उत्तरप्रदेश के रामपुर ज़िले में रामपुर के पूर्व नवाब के वारिसों के बीच सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर संपत्ति बंटवारे की प्रक्रिया चल रही है और ज़िला अदालत की ओर से नियुक्त 2 कोर्ट कमिश्नर संपत्ति के मूल्यांकन में लगे हैं। अचल संपत्ति के रूप में जहां सैकड़ों एकड़ ज़मीन का बंटवारा होना है, वहीं कोठी ख़ास बाग़ में ख़ज़ाने से भरा हुआ स्ट्रॉन्ग रूम ख़ासा चर्चा में बना हुआ है।
स्ट्रॉन्ग रूम में न सिर्फ़ नवाबों की अकूत धन-दौलत रखी हुई है बल्कि उससे ज़्यादा चर्चा इस स्ट्रॉन्ग रूम की बनावट को लेकर हो रही है। स्ट्रॉन्ग रूम का ताला जहां तकनीकी कुशलता की हर परीक्षा पास कर चुका है, वहीं स्ट्रॉन्ग रूम की दीवारें इतनी मज़बूत धातु का बनी हुई हैं कि इसे तोड़ने से लेकर गैस कटर से काटने तक की हर कोशिश अब तक नाकाम हुई है। अब 7 मार्च को एक बार फिर इस स्ट्रॉन्ग रूम को काटने की कोशिश होगी।
रामपुर में नवाब ख़ानदान में संपत्ति के बंटवारे को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था। पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने रामपुर के आख़िरी नवाब रज़ा अली खां की संपत्ति का बंटवारा मुस्लिम पर्सनल लॉ और शिया पर्सनल लॉ के हिसाब से सभी वारिसों में करने का आदेश दिया। यह संपत्ति 16 लोगों में बांटी जानी है।
7 मार्च को इन सबकी मौजूदगी में स्ट्रॉन्ग रूम को एक बार फिर खोलने की कोशिश की जाएगी। बताया जा रहा है कि इसमें हीरे-जवाहरात समेत अनेक बहुमूल्य नगीने और आभूषण रखे हुए हैं जिनकी क़ीमत का आकलन करना भी टेढ़ी खीर साबित होने वाला है।
संपत्ति के मूल्यांकन के लिए ज़िला जज की ओर से नामित एडवोकेट कमिश्नर अरुण प्रकाश सक्सेना बताते हैं, 'दरअसल, इस स्ट्रॉन्ग रूम की चाभी नवाब रज़ा अली खान के बड़े बेटे मुर्तज़ा अली खान के पास थी, जो उनसे खो गई थी। चाभी न मिलने पर इसे काटने के लिए गैस कटर मंगाया गया। तमाम कोशिशों के बावजूद जब यह नहीं खुल सका तो अब मुरादाबाद से वेल्डर बुलाए गए हैं, जो इसे काटने की कोशिश करेंगे।'
बताया जा रहा है कि स्ट्रॉन्ग रूम की दीवारें मिश्र धातु की बनी हुई हैं, जो बेहद मज़बूत हैं। रामपुर में नवाब ख़ानदान की संपत्ति जिन लोगों में बंटनी है, उनमें सिर्फ़ काज़िम अली खां 'नवेद मियां' ही रामपुर में रहते हैं।
नवेद मियां बताते हैं, 'बहुत ही मज़बूत दीवारें हैं स्ट्रॉन्ग रूम की। दावा किया जाता था कि भूकंप आने से भी इसका बाल बांका नहीं हो सकता है, लेकिन अब तो यह दावा सच मालूम पड़ रहा है। रही बात ताले की तो इसे ब्रिटेन की उस मशहूर चब कंपनी ने बनाए हैं, जो दुनियाभर में ताले बनाने के लिए मशहूर हैं। इस कंपनी का दावा है कि उनके ताले किसी दूसरी चाभी से खुल ही नहीं सकते। चब कंपनी ने ही यह स्ट्रॉन्ग रूम और उसका ताला दोनों बनाया है।'
बताया जाता है कि इंग्लैंड के जेरेमिया चब और उनके भाई चार्ल्स ने मिलकर एक विशेष ताला बनाया था, जो ग़लत चाभी लगने के बाद काम करना बंद कर देता था और फिर उसमें नई चाभी लगानी पड़ती थी। दोनों भाइयों ने अपनी इस तकनीक का पेटेंट कराया और फिर साल 1820 में चब कंपनी नाम से ताला बनाने की कंपनी स्थापित की।
