कंबोडिया की राजधानी नोमपेन्ह में मोटरबाइक टैक्सी हर तरफ दिख जाएंगी, लेकिन मोटरबाइक पर पर्यटकों को बैठाकर सैर कराती हुई महिलाएं यदाकदा ही दिखती हैं। जो ऐसा कर रही हैं उनके बारे में लोगों की राय अच्छी नहीं है। कात्या सेनगल ने एक ऐसी ही युवा उद्यमी से मुलाक़ात की जो इस स्थिति में बदलाव लाने की कोशिश कर रही हैं।
नोमपेन्ह के एक होटल में लोग जब लाल टीशर्ट और टाइट जिंस में 26 साल की रेनू चिया और उनकी सहयोगी 'दि मोटो गर्ल' टूर गाइड को देखते हैं तो उनके बारे में वो ग़लत राय बनाने लगते हैं।
रेनू कहती हैं, ''वो सोचते हैं कि हम अच्छी नहीं ख़राब लड़कियां हैं। यह कंबोडिया की एक ख़ास पहचान है जहां विदेशी पर्यटकों से जुड़ी महिलाओं को अक्सर ख़राब लड़की या देह व्यापार से जुड़ा मान लिया जाता है।'' रेनू की बहन 23 साल की राक्समी चिया कहती हैं, '' कभी-कभी जब हम पुरुषों के साथ बाहर जाते हैं तो लोग सोचते हैं कि यह सेक्स के लिए जा रही हैं।''
'दि मोटो गर्ल' टूर की वेबसाइट मोटरबाइक पर जवान और सुंदर महिला ड्राइवरों के साथ नोमपेन्ह की सैर कराने का ऑफर देती है। सभी ड्राइवर युवा और सुंदर हैं। इसलिए रेनू यह समझ नहीं पाती हैं कि इसका प्रचार लोगों को अटपटा क्यों लगता है।
नोमपेन्ह के 'सीएस ट्रेवल' के मालिक सिव चेंग कहते हैं, "इसमें अटपटा क्या है। कम से कम इस दक्षिण-पूर्व एशियाई देश में महिलाएं पर्यटकों को घुमा रही हैं।" वो कहते हैं कि आप देखेंगे कि अधिकतर मोटो ड्राइवर पुरुष हैं।
रेनू को इसका ख़्याल तब आया जब उन्हें उनकी एक आंटी ने थाईलैंड की उन छात्राओं के बारे में बताया जो मोटो टैक्सी चलाती हैं। हाई स्कूल के समय से मोटर बाइक चलाने और कॉलेज में अंग्रेज़ी पढ़ने वाली रेनू ने सोचा की पर्यटकों को शहर घुमाने का आइडिया पैसे कमाने का मज़ेदार ज़रिया हो सकता है। अकाउंट की पढ़ाई कर चुकी रेनू को इसमें व्यापार का एक अच्छा अवसर भी नज़र आया। देश के पर्यटन मंत्रालय के मुताबिक़ 2015 में 50 लाख पर्यटक कंबोडिया घूमने आए थे।
रेनू ने इस काम के लिए अपनी छोटी बहन और 22 साल की श्रेंच हार्म को नियुक्त किया। ये दोनों लड़कियां भी रेनू की ही तरह छरहरी और सुंदर हैं। कभी-कभी एक चौथी लड़की भी उनके साथ आ जाती है। 2016 के शुरू में पहले पर्यटकों को अपनी बाइक पर बिठाने से पहले इन लड़कियों को अपने परिवार को यह समझाना पड़ा कि इस काम में वो सुरक्षित रहेंगी।
हार्म के पिता इस बात के लिए चिंतित थे कि बाइक पर पीछे बैठा विदेशी उनकी बेटी को छू सकता है या कुछ और भी कर सकता है। उनका मानना था कि कुंवारी लड़कियों को यह काम नहीं करना चाहिए। अपनी प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए इन महिलाओं ने नियम बनाया कि पीछे बैठा पर्यटक गाइड को नहीं पकड़ेगा बल्कि सीट पर लगे हैंडलबार को पकड़कर बैठेगा।
जब उन्हें रात में या शहर से बाहर टूर पर जाना होता है तो वो एक साथ हो लेती हैं। हालांकि बड़े विदेशी पर्यटकों को घुमाने को लेकर उनके परिजन और दोस्त अभी भी चिंतित रहते हैं।
