बाबा आमटे ने सरदार सरोवर बाँध के डूब क्षेत्र छोटी कसरावद में जून 1990 से सितंबर 2000 तक निवास किया। बाबा के घाटी में आगमन से नर्मदा बचाओ आंदोलन को अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली।
बाबा ने आंदोलन की शुरुआत करते हुए कहा था कि ऊँचे बाँध बनने के विरुदद्ध चल रहा आंदोलन उनकी मौत के बाद भी जारी रहेगा।
उन्होंने कहा था कि नर्मदा आंदोलन जनसंघर्ष का रूप ले चुका है और अब यदि मेरी मृत्यु भी हो जाए तो मुझे कोई पछतावा नहीं रहेगा, क्योंकि घाटी के लोग अपना संघर्ष जारी रखेंगे।