रियलिटी शो की दुनिया में हारने-जीतने, हँसने-रोने और लड़ने-झगड़ने के पीछे की कहानी

BBC Hindi
मंगलवार, 2 मई 2023 (08:00 IST)
विकास त्रिवेदी, बीबीसी संवाददाता, मुंबई से
Reality show : एक रियलिटी शो चल रहा है। मंच पर एक लड़का माइक लिए खड़ा है। इस रियलिटी शो में लड़के का ये अंतिम दिन है। सबको लग रहा था कि ये लड़का जीतेगा। लेकिन शो में कहा गया कि दूसरों की तुलना में इस लड़के को लोगों ने वोटिंग में कम पसंद किया। लिहाज़ा- बाहर!
 
कुछ साल बीतते हैं। यही लड़का एक बार फिर मंच पर आता है। माइक पर जैसे ही ये लड़का गाता है- ''मुझको इतना बताए कोई, कैसे तुझसे दिल ना लगाए कोई...'' ये सुनते ही मंच से बाहर मौजूद इस लड़के को पसंद करते हज़ारों, लाख लोगों को भीड़ चिल्लाने लगती है- अरिजीत, अरिजीत, लव यू अरिजीत... यही अरिजीत सिंह 2005 में रियलिटी शो 'फ़ेम गुरुकुल' से हारकर बाहर हुए थे।
 
तब से लेकर अब तक जब-जब कोई रियलिटी शो हुआ है और कोई कलाकार या प्रतियोगी जीता या हारा है, एक सवाल कुछ लोगों ने ज़रूर पूछा है।
 
रियलिटी शो के पीछे की कहानी क्या है?
रियलिटी शो पर सवाल उठाने वालों में शो में हिस्सा ले चुके प्रतियोगी भी शामिल रहे हैं। जैसे-
तो रियलिटी शो की दुनिया में जो दिखता है, वही सच है या फिर सच कुछ और ही है?
 
इस सवाल का जवाब जानने के लिए हम उसी मुंबई पहुँचे, जहाँ होने वाले किसी रियलिटी शो के लिए जब किसी को चुना जाता है तो कहा जाता है- ''तू मुंबई आ रहा है।''
 
रियलिटी शो की इस कहानी में हम जानेंगे कि रियलिटी शो भारत में कब आए, कैसे छाए और आप रियलिटी शो में जो देखते हैं, वो सच के कितने क़रीब?
 
फिर चाहे नेहा कक्कड़ के आँसू हों या सलमान ख़ान का ग़ुस्सा। अनु मलिक का 'तू आग लगा देगा' कहना हो या फिर रियलिटी शो में राजनीतिक एजेंडा फैलाने के आरोप।
 
रियलिटी शो होते क्या हैं?
मुंबई की फ़िल्म सिटी। कॉमेडी का 'द कपिल शर्मा शो' शूट हो रहा है। शो देखने जिन आम लोगों को जाना है, उनको फ़ोन साइलेंट पर करने के लिए कहा जा रहा है। ये शो ज़्यादातर शाम से रात तक शूट होता है और चार-पाँच घंटे की दो शिफ़्ट में शूट पूरा हो पाता है।
 
स्टूडियो से बाहर कई वैनिटी वैन खड़ी हैं। शो में हिस्सा लेने आई हस्तियों को क्रिएटिव टीम के लोग हाथ में कागज लिए कुछ-कुछ समझा रहे हैं।
 
ये समझा रहे लोग ही तय करते हैं कि कोई रियलिटी शो कितना ज़्यादा मनोरंजक होगा और इसे कैसे हासिल करना है?
 
