12वीं के बाद सीबीएसई ने 10वीं के नतीजे भी घोषित कर दिए हैं। दिलचस्प बात ये है कि इस बार 10वीं में चार बच्चों ने टॉप किया है। इन चार बच्चों में से एक टॉपर प्रखर मित्तल गुड़गांव के रहने रहने वाले हैं। बाकी तीन टॉपरों की तरह ही प्रखर ने भी परीक्षा में 500 में से 499 नंबर हासिल किए हैं।
अपनी कामयाबी पर खुशी ज़ाहिर करते हुए उन्होंने बीबीसी से कहा, "मुझे ये तो पता था कि नंबर अच्छे आएंगे, लेकिन 499 नंबरों की मैंने उम्मीद नहीं की थी।" तो उनका एक नंबर कहां कट गया? इस पर प्रखर कहते हैं कि उनका एक नंबर फ्रेंच भाषा में कटा है। बाकी अंग्रेज़ी, साइंस, एसएसटी और गणित में उन्हें पूरे 100 नंबर मिले हैं।
कभी घंटों पढ़ाई नहीं की
प्रखर कहते हैं कि उन्होंने कभी ट्यूशन नहीं लिया। बल्कि खुद ही पढ़ाई की। वो सेल्फ स्टडी को अहम बताते हैं। प्रखर कहते हैं, "अच्छे नंबर लाने के लिए घंटों पढ़ने की ज़रूरत नहीं पड़ती है। फ़ोकस के साथ कम समय में पढ़कर भी एक्ज़ाम में अच्छा किया जा सकता है।"
प्रखर किताबी भाषा के बजाय प्रैक्टिकल नॉलेज पर ज़ोर देते हैं। वो कहते हैं, "जो भी आप किताबों में पढ़ते हैं उसे असल ज़िंदगी में अप्लाई करेंगे तो बहुत आसानी से चीज़ें समझ में आती हैं और लंबे समय तक याद रहती हैं।"
बच्चे अक्सर पढ़ाई का लोड ले लेते हैं जिससे वो एक्ज़ाम के टाइम प्रेशर में आ जाते हैं। लेकिन प्रखर के साथ ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ। वो बताते हैं कि उन्होंने हमेशा मज़े लेकर पढ़ाई की।
रोबोट्स का शौक
प्रखर कहते हैं, "मैंने हमेशा अपने इंटरेस्ट के विषयों पर ज़्यादा ध्यान दिया। साइंस मुझे ज़्यादा पसंद है। इसमें रोबोटिक्स को मैंने हॉबी की तरह लिया।" "अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर मैंने कार्डबोर्ड और थ्रीडी प्रिंटर की मदद से रोज़मर्रा के काम करने वाली कई मशीनें बनाई हैं।"
अगर आपको लगता है कि जो बच्चे टॉप करते हैं वो हर सब्जेक्ट में अच्छे होते हैं तो ऐसा बिल्कुल नहीं है। ऐसे कई टॉपिक्स हैं जो प्रखर को पसंद नहीं। वो बताते हैं कि गणित का जियोमेट्री और एसएसटी सब्जेक्ट उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं है। प्रखर मित्तल गुड़गाव के डीपीएस स्कूल में पढ़ते हैं।
वो बताते हैं कि उन्हें स्कूल में अच्छे से पढ़ाया गया और सभी तरह की सुविधाएं मिलीं। प्रखर कहते हैं कि वो 11वीं में फिज़िक्स, केमेस्ट्री और गणित सब्जेक्ट लेंगे।
'नंबर किसी की पहचान नहीं बन सकते'
प्रखर भले ही सबसे ज़्यादा नंबर हासिल करके टॉपर बने हैं, लेकिन वो नंबरों को इतना अहम नहीं मानते। वो कहते हैं कि नंबर कभी किसी इंसान की पहचान नहीं हो सकते। वो कहते हैं कि कम नंबर लाने वाले बच्चों को भी निराश होने की ज़रूरत नहीं है। क्योंकि आज कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां कम नंबर आने के बाद भी आप अच्छा कर सकते हैं।
प्रखर के पिता एक फाइनेंस कंपनी में काम करते हैं और उनकी मां होम मेकर हैं। प्रखर बताते हैं कि अच्छे नंबर लाने के लिए उनके परिवार की तरफ से कभी प्रेशर नहीं रहा। हां उनकी मां ये ज़रूर कहती थीं कि 'जो भी करो अच्छे से करो।'
पढ़ाई के अलावा भी कई शौक
प्रखर को म्यूज़िक सुनने का काफी शौक है। वो पियानो भी बजाते हैं। रिलैक्स रहने के लिए प्रखर भाई के साथ खूब खेलते भी हैं। प्रखर बताते हैं कि उन्होंने बोर्ड एक्ज़ाम के डर से कभी खेलना या कहीं जाना बंद नहीं किया था। 12वीं के बाद प्रखर आईआईटी में पढ़ना चाहते हैं। वो कहते हैं हमें वही करियर अपनाना चाहिए जिसमें इंटरेस्ट हो।
प्रखर के अलावा आरपी पब्लिक स्कूल बिजनौर की रिमझिम अग्रवाल, शामली के स्कॉटिश इंटरनेशनल स्कूल की नंदिनी गर्ग और कोचिन के भवन्स विद्यालय की श्रीलेखा जी इस साल की टॉपर रही हैं। चार टॉपरों में से तीन लड़कियां हैं।