(उत्तरासाढ़ा), मदार (श्रवण), शमी (धनिष्ठा), कदंब (शतभिषा), आम (पूर्वा भाद्रपद), नीम (उत्तरा भाद्रपद), महुआ (रेवती) के पेड़ लगाए जाएंगे।
पंचवटी : आंवला, बेल, बरगद, पीपल और अशोक के समूह को पंचवटी कहते हैं। इसे पंचभूतों से भी जोड़कर
देखा जाता है। स्कंद पुराण में इसका वर्णन मिलता है।
हरिशंकरी : इस वाटिका में भगवान विष्णु और शंकर की कृपा मानी जाती है। इसके तहत पीपल, पाकड़ और बरगद इस प्रकार रोपित किए जाते हैं कि तीनों का संयुक्त छत्र विकसित हो।