जायफल पाक (अवलेह)

आयुर्वेद शास्त्र में शीतकाल में सेवन करने योग्य पाक बनाने की कई विधियां दी गई हैं। कुछ पाक विधियां सिर्फ पुरुषों के लिए सेवन योग्य होती हैं और कुछ विधियां सिर्फ स्त्रियों के लिए तो कुछ विधियां ऐसी भी होती हैं जो पुरुष और स्त्री दोनों के लिए सेवन योग्य होती हैं। जायफल पाक स्त्री-पुरुष दोनों के लिए सेवन योग्य है।

जायफल पाक के घटक द्रव्य : जायफल 100 ग्राम, दूध 2 लीटर, शुद्ध घी 200 ग्राम, शकर डेढ़ किलो या आवश्यकता के अनुसार। दालचीनी, इलायची, तेजपत्र, नागकेसर, लौंग, पीपल, सौंठ, सेमल के फूल, कचूर, रूमी मस्तंगी, छुहारे, मुलहठी, नागरमोथा, आंवला, तगर, समुद्र शेष, लसूडे, सुपारी, अकरकरा, कौंच बीज, बादाम, पिस्ता, तालमखाना, त्रिकूट, सौंफ, चन्दन प्रत्येक द्रव्य 10-10 ग्राम। मोती भस्म, स्वर्ण माक्षिक, चांदी भस्म, लौह भस्म, अभ्रक भस्म और केशर 2-2 ग्राम व आधा किलो शहद।

निर्माण विधि : जायफल पीसकर महीन चूर्ण कर लें। इसे दो लीटर दूध में डालकर उबालें और मावा करके उतार लें। इसे 200 ग्राम शुद्ध घी में भून लें। जब अच्छा गुलाबी सिक जाए तब उतार लें।

शकर की चासनी बनाकर मावा डालकर खूब अच्छी तरह से मिला लें। सब काष्ठौषधियों के अलग-अलग कूट-पीसकर महीन चूर्ण कर लें और प्रत्येक द्रव्य का चूर्ण 10-10 ग्राम लेकर मावे मे डाल दें और ठण्डा कर लें।

आधा किलो शहद में सारी भस्में और केशर डालकर मावा भी डाल दें और खूब अच्छी तरह हिला-चलाकर मिलाएं, ताकि सब द्रव्य ठीक से परस्पर मिल जाएं।

मात्रा और सेवन विधि : प्रातः 1-2 चम्मच अवलेह चाटकर खाते हुए कुनकुना गर्म दूध पिएं। पूरे शीतकाल सेवन करें।

जायफल पाक के लाभ : यह अवलेह स्त्री-पुरुषों के लिए समान रूप से हितकारी और बल पुष्टिदायक है। पुरुषों के लिए यह एक श्रेष्ठ वाजीकारक, कामोत्तेजन, यौन शक्ति बढ़ाने वाला, नपुंसकता, शीघ्रपतन और वीर्य का पतलापन आदि विकारों को दूर करने वाला तथा अत्यन्त बलवीर्यवर्द्धक है।

स्त्रियों के लिए भी यह पौष्टिक, शक्तिवर्द्धक और शरीर को सुडौल बनाने वाला उत्तम योग है। इन रोगों के अलावा यह प्रमेह, बवासीर, संग्रहणी, क्षय, श्वास, कास, मन्दाग्नि, ज्वर, पाण्डु, त्रिदोष, हृदय रोग सिर के रोग तथा शारीरिक दुर्बलता को दूर करता है। शरीर में गर्मी और बलवीर्य की वृद्धि करता है। यह बाजार में नहीं मिलता, इसलिए इस योग को घर पर ही बनाना होगा।

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