भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को घोषणा की कि भारत अंतरिक्ष में एंटी सैटेलाइट मिसाइल लॉन्च करने वाले देशों में शामिल हो गया है।
उन्होंने राष्ट्र को संबोधित करते हुए ऐलान किया कि भारत ने अंतरिक्ष में 300 किलोमीटर की ऊंचाई पर एक सैटेलाइट को मिसाइल से मार गिराया है।
इस घोषणा के बाद ऐसा माना जा रहा है कि भारत पाकिस्तान समेत कई पड़ोसी देशों के सैटेलाइट के लिए ख़तरा बन गया है। हालांकि, भारतीय प्रधानमंत्री ने कल की घोषणा में कहा था कि यह परीक्षण किसी भी अंतरराष्ट्रीय नियमों को तोड़े बिना किया गया है।
वहीं, पाकिस्तान का आज तक कहना रहा है कि उसका अंतरिक्ष कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए रहा है। हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि इस परीक्षण से भारत ने यह संदेश दे दिया है कि उनके पास अंतरिक्ष युद्ध के लिए एक हथियार आ चुका है और युद्ध अब अंतरिक्ष तक पहुंच चुका है।
1961 में पाकिस्तान की अंतरिक्ष में छलांग
भारत के मुकाबले में पाकिस्तान का अंतरिक्ष कार्यक्रम बहुत सीमित पैमाने पर है लेकिन भारत के ऐलान के बाद उसे इस बारे में सोचना पड़ेगा। पहले से खराब अर्थव्यवस्था का शिकार पाकिस्तान क्या इस नए हथियारों की दौड़ के लिए क्या कुछ रक़म जुटा पाएगा?
इस्लामाबाद में विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में भी इन हथियारों को लेकर चिंता देखी जा सकती है। पाकिस्तान का कहना है कि वह अंतरिक्ष में हथियारों की दौड़ के सख़्त ख़िलाफ़ है लेकिन पाकिस्तान इस दौड़ में शामिल होने की स्थिति में है या नहीं यह मुश्किल सवाल है।
पाकिस्तान के एक विश्लेषक का कहना था कि अंतरिक्ष मनुष्यों की साझी विरासत है और हर किसी की जिम्मेदारी है कि वह ऐसी कोशिशों से बचें जिससे अंतरिक्ष में फौजी सरगर्मियां बढ़ें।
उनका कहना है, 'हम समझते हैं कि अंतरिक्ष से संबंधित संयुक्त राष्ट्र में उन कमज़ोरियों को दूर किया जाए जिनसे इस बात को पुष्ट किया जाए कि कोई भी वहां पर शांति की सरगर्मियों और अंतरिक्ष तकनीक के इस्तेमाल को ख़तरे में न डाला जा सके।'
पाकिस्तान ने अपना अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम 1961 में शुरू किया था। इस कार्यक्रम के लिए पाकिस्तान स्पेस एंड अपर एटमॉस्फ़ेयर रिसर्च कमिशन (सूपरको) की शुरुआत की गई जिसका आज भी नारा 'शांतिपूर्ण' मकसद के लिए अंतरिक्ष अनुसंधान है।
पांच सैटेलाइट पहुंचाने की योजना
यही संगठन चीन की मदद से अब तक कई सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेज चुका है। सूपरको के मुताबिक, पाकिस्तान की 2011 और 2040 के बीच पांच जिओ सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में पहुंचाने की योजना है। इस योजना को तत्कालीन प्रधानमंत्री सैयद यूसुफ ररजा गिलानी ने मंज़ूरी दी थी।
सरकारी अधिकारियों के मुताबिक इन सैटेलाइटों का उद्देश्य भू-विज्ञान, पर्यावरण, संचार और कृषि क्षेत्र में खोज करना है। विश्लेषकों का मानना है कि इन सैटेलाइटों को जानकारी इकट्ठा करने के अलावा फौजी उद्देश्यों के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन पाकिस्तान ने अभी तक अंतरिक्ष में न तो कोई हथियार भेजे हैं और न ही अंतरिक्ष में मार करने वाली कोई मिसाइल बनाई।
इसीलिए भारत के इस परीक्षण के बाद जब पाकिस्तान ने अपना विरोध जताया तो साहित्यिक हवाला देते हुए कहा कि 1605 में लिखे गए एक उपन्यास डॉन कोसोट में एक व्यक्ति काल्पनिक दुश्मनों के ख़िलाफ़ लड़ता रहता है।
पाकिस्तान के बयान में भारत का ज़िक्र नहीं किया गया है लेकिन निशाना वही था लेकिन ये स्थिति कब तक ऐसी रह सकती है यह कहना मुश्किल है।
पाकिस्तानी प्रवक्ता का कहना था कि उन्हें उम्मीद है कि वह देश जिन्होंने पहले इन सबको लेकर चिंताएं जारी की थीं वह अब अंतरिक्ष में फौजी खतरों से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र में एक मुहिम तैयार करने के लिए एकसाथ आएंगे।
अंतरिक्ष में जंगी तैयारी जमीन पर सेना के लिए अहम किरदार अदा कर सकती है और विश्लेषकों के मुताबिक़ सैन्य संतुलन को खराब कर सकती है।
ऐसे में पाकिस्तान को ज़्यादा पीछे रहना शायद कुबूल न हो। पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मियों का मानना है कि भारत की अंतरिक्ष में जंग की तैयारी का लक्ष्य पाकिस्तान से ज़्यादा चीन है लेकिन पाकिस्तान एक 'दुश्मन पड़ोसी' की इस क्षमता को यकीनन नजरअंदाज नहीं कर सकता है।