यूपी चुनाव: बुंदेलखंड में राम मंदिर और ओवैसी के कारण बदलेंगे समीकरण?

BBC Hindi

गुरुवार, 28 अक्टूबर 2021 (08:24 IST)
ब्रजेश मिश्र, बीबीसी संवाददाता, बुंदेलखंड से
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी शुरू हो चुकी है। सभी राजनीतिक दल अपने-अपने मोहरे तैनात करने पर लगे हैं। कहीं गठबंधन की बातें हो रही हैं, तो कहीं चुनावी मुद्दों की। देश के सबसे बड़े राज्य के विधानसभा चुनाव में मुद्दों की कमी नहीं मिलेगी। हर क्षेत्र में एक अलग समस्या और एक अलग चुनावी मुद्दा दिखेगा।
 
यूपी के बुंदेलखंड में हमने झाँसी, ललितपुर, महोबा, हमीरपुर, बांदा और चित्रकूट ज़िलों के कुछ गाँवों जाकर लोगों हाल जानने की कोशिश की और यह भी समझना चाहा कि चुनाव को लेकर माहौल कैसा है और क्या असल मुद्दे भी चुनाव में जगह बना पाएँगे?
 
क्या यूपी के चुनाव भी बाक़ी राज्यों की तरह हिंदू-मुसलमान के मुद्दे पर लड़े जाएँगे या फिर विकास की बात होगी? क्या असदुद्दीन ओवैसी की आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के आने से यूपी के चुनावी समीकरण बदलेंगे? और क्या अयोध्या में राम मंदिर बनने से बीजेपी को चुनाव में फ़ायदा होगा?
 
ये वो सवाल हैं, जिन्हें लेकर हम जनता के बीच पहुँचे और उनसे जवाब जानने की कोशिश की। साथ ही यह भी समझना चाहा कि उनके लिए असल चुनावी मुद्दे क्या हैं?
 
बुंदेलखंड को देश के सबसे कम प्रति व्यक्ति आय वाले इलाक़ों में गिना जाता है और यहाँ मानव विकास भी बेहद कम है। शिक्षा का स्तर कम होने के कारण यहाँ ग़रीबी और बेरोज़गारी की समस्या भी बड़ी है।
 
लगभग हर साल सूखे की मार झेलने वाले बुंदेलखंड में किसान साल में सिर्फ एक या दो बार ही खेती करते हैं। उस पर भी बहुत से किसान सिर्फ़ बारिश के पानी पर ही आश्रित हैं।
 
इस क्षेत्र में गेहूँ, चना, मटर, सरसो, मूंगफली, सोयाबीन की खेती होती है। लेकिन पानी की कमी की वजह से सही पैदावार नहीं होती। यहाँ का किसान आवारा पशुओं की समस्या से जूझ रहा है। हमीरपुर, बांदा और चित्रकूट के किसानों के लिए यह समस्या गंभीर है और उनके लिए यह एक चुनावी मुद्दा भी है।
 
मुद्दों की बात
हमीरपुर ज़िले के गुसियारी गाँव के रहने वाले सीताराम अपनी ये समस्या बताते हुए ग़ुस्से से भर आते हैं। वो कहते हैं, ''दिनभर हम काम करते हैं। रात भर लाठी लेकर खेतों में फिरते हैं। जानवर फसल ख़राब करते हैं। सो नहीं पाते। रात-रात भर लाठी लेकर दौड़ते हैं अंधेरे में। फसल पूरी चौपट हो जाती है। क़र्ज़ ले-लेकर खाते हैं। बताओ इसका क्या करें? ऐसी सरकार का क्या करें?''
 
इसी गाँव के रहने वाले इसार अहमद कहते हैं कि एआईएमआईएम को एक सीट भी नहीं मिलेगी। वो इसे बीजेपी की 'बी' टीम करार देते हैं। साथ ही अपने क्षेत्र में बीजेपी की भी हार बताते हैं।
 
वजह पूछने पर उन्होंने कहा, ''महंगाई और बेरोज़गारी।''
 
वो कहते हैं, ''डीजल 100 रुपए, पेट्रोल 110 रुपए और सरसों का तेल 200 रुपए के पार पहुँच गया। आदमी कहाँ जाए? क्या खाए? मरेगा नहीं तो क्या करेगा? गाएँ घूम रही हैं, इनके लिए कोई प्रबंध नहीं है। जिस खेत में घुस गईं वो पूरा सत्यानाश कर देंगी। आवारा जानवरों की समस्या गंभीर है।''
 