लेकिन रियलिटी शो होते क्या हैं? टीवी के दर्शक इस सवाल का जवाब देंगे- बिग बॉस, कौन बनेगा करोड़पति, डांस इंडिया डांस, नच बलिए, इंडियन आइ़डल...यानी वो शो जहाँ सब कुछ असली हो।
 
टीवी चैनलों की क्रिएटिव टीम हेड कर चुके लोगों से पूछेंगे तो जवाब होगा- रियलिटी शो जैसा कुछ नहीं होता है, ये सब जो आप इनमें देखते हैं ये अनस्क्रिपेटेड कंटेंट कहलाते हैं। जो जैसा है, उसे कैमरे में क़ैद किया और बाद में एडिट करके दिखा दिया।
 
अनस्क्रिप्टेड में दो चीजें आती हैं। पहली डॉक्यूमेंट्री। दूसरे- रियलिटी शो।
 
रियलिटी शो भी कई तरह के होते हैं-
दुनिया का पहला टीवी रियलिटी शो 'कैंडिड कैमरा' माना जाता है। 1948 में आए इस शो में हिस्सा लेने वाले लोगों को किसी अकल्पनीय या अजब-गजब स्थिति में छोड़ा जाता था और फिर प्रतिक्रियाएँ कैमरे में क़ैद करके प्रसारित करते थे। जैसे- किसी बच्चे के सामने अचानक मोहम्मद अली को लाकर खड़ा करना और प्रतिक्रियाएँ दिखाना।
 
दुनिया में सबसे लंबे वक़्त तक चलने वाले रियलिटी शो का नाम 'कॉप्स' है। 1989 में शुरू इस शो का अभी 35वाँ सीजन चल रहा है।
 
भारत के शुरुआती रियलिटी शो में कुछ का ज़िक्र ज़रूरी है।
 
भारत में रियलिटी शो का बूम
भारत में रियलिटी शो की दुनिया साल 2000 के बाद तब तेज़ी से बदली, जब अमिताभ बच्चन ने 'कौन बनेगा करोड़पति' शो से छोटे पर्दे पर एंट्री ली। 
 
एक विदेशी शो के इस शुद्ध हिंदी परिवारिक वर्जन ने टीवी के रास्ते जल्द लोगों के दिल में जगह बना ली। किसी के सपनों को पूरा होते देख अक्सर दूसरों के सपनों की भी कोपलें फूटती हैं।
 
'कौन बनेगा करोड़पति' शो की बढ़ती लोकप्रियता और इनाम में मिलती रकम से आई ख़ुशियाँ इसका उदाहरण थीं। शो में जाकर या देखकर, लोग किसी न किसी तरह केबीसी से जुड़े रहते। फिर 2004 में 'अमेरिकन आइडल' की तर्ज पर 'इंडियन आइडल' की शुरुआत हुई। देश के अलग-अलग हिस्सों से काबिल सिंगर चुने जाने लगे।
 
लेकिन रियलिटी शो की दुनिया में जिस एक शो ने सबसे अलग जाकर अपना नाम लिखा, वो था- 'बिग ब्रदर' की तर्ज़ पर भारत में आया 'बिग बॉस'। ये वही 'बिग ब्रदर' शो था, जिसमें रेसिस्ट टिप्पणी झेलने के बाद चर्चा में आईं शिल्पा शेट्टी विनर बनी थीं और एक तरह से शो बिज़ में कमबैक किया था।
 
इस वक़्त जब आप इस लाइन को पढ़ रहे हैं, तब भी भारत में कोई न कोई रियलिटी शो शायद शूट हो रहा होगा। भारतीय टीवी, ओटीटी, यू-ट्यूब के बड़े बाज़ार में अब हर तरह के रियलिटी शो उपलब्ध हैं।
 
बच्चों और बड़ों के डांस, खाना पकाने, ख़तरों से जूझते, सेलेब्रिटी जोड़ियों को साथ दिखाते, मोहब्बत तलाशते, घर में महीनों बिताते, सवालों के जवाब देते और यहाँ तक कि स्वयंवर शो, जिसमें किसी हस्ती की विधिवत मंत्रों के साथ तो नहीं, लेकिन लाइट, कैमरा, एक्शन के साथ 'अरेंज मैरिज' दिखाई गई।
 
अब रियलिटी शो कई भारतीय भाषाओं में भी बनने लगे हैं। 'ज़ी' पर ऐसा ही एक मराठी रियलिटी शो 'चला हवा येऊ द्या' है। ये शो लगभग हज़ार एपिसोड पूरा करने के क़रीब है।
 
कुछ रियलिटी शो ने भारत को कई बड़े सितारे भी दिए। जैसे- 'एमटीवी रोडीज़' से निकले आयुष्मान ख़ुराना या फिर डीडी नेशनल में 'मेरी आवाज़ सुनो' शो जीतने वालीं सुनिधि चौहान।
 
रियलिटी शो: मौलिकता पर भावुकता हावी?
ये कितनी ही बार देखा गया कि रियलिटी शो में भावुकता का एंगल काफ़ी दिखाया जाता है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या भावुकता दिखाने के चक्कर में मौलिकता ख़त्म हो जाती है?
 
