अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पटरी से उतरते दिख रहे अपने चुनाव अभियान में दोबारा जान फूंकने की कोशिश की है। उन्होंने सोमवार को कांग्रेस के डेमोक्रेट नेताओं को चिट्ठी लिखकर कहा है कि वे राष्ट्रपति चुनाव दोबारा लड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
लेकिन इससे पहले डेमोक्रेट पार्टी के कई वरिष्ठ सदस्य इस बात पर विचार-विमर्श कर रहे हैं कि क्या बाइडन को राष्ट्रपति पद की दौड़ से हटा दिया जाए।
पिछले हफ़्ते पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ टीवी डिबेट के दौरान जो बाइडन के प्रदर्शन ने अपने पीछे कई गंभीर प्रश्न छोड़ दिए हैं। ये सवाल राष्ट्रपति की उम्मीदवारी के लिए उनकी सेहत और मानसिक स्थिति से जुड़े हैं।
बीते शुक्रवार को एबीसी चैनल पर दिखाए गए इंटरव्यू के बाद तो उनकी दावेदारी पर अटकलों का बाज़ार और गर्मा गया है। अनिश्चितताओं के बीच बाइडन ने अहम राज्य पेनसिलवेनिया में रविवार को दो सभाएं की हैं।
लेकिन बाइडन के प्रयास उनकी पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों को नहीं रास नहीं आ रहे हैं। पार्टी में इस बात पर बहस छिड़ी है कि 81 वर्षीय बाइडन को उम्मीदवार बनाए रखने या हटाने में कितना नफ़ा या नुकसान है।
इस बहस के क्या मायने हैं और बाइडन को अगर हटने पर मजबूर किया गया तो अवसर किसको मिलेगा? जिन नामों की चर्चा हो रही है, उनमें प्रमुख नाम अमेरिका की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस का भी है। कमला हैरिस के पक्ष में उनके प्रशासनिक अनुभव के अलावा वॉशिंगटन की राजनीति में उनका प्रभावी दख़ल भी शामिल है।
पिछले डेमोक्रेट नेता टिम रायन ने इस बात का संकेत दिया है कि बाइडन को हटाकर कौन सामने आएगा। टिम रायन ने भी उप राष्ट्रपति कमला हैरिस का नाम लिया।
न्यूज़वीक में छपे एक संपादकीय में टिम रायन ने लिखा है कि कमला हैरिस को चुनना ही सही रास्ता है और उनका विरोध करने वाले हक़ीक़त से वाकिफ़ नहीं हैं।
नई शुरुआत के हामी
रविवार दोपहर डेमोक्रेट पार्टी के लीडर हकीम जेफ़रीज़ ने डेमोक्रेट पार्टी के प्रतिनिधियों के साथ एक मीटिंग की, जिसमें बाइडन की उम्मीदवारी पर भी चर्चा की गई है।
सीबीएस चैनल के मुताबिक, उस मीटिंग में मौजूद चार नेताओं ने कहा है कि बाइडन को दौड़ से हट जाना चाहिए। सूत्रों के मुताबिक, कम से कम तीन अन्य नेताओं ने इस साल नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में बाइडन की जीत की उम्मीद पर संशय जताया है। इसके अलावा कई शीर्ष डेमोक्रेट नेताओं ने टीवी चैनलों पर इस पूरे विवाद पर अपनी बात रखी है।
डेमोक्रेट पार्टी के लिए एक ही सवाल है- बाइडन को उम्मीदवार बनाए रखने या उन्हें दौड़ से हटाने में से कौन-सा विकल्प अधिक जोखिम से भरा है?
बाइडन के टीवी डिबेट के दौरान चिंताजनक प्रदर्शन के बाद उन्हें राष्ट्रपति की उम्मीदवारी से हटाने पर डेमोक्रेट पार्टी को कुछ फौरी राहत मिल सकती है। राष्ट्रपति के कुछ पक्के समर्थक डेमोक्रेट्स भी बाइडन की उम्र और मानसिक स्थिति पर चिंता जता रहे हैं।
कैलिफ़ोर्निया से प्रतिनिधि एड्म शिफ़ कहते हैं, "डिबेट ने अमरीकी लोगों के सामने ये सवाल उठा दिया है कि क्या राष्ट्रपति जो बाइडन के पास डोनाल्ड ट्रंप को हराने का दम है?"