अयोध्या में राम मंदिर बनने से क्या बीजेपी को चुनावों में वोटों का फ़ायदा होगा, इस सवाल पर सीताराम कहते हैं, ''चंदा ले-लेकर भाजपा वालों ने घर में रख लिया। अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है। वो भगवान हैं। इनके दिखाने चमकाने से नहीं मंदिर होता। अगर हम दिनभर पूजापाठ करें, वो भी बेकार है। आत्मा से परमात्मा है। भगवान का नाम कौन नहीं लेता। हर आदमी लेता है नाम। भगवान ये थोड़ी कहा है कि तुम मेरा घर बनवा दो। ये सब नाटक है। ये सब भाजपा वालों का चमकाने का काम है।''
 
इसी सवाल पर इसार अहमद कहते हैं कि यह सिर्फ़ सांप्रदायिक माहौल बनाने के लिए इस्तेमाल होगा, लेकिन चुनाव में इसका असर नहीं दिखेगा।
 
वो कहते हैं, ''ये सांप्रदायिक पार्टियों का किया काम है। जो लोगों को आपस में लड़ाती हैं। हरि हर में हैं। दोनों जगह उनका भजन होता है। हिंदू मुसलमान से उठकर पहले इंसान बनें। वो ज़्यादा ज़रूरी है।''
 
''वोट मांग कर चले जाते हैं, समस्या सुनते नहीं''
अधिकतर जगहों में लोग इस बात से नाराज़ हैं कि नेता चुनावों के वक़्त हाथ-पैर जोड़कर वोट माँगते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद पाँच साल तक उनके बीच नज़र नहीं आते।
 
बुंदेलखंड विकास के मामले में काफ़ी पिछड़ा है और यहाँ के लोगों के पास रोज़गार का संकट भी गहरा है। यहाँ के युवा दूसरे राज्यों में जाकर मज़दूरी करते हैं ताकि परिवार का पेट भर सकें। खेती में पैदावर नहीं है और कुछ लोगों के पास ख़ुद की ज़मीन भी नहीं। ऐसे में वो दूसरे राज्यों में जाकर फ़ैक्टरियों में काम करते हैं, ताकि रोज़ी रोटी चले।
 
बांदा ज़िले के बाबुल ने बीबीसी से बातचीत में कहा, "सूरत चले जाते हैं या फिर ग़ाज़ियाबाद, वहीं ठीक रहता है, कम से कम खाने को तो नहीं तरसते।"
 
बाबुल कहते हैं, ''ग़रीब आदमी को पेट भरने से मतलब है। सरकार चाहे जिसकी बन जाए। ग़रीब मज़दूरी करते 300 रुपए कमाएगा। 200 रुपए का तेल ख़रीदेगा। 100 रुपए में सब्ज़ी ले आया तो क्या बचा? बीमार हो गया, तो इलाज के लिए पैसा नहीं है। फिर मरेगा ही आदमी।''
 
उनका कहना है कि गाँव में अधिकतर लोगों के पास आयुष्मान हेल्थ कार्ड नहीं है।
 
बाबुल आगे कहते हैं, ''हमें नहीं लगता किसी के आने से कुछ बदलेगा। 20-22 साल की उम्र है। अब तक तो कुछ नहीं बदला। इतने प्रधानमंत्री बदल गए। विधायक नेता बदल गए। चाहे जिसे वोट दे दें। चुनाव के टाइम सब मीठी-मीठी बात करते हैं। बाद में कोई नहीं दिखता।''
 
ओवैसी के आने से क्या समीकरण बदलेंगे?
बिहार विधानसभा चुनाव में पाँच सीटें जीतने के बाद अब एआईएमआईएम की नज़र यूपी चुनाव पर टिकी हैं। हालाँकि बहुत से लोगों का कहना है कि ओवैसी के आने से बीजेपी को नुक़सान नहीं, फ़ायदा ज़रूर होगा।
 
असदुद्दीन ओवैसी यूपी में 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। अपने एक बयान में उन्होंने यह भी कहा था कि यूपी में मुसलमानों के हालात बदतर हैं और वो इसे बदलेंगे।
 
ओवैसी की बातों और उनकी राजनीति को लेकर हमीरपुर ज़िले के जलीस अहमद कहते हैं, ''ओवैसी सिर्फ़ भड़काने वाला भाषण देते हैं। कुछ बदलेगा नहीं उनके आने से। मंदिर-मस्जिद का मुद्दा यहाँ बिल्कुल असर नहीं डालेगा। यहाँ कोई भेदभाव नहीं है। सब मिलजुल कर रहते हैं। देवी जी की आरती में मुसलमानों की संख्या ज़्यादा मिलेगी। यहाँ एकता है, भाईचारा है।''
 
