सूक के मुताबिक, "वो नदी ज़्यादा चौड़ी नहीं है लेकिन उसकी धार बहुत तेज़ है। मैंने एक बार वापस मुड़कर नदी से बाहर जाने की कोशिशि की लेकिन उसकी तेज़ धार में मुझे 20 मीटर अंदर धकेल दिया। नदी बहुत गहरी थी, पानी मेरे सिर तक पहुंच रहा था।"
सूक ने बताया कि उन्हें तैरना नहीं आता, वो बस बहती हुई चीन तक पहुंच गईं। सूक ने मुताबिक, "मैं किसी तरह हाथ-पैर मारकर खुद को किनारे तक ले जाने की कोशिश कर रही थी। कुछ सैनिकों ने मुझे देखा और पकड़ने की कोशिश की। मुझे देखकर वो चिल्लाए- वहां पर कोई है।" सूक ने बताया कि वो उन्हें पकड़ना चाहते थे लेकिन नदी की धार इतनी तेज़ थी कि वो उस तक नहीं पहुंच पाए।
"मेरे सारे कपड़े नदी की तेज़ धार के कारण फट गए थे। मुझे पता था कि मुझे रोशनी की तरफ जाना है लेकिन मैं रास्ते में ही बेहोश हो गई। पहाड़ से रोड की दूरी ज़्यादा नहीं थी लेकिन रेंगते हुए मुझे पहुंचने में तीन घंटे से अधिक लग गए। मुझे कुछ नज़र नहीं आ रहा था।" सूक के मुताबिक जब उनकी आंख खुली तो वो एक चीनी के घर पर थीं।