Cricket World 2019 : धोनी हैं तो विश्व कप जीतना मुमकिन है

BBC Hindi
-विधांशु कुमार
 
वेस्टइंडीज के खिलाफ महेन्द्र सिंह धोनी ने 2 छक्के और 1 चौका लगाकर 56 रन बनाए जिसकी मदद से इंडिया ने 268/7 का सम्मानजनक स्कोर खड़ा किया। एक ऐसी पिच जिस पर बैटिंग आसान नहीं थी, ये पार स्कोर से कम स्कोर नहीं था और भारत को वेस्टइंडीज के खिलाफ 125 रनों की जीत मिली।
 
लेकिन मैच के बाद सोशल मीडिया और पारंपरिक मीडिया पर भी ये चर्चा होने लगी की धोनी की पारी बेहद धीमी थी और उन्हें तेज खेलना चाहिए था।
 
क्या ये धीमी पारी थी? : एक आंकड़ा देखते हैं जिससे हम अंदाजा लगा सकेंगे कि ये पारी कितनी धीमी या तेज थी। धोनी ने 91 की स्ट्राइक रेट से 56 रन बनाए। ये स्ट्राइक रेट सिर्फ पांड्या के 121 के स्ट्राइक रेट से कम थी। विराट कोहली ने 87 की स्ट्राइक रेट से रन बनाए। धोनी को हटाकर पूरी भारतीय टीम का स्ट्राइक रेट था 87। धोनी ने आखिरी ओवर में 2 छक्के लगाकर स्कोर को 268 तक पहुंचाया।
 
कोहली ने भी मैच के बाद कहा कि वे सोच रहे थे कि शायद 250 के आसपास का स्कोर होगा लेकिन जिस तरह धोनी ने स्ट्राइक अपने पास रखकर लास्ट ओवर में छक्के लगाए, उससे टीम का स्कोर 270 के करीब आ पाया।
कोहली ने की धोनी की तारीफ : विराट कोहली ने भी मैच के बाद धोनी की जमकर तारीफ की और उनकी आलोचना करने वालों को गलत ठहराया। कोहली मानते हैं कि धोनी 10 में से 8 बार अपनी बैटिंग से मैच फिनिश करते हैं, जो एक जबरदस्त रिकॉर्ड है।
 
कोहली ने कहा कि जब टीम को एक्स्ट्रा 15-20 रनों की जरूरत होती है तो धोनी लोवर ऑर्डर के साथ भी बखूबी ऐसा कर दिखाते हैं। कोहली ने कहा कि धोनी एक लीजेंड हैं और पिच पर कब और कैसे बैटिंग करनी है, वे खूब जानते हैं।
 
समय की मांग : इस विश्व कप में अगर भारतीय टीम में कोई कमजोरी है तो वो है मिडिल ऑर्डर की बैटिंग। नंबर 4 पर कौन खेले? इससे तो टीम इंडिया कम से कम 4 साल से जूझ रही है और जवाब अब तक नहीं मिला है।
 
फिलहाल विजय शंकर इस अत्यंत महत्वपूर्ण नंबर पर खेल रहे हैं। शंकर टीम के सबसे कम अनुभवी खिलाड़ी हैं, जो अहम बैटिंग रोल में हैं। वहीं केदार जाधव चोट के बाद वापसी कर रहे हैं और अगर उनकी बॉलिंग हटा दी जाए तो वे हर बार इस भारतीय टीम में शायद न खेल पाएं।
 
पारी की जरूरत के हिसाब से नंबर 4 से नंबर 7 के बीच कहीं पर हार्दिक पांड्या को मौका मिलता है, जो ताबड़तोड़ बैटिंग कर सकते हैं लेकिन टीम में वे सिर्फ एक बल्लेबाज की हैसियत से नहीं, बल्कि एक ऑलराउंडर के रोल में हैं।
 
ये एक ऐसा मिडिल ऑर्डर है जिसमें काफी दमखम तो है लेकिन अभी यहां खेल रहे सभी खिलाड़ियों ने खुद को पूरी तरह साबित नहीं किया है। ऐसे कम-अनुभव वाले मिडिल ऑर्डर में एमएस धोनी का किरदार कई गुना बढ़ जाता है। जब विराट कोहली आउट होते हैं तो जिस बल्लेबाज पर सबकी नजर जम जाती है, वो है महेंद्र सिंह धोनी।
 
वक्त की नजाकत के लिहाज से अपनी पारी को किस तरह ढालना है, ये शायद ही कोई धोनी से बेहतर जानता हो। धोनी लंबे समय तक क्रीज पर रहें और टीम को जीत की तरफ लेकर जाएं- यही उनसे उम्मीद है। अगर धोनी ने पिछली 2 पारियों में थोड़ा वक्त लिया है, तो वो भी टीम के लिए ही।
टीम में धोनी का रोल : लेकिन ये सिर्फ बैटिंग ही नहीं है जिसकी वजह से टीम में धोनी की इतनी जरूरत है। कितनी बार होता है, जब कोई कप्तान बांउड्री लाइन पर फील्डिंग करता है भारतीय टीम में लगभग हर मैच में, क्योंकि कप्तान कोहली को मालूम है कि विकेट के पीछे से धोनी लगातार गेंदबाजों से बात करते रहते हैं और फील्ड चेंज भी जरूरत पड़ने पर करते हैं।
 
टीम के स्पिनर्स युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव की सफलता में भी धोनी का सबसे बड़ा हाथ है। गेम को रीड करने में और बल्लेबाजों को पढ़ने में धोनी का कोई सानी नहीं है। वे समझ जाते हैं कि बल्लेबाज क्या करना चाह रहा है और उसी हिसाब से गेंदबाजों को बॉल डालने की सलाह देते हैं जिसका सीधा फायदा उन्हें मिलता है।

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