इसी सवाल पर इसार अहमद कहते हैं, ''एआईएमआईएम बीजेपी की बी टीम की तरह काम कर रही है। वो आकर मुसलमानों को भड़काती है, तो हिंदू अपने आप भड़कता है। जो अच्छा काम करेगा, उसी को वोट मिलेगा। काम नहीं तो वोट नहीं।''
 
वो कहते हैं कि जिस तरह आरएसएस हिंदू-मुसलमान की राजनीति करती है, उसी तर्ज़ पर ओवैसी भी हिंदू-मुसलमान का मुद्दा उछालते रहते हैं।
 
''वोट नहीं डालोगे तो नागरिकता ख़त्म''
बांदा ज़िले के कालिंजर में कुछ लोगों ने बताया कि चुनाव के समय लोगों को अलग-अलग तरह से डराया जाता है। अगर लोग अपनी समस्याओं को लेकर अड़ गए और वोट न डालने की ज़िद पकड़ लें तो उन्हें डराया जाता है कि वोट नहीं देने पर सरकारी अनाज नहीं मिलेगा। नागरिकता ख़त्म हो जाएगी। अकाउंट से पैसा नहीं निकाल पाएँगे। इसलिए लोग घबराकर किसी को भी वोट दे देते हैं।
 
तरहटी-कालिंजर गाँव की रहने गोमती कहती हैं, ''सांसद और विधायक चुनाव के बाद कभी क्षेत्र में नज़र नहीं आए। लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। लेकिन नेताओं को कोई फ़र्क नहीं पड़ता।''
 
''मंदिर बनना गर्व की बात''
यूपी का चित्रकूट ज़िला भगवान राम की वनस्थली के तौर पर जाना जाता है और यहाँ का चुनावी माहौल बाक़ी जगहों से थोड़ा अलग है। अयोध्या में राम मंदिर बनने का असर यहाँ के वोटों पर भी दिखेगा, ऐसा कहना है पान की दुकान चलाने वाले घनश्याम का।
 
वो कहते हैं, ''सरकार ने सड़कें बना दी हैं। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे बन रहा है। पानी की पाइपलाइन बिछ रही है। विकास की बातें हो रही हैं और विकास दिख भी रहा है। मंदिर बनना गर्व की बात है और सम्मान की बात है। मंदिर बनना हर हिंदू के लिए गर्व की बात होनी चाहिए।''
 
हालाँकि वो यह भी कहते हैं कि ग़रीब आदमी का बहुत भला नहीं हुआ। ग़रीब आदमी और ग़रीब हुआ है, उसकी स्थिति बेहतर नहीं हुई।
 
''मुसलमानों का वोट बीजेपी को मिलेगा''
प्रदेश सरकार में लोक निर्माण राज्य मंत्री और चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र से विधायक चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय का मानना है कि जनता सरकार के विकास के मुद्दे पर ही वोट देगी और प्रदेश में फिर से बीजेपी की सरकार बनेगी।
 
चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय कहते हैं, ''सबको बिजली दे दी। सरकार ने पानी देने का काम शुरू किया है। आदमी धैर्यवान भी होता है और समझदार भी। जहां तक अन्ना पशुओं की बात है तो सरकार ने गौशालाएं शुरू की हैं। हम ये नहीं कहते कि 100 फ़ीसदी अमल हो रहा है लेकिन चीज़ें बेहतर हुई हैं। लोगों तक सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंच रहा है। लोक कल्याण हो, कानून-व्यवस्था हो या विकास, सरकार ने हर स्तर पर काम किया है और आगे भी काम जारी है।''
 
वो कहते हैं, ''मुसलमान वोट भी बीजेपी को मिल रहा है। चाहे थोड़ा ही बढ़े लेकिन पहले के मुकाबले वोट प्रतिशत बढ़ेगा। एआईएमआईएम के आने से बुंदेलखंड में कोई असर नहीं पड़ेगा। काफ़ी मुसलमान नेता और कार्यकर्ता बीजेपी के साथ जुड़े हैं। बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ेगा। ओवैसी के आने का डर उन लोगों को है जो मुसलमान वोटबैंक के बहुत बड़े दावेदार रहे हैं। ''
 
क्या हैं राजनीतिक समीकरण?
बुंदेलखंड के सात ज़िलों, जालौन, झांसी, ललितपुर, महोबा, हमीरपुर, बांदा और चित्रकूट में कुल 19 विधानसभा सीटें हैं। इन सभी सीटों पर फ़िलहाल बीजेपी का कब्ज़ा है। इसके साथ ही बीते लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने यहाँ की सभी चार सीटों पर जीत दर्ज की थी।

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