रेशमी 'रूमाल' जिसे बुनने में लगते हैं 6 साल

शनिवार, 16 सितम्बर 2017 (11:07 IST)
- इलियट स्टीन (बीबीसी ट्रैवल)
सिल्क यानी रेशम की कई क़िस्में आपने देखी होंगी, लेकिन समुद्री सिल्क के बारे में शायद ही कभी सुना हो। इसे बिसस के नाम से जाना जाता है। रेशम की ये क़िस्म आम नहीं, बल्कि बहुत ख़ास है। इसका सदियों पुराना इतिहास है। सबसे दिलचस्प बात तो ये है कि इसे बनाने का काम एक ही परिवार की महिलाएं करीब एक हज़ार साल से करती आ रही थीं। ये परिवार इटली के सार्डीनिया द्वीप पर रहता था। अब इस परिवार की इकलौती महिला बची हैं, चियारा विगो।
 
विगो की उम्र 62 साल हो चुकी है। लेकिन आज भी वो इस रेशम को समुद्र से निकालने का काम कर रही हैं। माना जाता है कि चियारा विगो दुनिया में अब अकेली ऐसी महिला हैं, जिन्हें समुद्री रेशम की खेती करने से लेकर उसे रंगने और उस पर कशीदाकारी करने का काम आता है। कहा जाता है कि सूरज की रोशनी पड़ने पर समुद्री रेशम सोने की तरह चमकता है।
जानकारों का कहना है कि अब से पांच हज़ार साल पहले मेसोपोटामिया सभ्यता में महिलाएं अपने राजाओं के लिए जिस बारीक कपड़े पर कशीदाकारी करती थीं, उसमें समुद्री रेशम के तार का ही इस्तेमाल होता था। उस दौर में इस रेशम का इस्तेमाल इज़राइल के राजाओं के कपड़े बनाने में होता था। मिस्र के राजा भी इसी रेशम का लिबास पहनना पसंद करते थे। साथ ही पोप और दूसरे मज़हबी अगुवा भी समुद्री रेशम के कपड़े पहनना पसंद करते थे। कई प्राचीन दस्तावेज़ों में तो इस बात का भी ज़िक्र मिलता है कि मूसा को ईश्वर की ओर से समुद्री रेशम का लिबास पहनने का हुक्म मिला था।
 
कहा जाता है कि हज़ारों साल पहले विगो के परिवार की महिलों ने ही बिसस यानी समुद्री रेशम को बुनने का काम शुरू किया था। लेकिन ऐसा क्यों और कैसे हुआ इसके बारे में किसी को कुछ नहीं पता। इतना ज़रूर है कि पिछले एक हज़ार साल से पीढ़ी दर पीढ़ी बिसस बुनने, उसका पैटर्न बनाने, उसे रंगने का हुनर इस परिवार की महिलाएं अपनी अगली नस्लों को देती आ रही हैं। साथ ही इस कला को संजोकर रखने की हिदायत भी दी जाती है। विगो ने ये हुनर अपनी नानी से सीखा था। उन्होंने विगो को हथकरघे पर बुनाई करना सिखाया था।
समुद्री रेशम को निकालने के लिए भी अलग तरह के हुनर की दरकार होती है। असल में समुद्र के अंदर एक ख़ास तरह के जीव होते हैं, जिनसे समुद्री रेशम के तार निकाले जाते हैं। विज्ञान की भाषा में इन्हें पिना नोबिलिस कहते हैं। इस रेशे को निकालने के लिए समुद्र की गहराई में उतरना पड़ता है। 
 
विगो कहती हैं जब वो महज़ तीन साल की थीं, तभी उनकी नानी उन्हें अपने साथ सेंट एंतियोको के पास के समुद्र में ले जाती थीं। उन्हें पानी के अंदर से रेशे निकालने के गुर सिखाती थीं। बारह साल की उम्र तक विगो ने समुद्री रेशम को बुनने का हुनर सीख लिया था।
 
आज विगो की उम्र 62 साल हो चुकी हैं। लेकिन आज भी इटली के कोस्ट गार्ड की देख-रेख में वो सार्डीनिया के पास भूमध्य सागर की गहराई से समुद्री रेशम के तार निकालती हैं। इसके लिए उन्हें समुद्र में क़रीब पंद्रह मीटर तक की गहराई तक उतरना पड़ता है। विगो की क़रीब 24 पीढ़ियां ये काम करती आई हैं। 30 ग्राम रेशा जमा करने के लिए क़रीब सौ बार पानी के अंदर उतरना पड़ता है।
विगो को लोग 'सु मैस्तो' यानी उस्तानी के नाम से जानते हैं। एक वक़्त में एक ही मैस्तो हो सकती है। और ये मक़ाम हासिल करने के लिए पूरी ज़िंदगी इसी काम के नाम करनी पड़ती है। मौजूदा मैस्तो से समुद्री रेशम बनाने के तमाम गुर सीखने पड़ते हैं।
 
इस काम से पैसे नहीं कमाए जाते
समुद्री रेशम बनाने का काम पैसे कमाने के लिए नहीं किया जाता। इस काम को सीखने से पहले समुद्र की शपथ लेनी पड़ती है कि इस रेशम का इस्तेमाल पैसे कमाने के लिए नहीं होगा। इसे ना कभी ख़रीदा जाएगा और ना ही बेचा जाएगा। विगो ने अपना सारा जीवन इस काम के लिए समर्पित कर दिया। लेकिन उन्हें इस काम से एक पैसे की भी कमाई नहीं हुई।
 