भारत में रियलिटी शो की दुनिया को खड़ा करने वालों में आशीष गोलवलकर एक बड़ा नाम हैं। सोनी, ज़ी, स्टार टीवी समेत कई चैनलों में वो नॉन फ़िक्शन यानी रियलिटी शो के हेड रह चुके हैं।
 
डांस इंडिया डांस, सुपर डांसर, शाबाश इंडिया, सलमान ख़ान की होस्टिंग वाले शो दस का दम, कौन बनेगा करोड़पति के कई सीज़न, सारेगामापा का नया वर्जन, अमिताभ बच्चन का 'आज की रात है ज़िंदगी' शो, मास्टर शेफ़, नच बलिए, द कपिल शर्मा शो, शार्क टैंक, इंडिया गॉट टैलेंट समेत कई शो शुरू करने या चलाने वाली टीम का आशीष गोलवलकर प्रमुख हिस्सा रहे हैं।
 
आशीष गोलवलकर कहते हैं, ''टैलेंट हंट शो एक प्लेटफ़ॉर्म होता है न कि रोज़गार की गारंटी। शो का काम है- टैलेंट दिखाना। टैलेंट और कंटेंट दोनों चीज़ें होती हैं। लेकिन सबसे पहला फ़िल्टर टैलेंट होता है। दूसरा फ़िल्टर है कि कौन कहाँ से आ रहा है। फ़र्श से अर्श तक जाने वाली कहानियाँ लोगों को प्रेरणा देती हैं। माइक और कैमरा रिश्वत नहीं लेते। मेरी कहानी भयंकर वाली है, लेकिन मेरी आवाज़ ख़राब है तो क्या मैं रियलिटी शो में जाकर गाना गा सकता हूँ?''
 
रियलिटी शो का सोशल मीडिया पर मज़ाक भी उड़ाया जाता है कि अगर कोई प्रतियोगी ग़रीब या संघर्ष भरी कहानी वाला नहीं है, तो वो ज़्यादा दिन टिक नहीं पाएगा।
 
कई रियलिटी शो में जज रह चुके संगीतकार अनु मलिक कहते हैं, ''12 साल की प्यारी सिंगर बच्ची ज्ञानेश्वरी, जिसके पिता ऑटो चलाते हैं या पंजाब के गाँव से आया अनाथ लड़का। ये कहानियाँ मनगढ़ंत नहीं, असली हैं। ये सामने लाई जाती हैं क्योंकि इससे जनता की आँखों में आँसू भी आते हैं और प्रेरणा भी मिलती है। मैसेज जाता है कि इंसान के पास कला हो तो वो किसी भी हालात में कैसे भी आगे बढ़ सकता है।''
 
ज़्यादा ज़रूरी क्या- काबिलियत या संघर्ष भरी कहानी?
''मिट्टी को इतना कसकर पकड़ना कि ज़मीन नहीं खिसकनी चाहिए। भले ही कितना बाढ़, तूफ़ान आ जाए।'' ''माँ, मैं घर से भागा था रात के अंधेरे में... लेकिन जब आऊँगा, तो अपने साथ रौशनी लेकर आऊँगा"। खाना डिलिवर करने वाले प्रतियोगी दिबॉय दास 'इंडियाज़ बेस्ट डांसर' रियलिटी शो शूट होने से पहले अपनी पहचान बताए जाने को लेकर सहज नहीं थे। लेकिन शो में दिबॉय की कहानी भी दिखाई गई और ऊपर लिखी लाइनें भी दिबॉय ने बोलीं।
 
