रूसी जेट और अमेरिकी ड्रोन के बीच काले सागर के एयरस्पेस में हुए टकराव और फिर अमेरिकी ड्रोन के क्रैश हो जाने का पूरा वाकया बेहद अहम है। क्योंकि बीते एक साल से अधिक समय से रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध में ऐसा पहली बार हुआ है जब अमेरिका और रूस के बीच इस तरह का सीधा टकराव हुआ हो जिसे दोनों देशों ने सार्वजनिक रूप से स्वीकारा है।
कहा जा रहा है कि टकराव से पहले, रूसी जेट विमानों ने अमेरिकी ड्रोन के रास्ते में फ़्यूल डंपिंग की। जहां ये डंपिंग की गई आसमान का वो हिस्सा, अंतरराष्ट्रीय एयर स्पेस का हिस्सा था। इस टकराव से कई सारे सवाल खड़े तो हुए ही हैं साथ ही ये घटना और भी अधिक ख़तरे का महौल पैदा कर करती है।
अमेरिका के नेशनल सिक्योरिटी प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा है कि हालिया हफ़्तों में 'कई ड्रोन इंटरसेप्ट किए गए' लेकिन ये मामला थोड़ा अलग था।
क्या इससे कोई दुर्घटना भी हो सकती थी?
पेंटागन के प्रेस सचिव एयर फ़ोर्स के ब्रिगेडियर जनरल पैट राइडर ने कहा कि "रूसी पायलट का एक्शन बेहद अस्पष्ट,असुरक्षित और अव्यवसायिक थे।"
रूसी पायलट का रवैया जिसके तहत- उसने कथित रूप से फ़्यूल डंपिंग की और फिर अमेरिकी ड्रोन का उससे जा कर टकरा जाना- क्या ये एक तरह से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने की स्थिति को दर्शाता है?
पेंटागन के मुताबिक़ ये पूरी घटना 30 से 40 मिनट तक चलती रही। जनरल राइडर ने कहा कि इस दौरान रूस और अमेरिका की सेनाओं के बीच किसी तरह की सीधी बातचीत नहीं हुआ थी।
अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि इसमें शामिल रूस के सुखोई-27 जेट को संभवतः नुकसान पहुंचा है। उन्होंने इस ओर इशारा किया कि ये टकराव जानबूझ कर नहीं किया गया।
राइडर ने कहा, "हमें पता है कि विदेश मंत्रालय हमारी चिंताओं को लेकर रूस की सरकार से सीधे बात कर रहा है।"
लेकिन क्या इस पूरे वाकये का काले सागर पर होने वाले अमेरिकी ड्रोन ऑपरेशन के लिए कोई मायने हैं? इसके ज़रिए यूक्रेन को ज़रूरी सर्विलांस की ज़ानकारी मिलती है।
किर्बी ने वॉयस ऑफ़ अमेरिका से बात करते हुए कहा, "अगर उनका (रूस) का संदेश ये था कि वह अंतरराष्ट्रीय एयर स्पेस में हमें उड़ने से रोकना चाहते हैं तो ज़ाहिर तौर पर वो फ़ेल हुए हैं क्योंकि ये कभी नहीं होगा।"
हालांकि ये कोई हैरानी वाली बात नहीं है, क्योंकि रूस हर उस देश के लिए सर्विलांस का काम मुश्किल करेगा जो इस युद्ध में यूक्रेन की मदद कर रहे हैं।
अमेरिकी ड्रोन का क्या हुआ?
अमेरिका ने अब तक ये नहीं बताया है कि आख़िर ड्रोन का क्या हुआ? टकराव के बाद अमेरिका के रिमोट पालयट पर दबाव था कि वह इसे काले सागर में गिरा दें। जनरल राइडर ने ये नहीं बताया है कि क्षतिग्रस्त ड्रोन कहां गिरा और क्या रूसी नौ सेना ने उसे रिकवर कर लिया है या नहीं।
सोशल मीडिया पर वायरल ऑडियो रिकॉर्डिंग से पता चलता है कि किसी तरह का रूसी रिकवरी ऑपरेशन ड्रोन के गिरने के बाद चल रहा था, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
ज़ाहिर है, अगर ऐसी संवेदनशील सर्विलांस तकनीक रूसी हाथों में चली जाती है तो वाशिंगटन इस बात से सहज तो नहीं होगा।
अमेरिका आज एक अहम मोड़ पर खड़ा है, जो बाइडन ने हाल ही में कहा था कि वह यूक्रेन का 'तब तक साथ देंगे जब तक युद्ध चलता रहेगा।'
पश्चिमी देश सिर्फ़ यूक्रेन की हथियारों के ज़रिए ही मदद नहीं कर रहे बल्कि रूस के सैन्य अभियान की इंटेलीजेंस जानकारी भी यूक्रेन को देने का काम कर रहे हैं। जिसमें काले सागर में जहाजों की आवाजाही और यूक्रेन में रूस की ओर से टारगेटेड मिसाइल दागने की जानकारी भी शामिल है।
यूक्रेन महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे का बचाव करने से लेकर अपने अभियानों की योजना बनाने तक, पश्चिमी देशों की तकनीक से मिलने वाली सूचना पर निर्भर है।
अमेरिका सर्विलांस का काम तो जारी रखेगा लेकिन वह नहीं चाहता कि यहां वो रूस के साथ किसी सीधे टकराव में फिर शामिल हो।