एनबीसी को दिए इंटरव्यू में एडम शिफ़ ने सीधे-सीधे ये नहीं कहा कि बाइडन को रेस से बाहर हो जाना चाहिए, लेकिन पांच डेमोक्रेट प्रतिनिधि ये बात पहले ही कह चुके हैं। शिफ़ ने बाइडन से कहा है कि वे सही लोगों से ये सलाह लें कि उन्हें चुनाव लड़ना चाहिए या नहीं।
एडम शिफ़ ने कहा, "जो बाइडन का रिकॉर्ड अद्भुत रहा है। इससे उलट डोनाल्ड ट्रंप का रिकॉर्ड बहुत ख़राब है। इन हालात में तो बाइडन को ट्रंप से फ़र्श साफ़ करवाना चाहिए। ये तो बराबरी का मुकाबला भी नहीं है। बस एक चीज़ है जो इस मुकाबले को कांटे की टक्कर बना सकता है और वो है राष्ट्रपति की उम्र।"
मुद्दा उम्र का
बाइडन 81 साल के हैं और ट्रंप की उम्र 78 वर्ष है। दोनों उम्मीदवारों की उम्र अमेरिकी वोटर्स के बीच बहस का मुद्दा बन चुकी है।
कुछ सर्वेक्षणों में बाइडन वोटर्स का विश्वास खोते दिख रहे हैं। अमेरिकी अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल के शुक्रवार को जारी किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, 86 फ़ीसदी डेमोक्रेट्स कह रहे हैं कि वो बाइडन की उम्मीदवारी का समर्थन करते हैं। फरवरी में 93 प्रतिशत डेमोक्रेट मतदाता बाइडन के पक्ष में थे।
अगर डेमोक्रेटिक पार्टी अपना उम्मीदवार बदलती है, तो इसका फ़ायदा होना भी संभव है। डेमोक्रेट्स की ओर से इस ताज़ा आलोचना से पहले भी बाइडन ने कई नीतियों पर वोटर्स की आलोचना का सामना किया है। इनमें अमेरिकी अर्थव्यवस्था और देश के दक्षिण में माइग्रेशन का संकट जैसे मुद्दे शामिल हैं।
गाजा पर इसराइल के हमले का विरोध करने वाले भी राष्ट्रपति बाडइन का साथ छोड़ सकते हैं। ऐसे ही लोगों के विरोध के कारण राष्ट्रपति बाइडन को मिशिगन जैसे राज्य में एक लाख वोटों का नुकसान उठाना पड़ा था।
अमेरिकी राज्य ओहायो के प्रतिनिधि टिम रायन ने रविवार को फॉक्स न्यूज़ पर साफ़ कहा, "बाइडन ही अगर उम्मीदवार रहे तो वे हम सबको ले डूबेंगे। मुझे लगता है कि बहुत जल्द बाइडन पर काफ़ी दवाब बढ़ने वाला है।"
बदलाव में कितना जोखिम?