हमने पता किया कि क्या ये लाइनें क्रिएटिव टीम ने लिखी थीं? शो से जुड़े लोगों ने इससे इनकार किया और कहा कि कई बार शो में शामिल होने वाले लोग ख़ुद इतना अच्छा सोचते या लिखते हैं कि कुछ लाइन देने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती।
 
कई डांस वाले रियलिटी शो में जज रहे टेरेंस लुईस बोले, ''क्रिएटिव टीम का ये रहता है कि अगर किसी बंदे की इमोशनल यात्रा है तो उसका कैरेक्टर स्कैच बनता है। लेकिन किसी का चुनाव डांस के आधार पर होता है न कि कहानी के आधार पर। चुने हुए लोगों की कहानी क्रिएटिव टीम खोजती है। कई बार इमोशनल नहीं, मज़ाकिया कहानी भी होती है। अगर कोई ग़रीब नहीं है या किसी के माँ-बाप नहीं मरे हैं, तो झूठ नहीं बोला जाएगा क्योंकि ऐसा करेंगे तो आप पकड़े जाएँगे। कहानी का सच्चा होना ज़रूरी है। लेकिन इस तरह से पूछा जाता है ताकि कहानी ढंग से बाहर निकले, उस हद तक ये स्क्रिप्टेड होती है। ''
 
जिनका संघर्ष नहीं पर काबिलियत ख़ूब, क्या ऐसे लोगों की कहानियाँ नहीं होतीं या वो रियलिटी शो में ज़्यादा दिखाए जाने के काबिल नहीं?
 
अनु मलिक बोले, ''वो बच्चे भी आगे बढ़ते हैं। अब अगर कोई अच्छे घर में पैदा हो गया तो हम मना थोड़ी कर देंगे। या ऐसा भी हुआ है कि किसी की कहानी बहुत रुला देने वाली थी पर वो काबिलियत ना होने से आगे नहीं बढ़ पाया। अंत में कला ही आपको आगे ले जाएगी।''
 
टेरेंस लुईस कहते हैं, ''मुझे एक जज की कुर्सी दी गई है। मैं इंसानी तौर पर जुड़ सकता हूँ, जज के तौर पर नहीं। क्योंकि ये ज़रूरी है उन लोगों के लिए, जो काबिल हैं लेकिन कहानी इमोशनल नहीं है।''
 
दिबॉय दास 'इंडियाज़ बेस्ट डांसर' शो में जीत नहीं पाए थे। लेकिन उनके संघर्ष की कहानी वाला वीडियो यू-ट्यूब पर लाखों व्यूज़ जीत रहा है।
 
आँसू तो ठीक। लेकिन रियलिटी शो में जो मज़ाक उड़ाया जाता है, वो हँसी पहले से तय होती है?
 
टेरेंस ने बताया, ''हम पर जो चुटकुले बोले जाते हैं, वो लिखे जाते हैं। हमें बताया नहीं जाता कि क्या मज़ाक होगा पर हमें हिस्सा लेना होता है। कुछ हद तक कॉमेडी स्क्रिप्टेड होती है।''
 
कई बार रियलिटी शो में ये भी देखा जाता है कि अचानक उमड़ी भावुक प्रतिक्रियाओं को दर्ज करने के लिए कैमरा मौजूद रहता है। कुछ वक़्त पहले ऑटो चलाने वाले की सिंगर बेटी ज्ञानेश्वरी के घर अनु मलिक गए थे, साथ ही चैनल के कैमरे भी गए थे।
 
अनु मलिक बोले, ''रियलिटी शो में जो जैसा घट रहा होता है, वो सब कैमरे में दर्ज किया जाता है। अगर मैं शो में कहता हूँ कि मैं ज्ञानेश्वरी के घर जाऊँगा, तो ये (क्रिएटिव टीम) कहते हैं कि कैमरा आपको फ़ॉलो करेगा। ताकि ये साबित हो कि आपने कहा था और आप घर गए भी। जनता को ये दिखाया जाए। ऐसे में कैमरा फ़ॉलो करेगा ही। क्रिएटिव टीम की ओर से कुछ नहीं कहा जाता।''
 
