'जीवनसाथी करते हैं यौन हिंसा'

गुरुवार, 7 जुलाई 2011 (13:35 IST)
BBC
महिलाओं के सशक्तिकरण से जुड़ी संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूएन वोमेन की एक रिपोर्ट के मुताबिक एशिया-प्रशांत क्षेत्र में रहने वाली करीब आधी औरतें अपने जीवनसाथी के हाथों शारीरिक और यौन हिंसा का शिकार हुई हैं।

दुनिया भर के महिलाओं के अधिकारों पर तैयार की गई इस विस्तृत रिपोर्ट के मुताबिक एशिया-प्रशांत क्षेत्र में घरेलू हिंसा का स्तर बेहद ज्यादा है। इस रिपोर्ट में महिलाओं के खिलाफ हिंसा, उन्हें बराबर तनख्वाहों का नहीं मिलना, सरकार में उनकी भागेदारी और उन्हें मिलने वाली न्याय प्रक्रिया के बारे में चर्चा की गई है।

रिपोर्ट में महिलाओं को न्याय दिलाने को लेकर सिफारिशें हैं। इस रिपोर्ट में गरीब महिलाओं को न्याय मिलने में मुश्किलें, और उनसे निजात दिलाए जाने के उपायों का जिक्र है।

'पुरुषों का मारना सही'
रिपोर्ट के मुताबिक एशिया-प्रशांत क्षेत्र में रहने वाली बड़ी संख्या में महिलाओं का मानना है कि एक पुरुष का महिला को मारना सही है।

‘इलाके के सात देशों में किए गए सर्वेक्षण के मुताबिक एक तिहाई महिलाओं ने कहा कि पुरुष का महिलाओं पर हाथ उठाना कभी-कभी मान्य है। मलेशिया में ऐसा करीब 50 प्रतिशत महिलाओं ने कहा, जबकि थाईलैंड में दो-तिहाई महिलाओं ने ये जवाब दिया।’

यूएनवोमेन की डेप्युटी एक्जेक्युटिव डायरेक्टर लक्ष्मी पुरी ने बीबीसी को बताया कि ये रिपोर्ट महिलाओं की न्याय व्यवस्थाओं से आकांक्षाओं को बयान करती है।

उन्होंने कहा, ‘महिलाएं चाहती हैं कि सरकार बनाए गए कानूनों पर अमल करे। केवल कानून बनाने से कुछ नहीं होता। महिलाओं के लिए न्याय व्यवस्था सरल, संवेदनशील और जवाबदेह हो। न्याय की प्रक्रिया महिलाओं को गरिमा प्रदान करे।’

घरेलू हिंसा : रिपोर्ट का कहना है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 19 देशों और क्षेत्रों ने घरेलू हिंसा को लेकर कानून पास किए हैं, लेकिन सिर्फ आठ देशों ने पति के हाथों बलात्कार कानून के अंतर्गत अपराध माना गया है। इस वजह से लाखों महिलाएं अपने पति के हाथों बुरे बर्ताव का शिकार होती हैं।

एक तरफ़ भारतीय संसद और विधानसभाओं में महिला को 33 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए कोशिशें चल रही हैं, इस क्षेत्र में नेपाल ही ऐसा देश है जहां संसद में महिलाओं को 30 प्रतिशत तक आरक्षण मिल पाया है।

रिपोर्ट कहती है कि न्याय व्यवस्था में महिलाओं की संख्या कम है। दक्षिण एशिया में मात्र नौ प्रतिशत न्यायाधीश चार प्रतिशत अभियोग पक्ष के लोग महिलाएं हैं। साथ ही यहां पुलिस में मात्र तीन प्रतिशत महिलाएं हैं।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में दफ्तरों में महिलाओं के साथ होने वाले यौन शोषण से निपटने के लिए गाईड लाईंस हैं।

वेबदुनिया पर पढ़ें