सोने के गहने ख़रीदते समय क्या आपने कभी ये सोचा है कि सोना आता कहाँ से है, और क्या इसकी सप्लाई हमेशा जारी रहेगी या ये कभी ख़त्म भी हो सकती है?
पिछले महीने सोने की क़ीमतों में रिकॉर्ड इज़ाफ़ा हुआ। सोने की क़ीमत 2000 डॉलर (क़रीब 1,60,000 रुपए) प्रति औंस हो गई।
क़ीमतों के बढ़ने के पीछे सोना व्यापारियों का हाथ था, लेकिन इसके साथ ही अब सोने की सप्लाई को लेकर बातें होने लगी है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या सोने की सप्लाई ख़त्म हो जाएगी?
सोने की ख़रीदारी निवेश के लिए स्टेटस सिंबल के तौर पर और कई इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल के लिए की जाती है।
पीक गोल्ड
जानकार 'पीक गोल्ड' के कॉन्सेप्ट की भी बात करते हैं। पिछले एक साल में लोगों ने अपनी पूरी क्षमता के मुताबिक़ सोना निकाल लिया है। कई जानकारों को लगता है कि वो पीक गोल्ड तक पहुँच चुके हैं।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक़ 2019 में सोने का कुल उत्पादन 3531 टन था, जो 2018 के मुक़ाबले एक प्रतिशत कम है। साल 2008 के बाद पहली बार उत्पादन में कमी आई है।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के प्रवक्ता हैना ब्रैंडस्टेटर बताते हैं, "खदान से होने वाली सप्लाई भले ही कम हुई है या आने वाले कुछ सालों में कम हो सकती है क्योंकि अभी जो खदान हैं उनका पूरी तरह इस्तेमाल हो रहा है और नए खदान अब कम मिल रही हैं, लेकिन ये कहना कि सोने का उत्पादन अपनी पीक पर पहुँच गया है, जल्दबाज़ी होगी।"
जानकार कहते हैं कि अगर 'पीक गोल्ड' आता भी है, तो ऐसा नहीं होगा कि कुछ ही समय में सोने का प्रोडक्शन बहुत कम हो जाएगा। ये गिरावट धीरे-धीरे कुछ दशकों में आएगी।
मेट्ल्सडेली।कॉम के रॉस नॉर्मन बताते हैं, "माइन प्रोडक्शन स्थिर हो गया है, इसमें गिरावट देखी जा रही है, लेकिन बहुत तेज़ी से नहीं।"
तो कितना सोना बचा है?
माइनिंग कंपनियाँ ज़मीन के नीचे छिपे सोने की मात्रा का अनुमान दो तरीक़ों से लगाती हैं:
•रिज़र्व- सोना जिसे निकालना किफ़ायती है
•रिसोर्स - वो सोना, जिसे भविष्य में निकालना किफ़ायती होगा या फिर निकालने के लिए ज़्यादा क़ीमत चुकानी होगी।
अमेरिका के जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक़ गोल्ड रिज़र्व अभी 50,000 टन है। अभी तक 190,000 टन गोल्ड की माइनिंग की जा चुकी है।
कुछ आँकड़ों के मुताबिक़ 20 प्रतिशत सोने का खनन अभी बाक़ी है। लेकिन आँकड़े बदलते रहते हैं। नई तकनीक की मदद से कुछ नए रिज़र्व से जुड़ी जानकरियाँ भी मिल सकती है, जिन तक पहुँचना अभी किफ़ायती नहीं है।
आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, स्मार्ट माइनिंग और बिग डेटा जैसी नई तकनीक की मदद से क़ीमतें कम की जा सकती है। कई जगहों पर रोबोट भी इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
दक्षिण अफ़्रीका का विटवॉटर्सरैंड दुनिया में सोने का सबसे बड़ा स्रोत है, दुनिया का 30 प्रतिशत सोना यहीं से आता है। चीन सबसे ज़्यादा सोने का खनन करता है। कनाडा, रूस और पेरू भी बड़े उत्पादक हैं।
नए सोने के खदानों की खोज जारी है, लेकिन वो बहुत कम मात्रा में मिल रहे हैं। इसलिए भविष्य में भी पुराने खदानों पर ही ज़्यादा निर्भर रहना होगा।
बड़े पैमाने पर खनन करना काफ़ी महंगा है, बड़ी मशीनें और कारीगरों की आवश्यकता होती है।
नॉर्मन बताते हैं, "खनन मुश्किल होता जा रहा, कई बड़े खदान, जहाँ खनन किफ़ायती है, जैसे जो दक्षिण अफ्रीका में हैं, अब वो ख़त्म होते जा रहे हैं।"
"चीन के सोने के खदान छोटे हैं इसलिए महंगे भी हैं।"
अभी बहुत कम ही ऐसे इलाके़ हैं, जहाँ सोना होने की उम्मीद है लेकिन खनन नहीं किया गया है, इनमें से कुछ ऐसे इलाक़ों में हैं, जहाँ अनिश्चितता बनी रहती है, जैसे अफ़्रीका के पश्चिमी इलाक़ों में।
अगस्त महीने में सोने की क़ीमतें उच्चतम स्तर पर पहुँच गई थीं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सोने के खनन में तेज़ी आ जाएगी। सोने के प्रोडक्शन का असर अमूमन उसकी क़ीमत पर नहीं पड़ता।
ब्रैंडस्टेटर कहते हैं कि इतने बड़े पैमाने पर काम होता है कि क़ीमतों पर तुरंत असर नहीं होता। इसके अलावा इस बात पर ध्यान देना ज़रूरी है कि कोविड-19 के कारण खनन पर भी असर पड़ा है, कई खदान बंद थे। क़ीमतों के बढ़ने के पीछे महामारी का हाथ है।
धरती पर कितना सोना बचा है, इसका सही अंदाज़ा लगा पाना तो मुश्किल है, लेकिन सोना चांद पर भी मौजूद है। लेकिन वहाँ से सोना निकालना और वहाँ से वापस लाना बहुत महंगा होगा।
अंतरिक्ष के जानकार सिनेड ओ सुलीवन कहते हैं, "वहाँ सोना मौजूद हैं लेकिन वहाँ से लाना किफ़ायती नहीं।" इसके अलावा अंटार्कटिका में भी सोना मौजूद होने की जानकारी है। सोना समुद्र के नीचे भी है, लेकिन वहाँ से भी निकालना किफ़ायती नहीं है।
लेकिन सोने के साथ एक अच्छी बात भी है। इसे रिसाइकल किया जा सकता है। बिजली से चलने वाले कई प्रोडक्ट्स में भी सोने का इस्तेमाल होता है। एक फ़ोन में इस्तेमाल होने वाले सोने की क़ीमत भी कुछ पाउंड हो सकती है।
इनसे भी सोना निकालने की कोशिशें हो रही हैं। इसलिए अगर सोना के खदान पूरी तरह ख़त्म नहीं होंगे।