वोटिंग सिस्टम सही से काम करता है?
ज़्यादातर रियलिटी शो में वोटिंग के आधार पर विजेता चुने जाते हैं। 2007 में इंडियन आइडल-3 दार्जिलिंग में रहने वाले भारतीय नेपाली सिंगर प्रशांत तमांग ने जीता था। प्रशांत तमांग को तब सात करोड़ वोट मिले थे। प्रशांत ने मेघालय के अमित पॉल को हराया था।
 
इस वोटिंग का असर ये रहा कि शो में विजेता का एलान होते ही शिलॉन्ग में नेपालियों पर हमले शुरू हुए। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, पाँच लोग घायल भी हुए थे।
 
वोटिंग का बाज़ार कभी इतना बड़ा था कि इससे करोड़ों की कमाई भी होती थी। रियलिटी शो पर ये आरोप लगते रहे हैं कि विजेता सिर्फ़ वोटिंग के आधार पर नहीं चुने जाते हैं।
 
साथ ही ये भी कहा जाता है कि प्रतियोगी ही धन-बल का इस्तेमाल करके अपने पक्ष में वोटिंग करवा लेते हैं। इससे जो असल काबिलियत होती है, वो पीछे छूट जाती है।
 
आशीष गोलवलकर कहते हैं, ''चैनलों में ऑडिटर होते हैं जो रिजल्ट को ऑडिट करते हैं। कोई किसी की तरफ़दारी कर ही नहीं सकता। किसी को जिताकर अगर कोई फ़ायदा नहीं तो कोई ये काम करेगा ही क्यों?''
 
ऐसा नहीं है कि रियलिटी शो में जीतने वाले ही सफल होते हैं। रियलिटी शो में ना जीतने वाले लोगों को भी सफलता या पहचान मिलती है।
 
अनु मलिक ने कहा, ''जीतना वोट और नसीब पर तय करता है। जिसको ज़्यादा वोट मिलते हैं, वही आगे बढ़ पाता है। इंडियन आइडल, सारेगामापा जैसे प्लेटफ़ॉर्म्स की वजह से कितने लोगों को पहचान मिल रही है। इन शो के कारण कितने लोग रोटी कमा पाते हैं।''
 
वोटिंग में एक अहम पैमाना वो कैंपेन में भी होता है, जिसमें किसी प्रतियोगी की स्थानीय पहचान को ख़ूब पेश किया जाता है।
 
ऐसे चैनल की ओर से भी होता है और कई बार प्रतियोगी की ओर से भी होता है।
 
कुछ वक़्त पहले कंगना रनौत की होस्टिंग वाले शो लॉकअप में मुनव्वर फ़ारूक़ी ने ख़ुद की डोंगरी वाली पहचान को ख़ूब पेश किया था। ये शो मुनव्वर जीते भी थे।
 
ऐसी पहचानों को मिलते फ़ायदों पर टेरेंस लुईस कहते हैं, ''कुछ राज्य बहुत इमोशनल हैं। जैसे- नॉर्थ ईस्ट, बंगाल, गुजरात या कोई छोटे शहर से आए, तो वहाँ के लोग गर्व महसूस करते हैं और ज़बरदस्त वोटिंग करते हैं। क्योंकि हमारा देश इमोशनल है और जो सही हैं, उनको वोट नहीं करेंगे। जो लोग कहते हैं कि भेदभाव हो गया, उनसे पूछो कि ख़ुद वोट किया या नहीं। इमोशनल इंसान सही वोट नहीं करेगा। हम जानते हैं कि इस देश में वोटिंग बहुत पक्षपात के साथ होती है। मैं कई बार टीवी वालों से लड़ता हूँ कि जज क्यों नहीं चुनते विजेता, जनता क्यों चुनती है? विदेशों में जज तय करते हैं। तब हम काबिल इंसान को जिताते हैं न कि इस बात पर कि कौन किस राज्य से है या किसकी माँ का सपना था।''
 
रियलिटी शो में जज कैसे चुनते हैं और कितने पैसे देते हैं?
जब कभी कोई रियलिटी शो बनता है, तो जजों और होस्ट का चुनाव शुरुआत से अंत तक अहम होता है। लेकिन ये चुनाव कैसे होता है और इसके लिए कितने पैसे दिए जाते हैं?
 