इस कंपनी की ख्याति दूर तक थी और साल 1823 में जॉर्ज चतुर्थ ने कंपनी को सम्मानित करते हुए डाकघर और जेलों के लिए ताले बनाने की ज़िम्मेदारी दी। चब कंपनी के तालों के न सिर्फ़ जॉर्ज पंचम ही मुरीद थे बल्कि शरलॉक होम्स की कहानियों में भी इस कंपनी का ज़िक्र मिलता है।
(नवाब नावेद मियां)
चब कंपनी पहले ताले ही बनाती रही लेकिन बाद में इसने स्ट्रॉन्ग रूम यानी तिजोरी बनाना भी शुरू किया और ब्रिटेन के बाहर दर्जनों देशों में इसने अपना कारोबार शुरू किया। साल 1997 में इस कंपनी को विलियम होल्डिंग्स लिमिटेड ने खरीद लिया। रामपुर के नवाब रज़ा अली ख़ान ने भी स्ट्रॉन्ग रूम को चब कंपनी से ही बनवाया था।
स्थानीय पत्रकार मोहम्मद मुजस्सिम बताते हैं, 'स्ट्रॉन्ग रूम बंकर की तरह मज़बूत है। इसे बनाने के लिए चब कंपनी के इंजीनियर रामपुर आए थे। इसे बनाने में जर्मनी की उस स्टील का इस्तेमाल किया गया है जिससे फ़ौज के टैंक बनाए जाते हैं। कहते हैं कि यदि इस पर बम बरसाए जाएं, तब भी कोई असर नहीं होगा।'
स्ट्रॉन्ग रूम की मज़बूती से ज़्यादा रहस्यमय इसकी चाभी का खो जाना भी है। नवेद मियां कहते हैं कि स्ट्रॉन्ग रूम में यूं तो बहुत-सी चीज़ें रखी हैं लेकिन उन्हें इनके मिलने की उम्मीद कम ही है। वे कहते हैं, 'सुप्रीम कोर्ट को इसमें मौजूद 5,000 से ज़्यादा चीज़ों की सूची सौंपी गई थी लेकिन मुझे नहीं लगता कि ये चीज़ें इसमें होंगी। दरअसल, अभी तक तो इस पर एक ही व्यक्ति का कब्ज़ा था और उन्होंने जो चाहा सो किया। सवाल यह भी है कि जो चीज़ें मिलेंगी, उनका बंटवारा कैसे किया जाएगा?'
(एडवोकेट कमिश्नर अरुण प्रकाश सक्सेना)
हालांकि इस बारे में एडवोकेट कमिश्नर अरुण प्रकाश सक्सेना कहते हैं कि इसमें ज़्यादा दिक़्क़त नहीं आएगी क्योंकि जो क़ीमती धातुएं होंगी उनका मूल्यांकन हो जाएगा लेकिन ऐसी चीज़ें जो कि टूटी-फूटी होंगी या फिर ख़राब हो गई होंगी, उनके मूल्यांकन की ज़रूरत नहीं होगी।
वहीं दूसरी ओर मुर्तज़ा अली ख़ान के बेटे मुराद मियां इस बात से इंकार करते हैं कि स्ट्रॉन्ग रूम से कोई चीज़ ग़ायब हुई है। दरअसल, मुराद मियां ज़्यादातर गोवा और दिल्ली में रहते हैं, रामपुर में उनका आना-जाना कम है। उनकी बहन निखत आब्दी भी बाहर रहती हैं।
यह स्ट्रॉन्ग रूम क़रीब 4 दशक पहले भी चर्चा में था, जब यहां डकैती पड़ी थी। साल 1980 में स्ट्रॉन्ग रूम में से सोने, चांदी और हीरे की तमाम क़ीमती चीज़ें ग़ायब हो गई थीं। इस घटना की जांच सीबीसीआईडी ने की थी और उसने इसे तब तक की सबसे बड़ी डकैती बताया था। घटना के 2 साल बाद सीबीसीआईडी ने सीआरपीएफ़ के एक जवान को गिरफ़्तार किया था जिसके घर से कुछ बहुमूल्य वस्तुएं मिली थीं।
उस वक़्त यह आशंका जताई गई थी कि इस डकैती में ऐसे किसी व्यक्ति का भी हाथ हो सकता है जिसका कोठी से नज़दीकी संबंध रहा हो। जांच के बावजूद डकैती की वह घटना और उसमें ग़ायब हुआ सामान आज भी रहस्य बना हुआ है। (चित्र साभार : बीबीसी)