चार फ़ीट नौ इंच लंबी और 40 किलो वज़न वाली रेनू एक लंबी मोटो गर्ल हैं। उनकी वेस्पा स्कूटर का वज़न उनसे दो गुना ज़्यादा है, लेकिन वो उस समय परेशान हो जाती हैं जब लोग यह सोचते हैं कि वो स्कूटर या अधिक भार को संभाल नहीं पाएंगी।
कई साल तक वो अपनी वेस्पा पर लोगों का सामान उनके घरों तक पहुंचाकर अपने पिता की दुकान पर उनकी मदद करती रहीं। एक महिला के रूप में वो ख़ुद को सुरक्षित ड्राइवर मानती हैं। मीटो होटल के मैनेजर हॉंग ले भी इस पर सहमति जताते हैं।
वो कहते हैं, ''पर्यटक लड़कियों को पसंद करते हैं जो कि गाड़ी को धीमे चलाती हैं न कि ट्रैफ़िक में दाएं-बाएं चलने वालों को।'' ले अपनी टेबल पर मोटो गर्ल टूर का ब्रॉशर भी रखते हैं।
ऑस्ट्रेलिया की 31 साल की वकील चैनल सिंक्लेयर 2016 के वसंत में अकेले नोमपेन्ह घूमने आईं तो महिला टूर गाइड पाकर वो बहुत खुश और आश्वस्त हुई थीं। मोटो गर्ल की बेहतरीन सर्विस से बहुत खुश होकर उन्होंने तीन बार उनकी सेवाएं लीं। रेनू सिंक्लेयर जैसी और महिला पर्यटक इन महिला मोटो गर्ल की सेवा लेना चाहती हैं, लेकिन अधिकांश पर्यटक 50 से अधिक के ग्रुप में होते हैं या फिर अधिकतर पुरुष ग्राहक होते हैं।
स्कॉटिश फ़ोटोग्राफ़र 44 साल के रॉस केनेडी ने मार्च 2016 में मोटो गर्ल की सेवाएं लीं। उनके फ़ोटो शूट को वास्तविक माहौल उपलब्ध कराने के लिए हॉर्म उन्हें शहर के बाहरी इलाक़े में ले गईं जहां उनके पिता का परिवार रहता था। उन्होंने स्थानीय लोगों की सलाह ली।
केनेडी के टूर की शुरुआत सुबह एक शादी में जाने और अंत दोपहर में होने वाली बौद्ध आशीर्वाद प्रार्थना सभा से हुई। उन्होंने कंपनी को भेजे एक ईमेल में लिखा, ''ये कुछ ऐसी स्मृतियां थीं जिन्होंने यात्रा को यादगार बना दिया।''
मोटो गर्ल ख़ुद को अलग दिखाने का प्रयास करती हैं। वो हर तरह की सूचनाओं से लैस एक ऐसी गाइड हैं जो अपने ग्राहक से कंबोडिया की कला, इतिहास और संस्कृति पर चर्चा भी कर सकती हैं।
इन ड्राइवरों के लिए केवल सही जगह की पहचान करना ही चुनौती नहीं है। उन्हें कुछ सांस्कृतिक भिन्नताओं का भी सामना करना पड़ता है। जैसे कि एक भारतीय ग्राहक जिसने अपना सिर हिलाते हुए हां कहा और रेनू ने उसे ग़लती से ना समझ लिया या न्यूज़ीलैंड से आया एक पर्यटक सड़क पर मुर्गा देखकर चीखने लगा था।
एक ऐसा मौका भी आया जब रेनू और उनका एक ग्राहक नेशनल म्यूज़ियम देखने में इतने मशगूल हुए कि वो म्यूज़ियम बंद होने का अलार्म नहीं सुन पाए। रेनू ने जब अपनी घड़ी में समय देखा तो साढ़े पांच बज रहे थे, यानि म्यूज़ियम आधा घंटा पहले ही बंद हो चुका था। जब वो गेट पर पहुंचे तो उनके ग्राहक ने कहा कि अगर वो उन्हें बाहर निकाल देती हैं तो वो उनके साथ एक और टूर बुक करेंगे। यह सुनकर रेनू ने कहा ठीक है।
बंद दरवाजे को देखकर लगा कि अब निकलना मुश्किल है। लेकिन वहां काम कर रहे कुछ मज़दूर एक सुरक्षा गार्ड को खोजकर लाए जिसने उन्हें वहां से बाहर निकाला। रेनू के उस ग्राहक ने अपना वादा निभाते हुए एक और टूर बुक किया।
हॉर्न कहती हैं कि ड्राइविंग अपने आप में एक परेशानी है। बहुत से यात्री मोटरबाइक पर बैठने के बारे में नहीं जानते हैं। कई बार जब उन्हें दाएं झुकना होता है तो वो बाएं झुक जाते हैं।