आशीष गोलवलकर ने बताया, ''हर शो की पर्सनालिटी होती है। जब हमने डांस इंडिया डांस बनाया तो मिथुन चक्रवर्ती को चुना। क्योंकि डांस पर उनकी एक विरासत है, उनकी भी एक संघर्ष वाली कहानी है। हमने उनको ग्रांड मास्टर बनाया। जो ट्रेनिंग देने वाले मास्टर्स को सुपरवाइज करेंगे। बाक़ी के जज डांस की कई फ़ॉर्म्स को रिप्रेजेंट करते थे।''
 
जजों को चुने जाते वक़्त बजट भी अहम होता है। ऐसे में अगर किसी जज को चुना जा रहा है, तो सिर्फ़ ये ज़रूरी नहीं है कि वो इस शो में जज बनने के काबिल है या नहीं। ज़रूरी ये भी है कि क्या वो बजट में आ रहा है या नहीं? किसी रियलिटी शो में जज एक एपिसोड के कई बार करोड़ रुपए तक लेते हैं।
 
टीवी इंडस्ट्री से जुड़ीं एक हस्ती ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया, ''अगर आप सलमान, शाहरुख़, अमिताभ बच्चन जैसे ए लिस्ट स्टार्स की बात करें तो इनके चार्ज काफ़ी ज़्यादा होते हैं। किसी शो को पेश करने के लिए एक सेलेब्रिटी एंकर को 25 हज़ार रुपए से लेकर ढाई करोड़ रुपए तक दिए जाते हैं। इसका कोई रेंज नहीं है।''
 
लेकिन इतने पैसे लगाने का कोई फ़ायदा होता है? वो कहती हैं, ''अगर मुनाफ़ा ना हो तो ये शो बंद ही हो जाएँगे। जिस भी शो के दो से ज़्यादा सीज़न हुए हैं, समझ लीजिए कि वो सारे शो फ़ायदे में हैं।'' हालाँकि हाल के सालों में टीवी का ऑडियंस काफ़ी कम हुआ है। इसकी एक वजह- फ़ोन और ओटीटी का बढ़ना भी है।
 
टीवी में काम कर रही एक जूनियर प्रोड्यूसर कहती हैं, ''टीआरपी कम हो रही है। टीवी का ऑडियंस भी कम हो रहा है। क्योंकि सीरियल या शो से ज़्यादा ड्रामा न्यूज़ चैनल दिखा रहे हैं, तो लोग उधर शिफ्ट हो रहे हैं। असली रियलिटी शो उधर हैं।''
 
जजों की प्रतिक्रिया कितनी रियल होती है?
अर्चना पूरन सिंह की हँसी, नवजोत सिंह सिद्धू का 'ठोको ताली' कहना और नेहा कक्कड़ के आँसू। रियलिटी शो के जजों की प्रतिक्रियाएँ भी चर्चा में रहती हैं।
 
आशीष गोलवलकर कहते हैं, ''एक शो में कई घंटे का शूट होता है। आप जो देखते हैं, वो उसका छोटा एडिटेड वर्जन होता है। अगर आपको कोई रोता हुआ दिखा है तो ऐसा नहीं है कि वो एकदम से रोया है। उसकी एक प्रक्रिया होती है। दुर्भाग्य से आप प्रक्रिया नहीं देख पाते हैं तो आपको लगता है कि ये अभी रोई थी और अब फिर रो रही है। हक़ीक़त में ऐसा नहीं होता है। ये व्यक्ति पर निर्भर करता है। आप गीता को कोई फ़िल्म दिखा दो, वो उसमें रो देंगी। नेहा कक्कड़ के साथ भी ऐसा है। टेरेंस लुईस आज तक नहीं रोया होगा।''
 
अक्सर जजों की कही लाइनें भी वायरल हो जाती हैं। फिर चाहे हिमेश रेशमिया का 'मुझे तेरे घर में रोटी चाहिए' कहना हो या मिथुन चक्रवर्ती का ''क्या बात, क्या बात, क्या बात'' कहना हो।
 
अनु मलिक की कही एक लाइन 'आग लगा देगा' भी चर्चा में रहती है। अनु मलिक से मैंने पूछा कि जब आपने ये 'आग लगा देगा' वाली लाइन कही थी, तो ये क्रिएटिव टीम ने लिखकर दी थी या आपका अपना ओरिजनल रिएक्शन था?
 
