मैनचेस्टर की 22 साल की ओलिविया ब्लैंड संचार के क्षेत्र में नौकरी खोज रही हैं। वो जानती हैं कि इंटरव्यू में आम तौर पर क्या होता है। हाथ मिलाना, आवेदकों की ताक़त और कमज़ोरियों के बारे में कुछ सवाल, सीवी का निरीक्षण और फिर इंटरव्यू ख़त्म।
वो कहती हैं, "ऐसे इंटरव्यू आम तौर पर अनौपचारिक होते हैं। वे दो घंटे लंबे तो बिल्कुल भी नहीं होते।" लेकिन जनवरी के आख़िरी हफ़्ते में टेक्नोलॉजी कंपनी वेब एप्लिकेशंस यूके में हुए इंटरव्यू में उनके आंसू निकल आए।
उन्होंने अपनी व्यथा को ट्वीट किया, जो वायरल हो गया। ब्लैंड ने आरोप लगाए कि कंपनी के चीफ़ एक्जीक्यूटिव क्रेग डीन ने इंटरव्यू में उन्हें नीचा दिखाया और संगीत की रुचि से लेकर उनके मां-बाप की शादी तक हर बात के लिए अपमानित किया।
ब्लैंड को नौकरी की पेशकश की गई, लेकिन डीन के व्यवहार को अनुचित बताकर उन्होंने पेशकश ठुकरा दी। वो बताती हैं, "मेरे लेखन पर हमला करने से लेकर मुझ पर हमला करने तक चले गए, यहां तक कि मैं कैसे बैठती हूं और हाथों को कैसे मोड़कर रखती हूं।"
ब्लैंड के ट्वीट को 10 हज़ार से ज़्यादा लोगों ने शेयर किया। डीन ने माफ़ी मांगते हुए एक पोस्ट लिखी जिसमें उन्होंने कहा कि उनका इरादा किसी का दिल दुखाने का नहीं था। वेब एप्लिकेशंस यूके ने सार्वजनिक रूप से ओलिविया ब्लैंड के दावों का खंडन किया, लेकिन टिप्पणी के लिए बीबीसी कैपिटल को जवाब नहीं दिया।
तनाव में काम करने की क्षमता
ब्लैंड ने जिस तरह के अनुभव का ज़िक्र किया है, उसे 'तनाव साक्षात्कार' कहा जाता है। इस तरह के इंटरव्यू में यह देखा जाता है कि नौकरी के लिए आए आवेदक अपेक्षित सवालों और जवाबों के कंफ़र्ट ज़ोन से बाहर के दबाव से कैसे निपटते हैं।
टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री में हाल के वर्षों तक एक प्रवृत्ति प्रचलित थी। इसमें इंटरव्यू लेने वाले लोग आवेदकों से कुछ अजीब से सवाल करते थे, जैसे- मेनहोल का ढक्कन गोल क्यों होता है। कई बार इंटरव्यू के दौरान ही उनसे कुछ डिजाइन बनाने को कहा जाता था। इसका मक़सद सटीक उत्तर पाना नहीं होता था, बल्कि इसमें यह देखा जाता था कि कोई आवेदक कैसे प्रतिक्रिया करता है और वह किस तरह सोचता है।
एमआईटी (MIT) में मैनेजेरियल कम्युनिकेशन के सीनियर लेक्चरार नील हार्टमन कहते हैं, "निश्चित तौर पर कई पदों के साथ अलग-अलग तरह के तनाव जुड़े होते हैं। जैसे- लक्ष्य हासिल करना, समयसीमा का पालन करना, मुश्किल ग्राहकों से निपटना वगैरह।"
"तनाव साक्षात्कार में उन स्थितियों को पैदा किया जाता है और देखा जाता है कि आवेदक उन चुनौतियों को कैसे संभाल सकता है।" इन्वेंटिव टैलेंट कंसल्टिंग के अध्यक्ष किम रूयले का कहना है कि तनाव साक्षात्कार में कुछ ख़ास परिस्थितियां भी बनाई जा सकती हैं।
पहले से बताना ज़रूरी