समुद्री रेशम से जो कुछ भी तैयार किया जाता है, वो सिर्फ लोगों के देखने के लिए होता है। विगो ने बिसस की बहुत सी चीज़ें बनाई हैं। लेकिन ख़ुद उनके घर में एक भी नहीं है। सभी चीज़ें ब्रिटेन के म्यूज़ियम और वेटिकन सिटी में लोगों के देखने के लिए रखी हैं।
विगो अपने पति के साथ एक अपार्टमेंट में रहती हैं। उन्होंने घर के पास ही एक स्टूडियो भी बना रखा है, जिसे देखने लोग दूर दूर से आते हैं। विगो इसी स्टूडियो में अपना काम करती हैं। यहां दो सौ साल पुराना वो हथकरघा है, जिस पर विगो बुनाई का काम करती हैं।

यहां छोटे छोटे जार भी रखे हैं, जिनमें कपड़े की रंगाई के लिए क़ुदरती रंग रखे हैं। स्टूडियो की दीवारों पर फ्रेम किए हुए वो सभी सर्टिफिकेट लटके हैं जो विगो को उनके काम के लिए सम्मान के तौर पर मिले हैं। इस स्टूडियो को देखने वाले जो कुछ दान में देकर जाते हैं उसी से विगो का ख़र्च चलता है।
 
सिर्फ़ तोहफ़े के तौर पर दिया जा सकता है
विगो कहती हैं कि बिसस को सिर्फ़ तोहफ़े के तौर पर हासिल किया जा सकता है। उन्होंने पोप बेनेडिक्ट सोलहवें के लिए और डेनमार्क की रानी के लिए समुद्री सिल्क के टुकड़े बुनकर दिए थे। इसके अलावा कुछ नए शादीशुदा जोड़ों को भी विगो ने तोहफ़े में समुद्री रेशम के टुकड़े दिए हैं।
 
जो औरतें मां बनने की आस लेकर विगो के पास आईं उन्हें भी आशीर्वाद के रूप में विगो ने बिसस का टुकड़ा दिया। विगो कहती हैं बिसस किसी एक का नहीं है, यह सब का है। इसे बेचना सूरज और समुद्र से मुनाफ़ा कमाने जैसे होगा। ऐसा करना पाप है।
 
एक जगह ज़िक्र मिलता है कि इटली के तारांतो शहर में एक महिला ने बिसस से कारोबारी फ़ायदा हासिल करने के लिए इसकी फैक्ट्री लगाई थी। लेकिन एक साल बाद ही वो पूरी तरह बर्बाद हो गई और रहस्यमय तरीके से उसकी मौत हो गई।
 
विगो कहती हैं कि हाल ही में जापान का एक बड़ा व्यापारी उनके सबसे मशहूर काम दा लॉइन ऑफ़ वोमेन खरीदने पहुंचा था। इसके लिए वो उन्हें 25 लाख यूरो की रक़म पेश कर रहा था। लेकिन विगो ने अपने इस काम को दुनिया की तमाम महिलाओं को समर्पित कर दिया। विगो ने 45x45 सेंटीमीटर का टुकड़ा तैयार करने के लिए चार साल तक मेहनत की थी। उन्होंने इस पर अपनी अंगुलियों से कढ़ाई की थी।
 
आसान नहीं है समुद्री रेशम तैयार करना
समुद्री रेशम निकालने का तरीक़ा भी बहुत जटिल है। समुद्र से कच्चा बिसस निकालने के बाद उसे 25 दिन तक साफ पानी में भिगो कर रखा जाता है, ताकि उसमें मौजूद नमक ख़त्म हो जाए। पानी को हर तीन घंटे में बदलना ज़रूरी होता है। फिर उसे सुखाया जाता है। सूखने के बाद इसके रेशों को अलग किया जाता है।
 
विगो कहती हैं असली समुद्री रेशम इंसान के सिर के बाल से भी तीन गुना बारीक होता है। बाद में इन रेशों को पीले रंग के घोल में डाला जाता है। विगो इस रेशम को 124 तरह के क़ुदरती रंगों में रंगने का हुनर जानती हैं। ये रंग वो फलों, फूलों और समुद्री सीपों से तैयार करती हैं।
 
रेशों से धागा बनाने में करीब पंद्रह दिन का समय लगता है। 50x60 सेंटीमीटर के टुकड़े का वज़न महज़ 2 ग्राम होता है। इसे बनाने में छह साल का समय लगता है। अगर कपड़े पर देवी देवताओं की तस्वीरें बनानी हों तो समय और ज़्यादा लगता है।
 
विगो कहती हैं कि अब तक उनका परिवार 140 पैटर्न पर काम कर चुका है। इसमें से आठ पैटर्न ऐसे हैं जिनके बारे में कभी कुछ लिखा नहीं गया है। बल्कि वो मुंह ज़बानी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंच रहे हैं। रिवायत के मुताबिक़ विगो ये हुनर अब अपनी सबसे छोटी बेटी को सिखा रही हैं।
 
विगो कहती हैं कि समुद्री सिल्क बनाने का काम एक राज़ है जो हर किसी को नहीं बताया जा सकता। अपने परिवार में भी सिर्फ़ उसी को बताया जाता है, जो समुद्र की शपथ लेता है और उसका मान रखता है। विगो कहती हैं हो सकता है कि ये राज़ उनके साथ ही चला जाए, लेकिन बिसस हमेशा ज़िंदा रहेगा।

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