अनु मलिक ने कहा, ''मेरी जितनी भी चीज़ें होती हैं, मेरी होती हैं। मेरे दिल से जो बातें निकलती हैं, वो मेरी होती हैं। जब ये पल आया था, तो अचानक मैंने बोला- आग लगा दी, आग लगा दी, आग लगा दी। क्रिएटिव टीम बोली कि ये तो कमाल और कोई नई चीज़ है।''
 
लेकिन कई बार रियलिटी शो के जजों, होस्ट का गुस्सा और दखल भी सवालों के घेरे में रहता है। बिग बॉस के होस्ट सलमान ख़ान ऐसी प्रतिक्रियाओं के लिए जाने जाते हैं।
 
बिग बॉस शो के प्रोडक्शन से जुड़े एक व्यक्ति ने हमें बताया, ''सलमान ख़ुद एपिसोड देखते हैं और उनकी अपनी भी राय होती है। फिर सलमान के साथ जो चर्चा होती है वो पूरी टीम तैयार करती है। जब वो किसी मुद्दे पर बार-बार छेड़ते हैं तो वो कहा जाता है। लेकिन जब वो बिग बॉस के घर के सदस्यों से बात कर रहे होते हैं, वो सब रियल होता है। मुद्दे रचे जा सकते हैं, प्रतिक्रियाएँ नहीं।''
 
अनु मलिक बोले, ''पहले मुझे ग़ुस्सा आता था, लेकिन मैंने अपने आपको टोन डाउन किया है।''
 
रियलिटी शो के रियल होने पर सवाल
किशोर कुमार के बेटे अमित कुमार भी इंडियन आइडल के एक स्पेशल शो में नज़र आए थे।
 
अमित कुमार ने शो के बाद कहा था कि शो में सबको अच्छा-अच्छा बोलने के लिए कहा जाता है। तब ये ख़बर काफ़ी चर्चा में रही थी और सोनू निगम ने भी इस पर कहा था कि अमित कुमार सीधे सादे आदमी हैं, ये मामला चैनल और अमित कुमार को आपस में बात करके सुलझा लेना चाहिए।
 
हालाँकि बाद में अमित कुमार एक बार फिर इंडियन आइडल में दिखाई दिए थे। हमने अमित कुमार, सोनू निगम से बात करने की कोशिश की, लेकिन इस कहानी को लिखे जाने तक उनकी प्रतिक्रिया नहीं आ सकी है।
 
आशीष गोलवलकर कहते हैं, ''जो है अगर वैसा ही लेना है, तो इसका तरीक़ा है- डॉक्यूमेंट्री बनाना। हम रियलिटी शो बनाते हैं लोगों को हौसला देने के लिए न कि किसी को नीचा दिखाने के लिए। अमित कुमार जी से अगर ये कहा गया होगा कि सबकी तारीफ़ करो, तो ये नहीं कहा गया होगा कि किसी एक की तारीफ़ करो और किसी एक की वाट लगा दो। कोशिश रहती है कि सबका उत्साह बनाया रखा जा सके। ''
 
'बूगी वूगी' शो के जज रहे जावेद जाफ़री ने एक इंटरव्यू में कहा था, ''बूगी वूगी में कोई स्क्रिप्ट नहीं होती थी। हम फ़्लो के साथ जाते थे। तब इस बात पर फ़ोकस नहीं रहता था कि कोई अमीर है या ग़रीब। लेकिन आज के रियलिटी शो ऐसे हैं कि तू मेरी पीठ खुजा, मेरी तेरी पीठ खुजाऊँ। कई बार चीज़ें बहुत मनगढ़ंत होती हैं, लेकिन जो काबिल हैं, वो सामने आ ही जाएँगे।''
 
टैलेंट हंट शो से इतर रियलिटी शो बिग बॉस ज़्यादातर विवादों के लिए जाना जाता है। आरोप ये भी लगता है कि इस शो में दिखने वाली लड़ाइयाँ, मोहब्बत सब स्क्रिप्टेड हैं।
 
ऐसी ही एक लड़ाई काफ़ी चर्चा में रही थी, जिसमें डॉली बिंद्रा ने चिल्लाकर कहा था- ऐ बाप पर जाना नहीं...
 
