थिएटर में दर्शकों के सामने निर्वस्त्र अभिनय करना फिल्मों में निर्वस्त्र अभिनय से मुश्किल माना जाता है।
हालांकि थिएटरों के नाटकों में भी कई वर्षों से ऐसे दृश्य मंचन किए जाते हैं जिनमें अभिनय करने वाले अपने सारे कपड़े उतार देते हैं, लेकिन कलाकारों के लिए ये अनुभव नाजुक और मुश्किल भरा माना जाता रहा है।
लेकिन अब स्थिति पहले से आसान हो रही है। हाल ही में लंदन के थिएटरों में दिखाए गए नाटक ‘द जूडास किस’ और ‘माइडिडे’ के निर्वस्त्र दृश्यों की वजह से नाटकों में बिना वस्त्र के सीन देने पर बहस फिर तेज हो गई है।
जैक थौर्न के नाटक माइडिडे का मंचन लोकप्रिय ट्रैफैल्गर स्टूडियो में होने वाला है। इस नाटक में एक बाथरूम का एक लंबा दृश्य है जिसमें अभिनेत्री फीबी वॉलर-ब्रिज और अभिनेता कायर चार्ल्स एक बाथटब में निर्वस्त्र होकर लंबा समय गुजारते हैं।
वॉलर ब्रिज कहती हैं, 'ये सीन नाटक में बेहद जरूरी था। निर्देशक जैक इस तरह के दृश्यों में उत्कृष्ट काम करवाते हैं इसलिए मुझे ज़रा भी संकोच नहीं था।'
वहीं सह-अभिनेता चार्ल्स कहते हैं, 'ये निर्वस्त्र सीन बाथरूम में था और बेडरूम में नहीं इसलिए बस एक व्यावहारिक दृश्य था।'
दर्शकों की प्रतिक्रिया : वॉलर ब्रिज कहती हैं, 'हमे लग रहा था कि हमें बहुत ज्यादा दबी हंसी या दर्शकों की तरफ से अटपटेपन का सामना करना पड़ेगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। ये दृश्य किसी के भी घर का हो सकता है और इतना स्वाभाविक है कि दर्शक भी उसे आसानी से समझ सकते हैं और वो भी इन दृश्यों में तनाव रहित रहते हैं।'
वो कहती हैं कि निर्वस्त्र अभिनय से कलाकार और दर्शकों के बीच एक ज्यादा ‘जागरूक’ रिश्ता बनता है।
ब्रिज कहती हैं, 'ऐसे दृश्यों में आपको लगता है मानो पूरे ऑडिटोरियम में एक नई जान फूंक दी गई हो। दर्शक भी बहुत जागरूक हो जाते हैं और कलाकारों के साथ एक अनूठा रिश्ता जोड़ लेते हैं जो मेरी नजर में एक खूबसूरत बात है।'
भरोसे का सवाल : ये कलाकार कहते हैं कि प्रशिक्षण के लिए ड्रामा स्कूलों के आखिरी साल में निर्वस्त्र अभिनय का दृश्य होता है जिससे उन्हें बाद में ऐसे मंचन में कम दिक्कत होती है।
हालांकि निर्वस्त्र अभिनय करना जहां कुछ कलाकारों के लिए आसान होता है, कई इसके लिए बिल्कुल भी राज़ी नहीं हो पाते हैं।
एक दूसरे अभिनेता टॉम कॉली कहते हैं, 'दरअसल सवाल भरोसे का है। आपको विश्वास होना चाहिए कि आप जो कर रहे हैं वो कलात्मक दृष्टि से खूबसूरत है और आपको अपने लेखक और निर्देशक पर भी भरोसा होना चाहिए। कुछ भी जबरदस्ती का नहीं लगना चाहिए।'