कुछ डेमोक्रेट नेता मानते हैं कि बाइडन को हटाने में जो फ़ायदा होगा, वो बदलाव के जोखिमों पर भारी पड़ सकता है। और अगर राष्ट्रपति बाइडन पीछे हटते हैं तो बड़ा सवाल ये है कि उनकी जगह कौन लेगा? और ये उम्मीदवार ट्रंप के सामने कितना कारगर साबित होगा। हाल के दिनों में बाइडन के कई सहयोगियों ने कहा है कि बदलाव के कई नुकसान हैं क्योंकि जो भी हो, बाइडन अब तक सफल रहे हैं।
वेरमॉन्ट से डेमोक्रेट पार्टी के सीनेटर 82 वर्षीय बर्नी सैंडर्स कहते हैं, "बाइडन बुजु़र्ग हैं। वो उतने तर्कशील नहीं हैं जितने कभी हुआ करते थे। काश वो एयर फ़ोर्स वन (अमेरिकी राष्ट्रपति का विमान) की सीढ़ियों पर कूदते-फांदते चढ़ जाते। लेकिन वे ऐसा नहीं कर सकते। हमें नीतियों पर फ़ोकस करना चाहिए। इस बात पर फ़ोकस होना चाहिए कि किसकी नीतियां देश के बहुसंख्यक लोगों को लाभ पहुँचाएंगी?"
पिछले हफ़्ते राष्ट्रपति के अभियान में जुटे कैलिफ़ोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूसॉम भी कुछ ऐसा ही कह रहे हैं। एक रैली के दौरान न्यूसॉम ने कहा कि राष्ट्रपति की उम्मीदवारी पर अटकलबाज़ियां, उनके लिए फ़ायदेमंद नहीं हैं। विपक्ष भी यही चाहता है। वो चाहते हैं कि आपसी कलह बढ़े। ये बिल्कुल मददगार नहीं है। बाइडन के समर्थक कह रहे हैं कि उनकी जगह किसी और को उम्मीदवार बनाने का फ़ायदा सीधे ट्रंप को होगा।
मिशिगन के डेमोक्रेट नेता डेबी डिंगेल ने रविवार को सीएनएन को बताया, "हमें ऐसी बातें करना बंद कर देना चाहिए। हमने ऐसी बातों पर पूरा हफ़्ता ख़र्च कर दिया है। इसका लाभ रिपब्लिकन पार्टी को हो रहा है। हमें अपना ध्यान डोनाल्ड ट्रंप पर केंद्रित करना चाहिए।"
क्या कमला हैरिस को मिलेगा मौक़ा?
लेकिन बड़ा सवाल यही है कि अगर जो बाइडन को हटाया गया, तो उनकी जगह कौन लेगा। पिछले हफ़्ते ओहायो के प्रतिनिधि टिम रायन ने बाइडन को हटाकर कौन सामने आएगा इसका संकेत दिया। टिम रायन ने उप राष्ट्रपति कमला हैरिस का नाम लिया।
न्यूज़वीक में छपे एक संपादकीय में टिम रायन ने लिखा, " मेरा दृढ़ता से मानना है कि कमला हैरिस को चुनना ही सही रास्ता है। जो ये कहते हैं कि हैरिस की उम्मीदवारी तो बाइडन से भी बड़ा जोखिम है, वो हक़ीक़त से वाकिफ़ नहीं हैं।"
कमला हैरिस जो बाइडन की वफ़ादार हैं। लेकिन बीते कुछ दिनों से 59 वर्षीय हैरिस का नाम ख़ूब चला है। एडम शिफ़ ने रविवार को टीवी इंटरव्यू में कहा कि कमला हैरिस डोनाल्ड ट्रंप को आसानी से हरा देंगी।
कमाल के समर्थक कहते हैं कि बतौर उप राष्ट्रपति वे पहले ही चुनाव अभियान की पेचीदगियों से वाकिफ़ हैं। डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी की अध्यक्ष डोना ब्रैज़ील ने एबीसी चैनल को बताया, " कमला हैरिस अपना काम जानती हैं। बाइडन की जगह किसी और को चुनना बिल्कुल ग़लत होगा।"
लेकिन जो बात हैरिस के समर्थकों को सुकून दे रही है उसमें भी जोखिम है। क्योंकि मतदाताओं को सिर्फ़ बाइडन की ढलती उम्र से ही एतराज नहीं है, उन्हें तो मौजूदा प्रशासन की नीतियों पर भी आपत्ति है। ऐसे में ये सब बातें कमला हैरिस के उम्मीदवार बनने की सूरत में उनके लिए भी बोझ बन सकती हैं।