मसलन, कस्टमर सर्विस एजेंट की जांच करना, जिनको गालियों से भरे फ़ोन कॉल से भी निपटने को तैयार रहने की ज़रूरत होती है। लेकिन इसके लिए आवेदक को पहले बता देना चाहिए। रूयले का कहना है कि मुश्किल सवाल पूछने और किसी उम्मीदवार को नीचा दिखाने में अंतर होता है। किसी भी दफ़्तर में गाली-गलौच अनुचित है और इसे इंटरव्यू का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए।
पेन्सिलवेनिया यूनिवर्सिटी में ऑपरेशन्स एंड इंफॉर्फेशन मैनेजमेंट के प्रोफ़ेसर मौरिस श्वेत्ज़र कहते हैं, "तनाव साक्षात्कार न तो नए हैं और न ही ख़त्म होने वाले हैं।" दुनिया के दूसरे देशों के मुक़ाबले अमरीका में ऐसे इंटरव्यू ज़्यादा होते हैं। लेकिन इनका इस्तेमाल एक विशेष तरह के बॉस ही करते हैं।
श्वेत्ज़र ने तीन तरह के मैनेजरों की पहचान की है जो ऐसे इंटरव्यू लेते हैं। ये हैं- अत्यधिक तनाव के माहौल में काम करने वाले मैनेजर, कंपनी में नौकरियों की ज़्यादा मांग का अनुभव करने वाले मैनेजर और इंटरव्यू के दौरान आवदेकों से कुछ सीखने की कोशिश करने वाले मैनेजर।
फ़ायदे से ज़्यादा नुक़सान?
तनाव साक्षात्कार का पारंपरिक मॉडल कितना असरदार है इसे लेकर विशेषज्ञ बंटे हुए हैं। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि तनावपूर्ण, मगर यथार्थवादी कार्य स्थितियों में किसी आवेदक के समस्या सुलझाने के कौशल की पहचान करना फ़ायदेमंद है।
लेकिन लगभग सभी लोग सहमत हैं कि किसी भी स्तर पर उपहास करना या अपमानित करना अस्वीकार्य है। यूसीएलए (UCLA) में मैनेजमेंट एंड ऑर्गेनाइजेशन्स की प्रोफ़ेसर कॉरिन बेंडेर्स्की का कहना है कि इंटरव्यू लेने की इससे ज़्यादा वैध तकनीकों की कोई कमी नहीं है।
तनाव साक्षात्कार के अलावा दूसरे तरीकों से भी नौकरी के लिए प्रासंगिक अनुभवों और तनाव की स्थितियों में आवेदक की प्रतिक्रियाओं के बारे में पूछा जा सकता है। ऐसे ज़हरीले इंटरव्यू दोधारी तलवार हो सकते हैं। अत्यधिक तनाव परीक्षणों से गुजरने वाले आवेदकों को कंपनी के सबसे बुरे विभाग में तैनात किया जाता है।
वे अपने अनुभवों को दूसरे संभावित आवेदकों के साथ साझा कर सकते हैं, या जैसा कि ब्लैंड के मामले में हुआ, वे वायरल सोशल मीडिया पोस्ट बना सकते हैं। इससे कंपनी को नकारात्मक प्रचार मिलता है और प्रतिभा आकर्षित करने की उसकी क्षमता को नुक़सान होता है।
ताक़तवर बॉस की फितरत
शत्रुतापूर्ण साक्षात्कार का एक प्रमुख घटक ताक़त है। श्वेत्ज़र कहते हैं कि जहां ऐसे इंटरव्यू होते हैं वहां के मैनेजर ऊंचे पदों पर और बड़े ताक़तवर होते हैं। "जब लोगों के पास सत्ता होती है तो वे दूसरे लोगों की राय लेना पसंद नहीं करते। इससे उनको नकारात्मक फ़ीडबैक कम मिलता है और उनकी धारणा बन जाती है कि वे जो कर रहे हैं वही सही है।"
ब्लैंड कहती हैं, "मेरी प्रतिभा और मेरे व्यक्तित्व के बारे में डीन की टिप्पणियों से नौकरी के लिए आवेदन करने का मेरा विश्वास डगमगा गया था, लेकिन अब मैं पहले से ज़्यादा मज़बूत महसूस करती हूं।" "मुझे अपने महत्व का अहसास है और किसी संभावित नियोक्ता से मैं इस तरह के व्यवहार की अपेक्षा नहीं करती।"