बिग बॉस शो की प्रोडक्शन टीम का हिस्सा रहने वाले एक व्यक्ति ने बताया, ''जनता को वो दिखाया जाता है, जो देखना है। लड़ाई तो दिखाई जाती है पर जो फ़ौरन बाद समझौता हो जाता है, वो नहीं दिखाया जाता है।''
 
वो बोले, ''गाली, लड़ाई, मोहब्बत कुछ भी मनगढंत नहीं है। इस बारे में शो में हिस्सा लेने वालों से कुछ नहीं कहा जाता है। ये लोग जानते हैं कि लोग क्या देखना चाहते हैं। हम सबकी तरह ये लोग पिछले सीजन देख चुके हैं और जानते हैं कि जनता को क्या भाता है। 24 घंटे की रिकॉर्डिंग से एक घंटे का एपिसोड निकाला जाता है, जो ऑन एयर जाता है। तो सिर्फ़ मसाला दिखाया जाता है।''
 
लेकिन शो में जिन लोगों को लिया जाता है, वो कैसे चुना जाता है? जवाब मिला:-
 
राजनीति रियलिटी शो में कितना असर डालती है?
कुछ दिन पहले इंडियन आइडल का ख़िताब अयोध्या के ऋषि सिंह ने जीता। सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने इसे अयोध्या में बन रहे राम मंदिर और सियासत से जोड़कर देखा।
 
फ़िक्शन और नॉन फ़िक्शन शो में काम कर चुके एक वरिष्ठ व्यक्ति बताते हैं, ''आप जानते हैं कि सरकार कैसे चल रही है। राजनीति का दखल न्यूज़ चैनलों में ज़्यादा होता होगा कि किसी एक एजेंडा को ऊपर उठाना है और किसी एक को नीचे करना है। रियलिटी शो में राजनीतिक एजेंडा अब तक तो मैंने नहीं देखा है।''
 
टीवी इंडस्ट्री में प्रोडक्शन से जुड़ी एक महिला बताती हैं, ''राम अपने आप में नैरेटिव हैं। राम के नैरेटिव से अगर किसी का फ़ायदा हो रहा है तो वो हो चुका है। अब उस फ़ायदे से और फ़ायदा नहीं होने वाला है। जो लड़का जीता है वो शायद अच्छा सिंगर भी था। वोटिंग के आधार पर विजेता चुना जाता है। इस वोटिंग का ऑडिट होता है। अगर कोई गड़बड़ हुई, तो शो बनाने वालों की लग जाएगी।''
 
सलमान ख़ान की 'जुड़वां' फ़िल्म में अनु मलिक के गाने की लाइन थी- ''सारे जहाँ से अच्छा, हिंदुस्तां हमारा। हम बुलबुलें हैं इसकी, ये गुलसितां हमारा... हमारा यो. ईस्ट ऑर वेस्ट यो, इंडिया इज द बेस्ट यो।''
 
रियलिटी शो में राजनीतिक दखल के सवाल पर अनु मलिक इसी गाने का ज़िक्र कर कहते हैं, ''हमारा देश बहुत महान है। हमारे पीएम, सत्ताधारी पार्टी बहुत महान हैं।''
 
रियलिटी शो की दुनिया कितनी असली है और राजनीतिक दखल कितना है?
 
इंडस्ट्री में काम करने और रियलिटी शो में हिस्सा ले चुके लोगों से जब इस सवाल को पूछने की कोशिश करें, तो ज़्यादातर लोग जवाब देने से बचते नज़र आए।

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