ब्रेस्ट कैंसर की चपेट में कम उम्र की लड़कियां भी क्यों आ रही हैं?

BBC Hindi

शनिवार, 16 अक्टूबर 2021 (14:47 IST)
सुशीला सिंह, बीबीसी संवाददाता
साल था 2020, और फ़रवरी का महीना था। देशभर में कोरोना के मामले बढ़ रहे थे वहीं अपने घर से तकरीबन 200 किलोमीटर दूर गुड़गांव में रह रही प्रियंका के ज़हन में अलग ही उधेड़बुन चल रही थी।
 
एक निजी कंपनी में काम करने वाली प्रियंका को एक दिन उनकी दाई ब्रेस्ट में लंप या गांठ महसूस हुई और छूने में वो कठोर लग रही थी।
 
उन्होंने ये बात अपनी दोस्त को बताई और दिखाई। दोस्त ने पीरियड्स या मासिक धर्म आने तक का इंतज़ार करने की सलाह दी। उनके मुताबिक़ मासिक धर्म से पहले भी ऐसी गांठे आती हैं और फिर चली जाती हैं। पीरियड्स आकर जा चुके थे लेकिन गांठ बनी हुई थी।
 
27 साल की प्रियंका ने डॉक्टर की सलाह ली। वो बताती हैं, ''पहली बार ऐसा टेस्ट कराना बहुत असहज लगा था लेकिन डॉक्टर ने कहा कि 95 फ़ीसद ये ऐसी गांठ है, जो चली जाएगी और कैंसर नहीं हो सकता क्योंकि तुम बहुत जवान हो लेकिन अलट्रासाउंड करवा लो।''
 
टेस्ट में कैंसर का पता चला
उन्हें जांच के बाद पता चला कि ये ब्रेस्ट कैंसर है। वो बीबीसी से बातचीत में कहती हैं, ''मेरा सेकंड स्टेज ट्रिपल नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर डिटेक्ट हुआ था। इसमें तीन तरह के प्रोटीन रिलीज़ होते हैं जो एग्रेसिव होते हैं, तेज़ी से फैलता है और वापिस आने की संभावना भी बहुत ज़्यादा होती है। इसके इलाज के लिए पहले मुझे कीमोथेरेपी कराने की सलाह दी गई और फिर सर्जरी कराने का सुझाव दिया गया ताकि उस भाग को ही हटा दिया जाए।''
 
वो कहती हैं, ''मैं दिमागी तौर इस बीमारी से लड़ने के लिए तैयार थी लेकिन मुझे अपने माता-पिता की टेंशन थी कि उन्हें ये जानकारी कैसे दूं। वो मेरे लिए सबसे कठिन समय था और वो समझ रहे थे कि ये गांठ है और निकल जाएगी।''
 
मेरी मां और पिता के लिए ये सब बहुत मुश्किल था क्योंकि मेरी शादी भी नहीं हुई थी। जब मेरी ब्रेस्ट हटाने की बात हुई तो उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था। लेकिन मां स्थिति समझने लगी और पिता कहते थे जैसा तुम लोगों को ठीक लगे कर लो।
 
डॉक्टर ने प्रियंका को बताया कि उनका कैंसर जेनेटिक है। प्रिंयका बताती हैं कि मेरी मां के परिवार में छह लोगों को कैंसर रह चुका है जिसमें से एक उनकी नानी भी थीं।
 
20-30 उम्र की लड़कियों में कैंसर
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग में प्रोफ़ेसर डॉक्टर एसवीएस देव कहते हैं कि पिछले दस से पंद्रह साल में युवा महिलाओं में कैंसर के मामले ज़्यादा सामने आ रहे हैं।
 
वो बताते हैं, ''युवा महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में वे महिलाएं शामिल हैं जिनकी उम्र 40 साल से कम हैं। इनमे सबसे कम उम्र की महिलाएं 20 से 30 साल की हैं जिनमें कैंसर पाया जाता है।''
 
वो बीबीसी से बातचीत में कहती हैं, ''सबसे कम उम्र की श्रेणी की बात करें तो इनमें दो से तीन प्रतिशत कैंसर के मामले आते हैं और अगर युवा श्रेणी की बात करें तो ये मामले 15 प्रतिशत हैं। 40-45 साल की उम्र की महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले बढ़कर 30 फीसदी तक पहुंच जाते हैं और 44 से 50 साल की महिलाओं में ऐसे मामले 16 प्रतिशत पाए जाते हैं।''
 
उनका कहना है कि पश्चिमी देशों में महिलाओं में 40 की उम्र के बाद ब्रेस्ट कैंसर के मामले सामने आते हैं और 50-60 साल की उम्र की महिलाओं में कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी दिखाई देती है।
 
डॉक्टर देव अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहते हैं कि आज ही मैंने एक मां और बेटी की ब्रेस्ट कैंसर की सर्जरी की है जिसमें मां की उम्र 55 साल है और बेटी की 22 है और इन दोनों में ब्रेस्ट कैंसर होने का पता एक ही तारीख़ को चला।
 
डॉक्टर देवव्रत आर्य भी बताते हैं कि ब्रेस्ट कैंसर के मामले पहले 50 से 60 साल की उम्र में ज़्यादा आते थे लेकिन हम इस बात को लेकर आश्चर्यचकित हैं कि 20 साल से ऊपर की लड़कियों में भी काफ़ी मामले आ रहे हैं जो कि बहुत ही असामान्य बात है।
 
इससे पहले द गुजरात कैंसर एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट में काम कर चुके डॉक्टर देवव्रत बताते हैं कि उनकी थीसिस का विषय ब्रेस्ट कैंसर ही था।
 
वो बीबीसी से बातचीत में कहते हैं, ''आंकड़ों पर नज़र डालें तो 20-30 साल की महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के 5 से 10 फ़ीसदी मामले सामने आ रहे हैं। और ये प्रतिशत बहुत बड़ा है।''
 
डॉक्टर आर्य ज़्यादातर ब्रेस्ट कैंसर, हेड एंड नेक और लंग कैंसर के मामलों को देखते हैं।
 
क्या कहते हैं आंकड़े
इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर)-नेशनल सेंटर फॉर डिज़ीज़ इंफोर्मेटिक्स एंड रिसर्च (एनसीडीआईआर) ने नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम रिपोर्ट 2020 रिलीज़ की थी जिसमें ये आकलन किया गया था कि साल 2020 में कैंसर के 13।9 लाख मामले सामने आएंगे और जो चलन दिख रहा है उसके मुताबिक ये मामले साल 2025 में बढ़कर 15।7 लाख तक पहुंच जाएंगे।
 
ये आकलन जनसंख्या के आधार पर बनी 28 कैंसर रजिस्ट्रियों और अस्पतालों की 58 कैंसर रजिस्ट्रियों के आधार पर निकाला गया है।
 
इन रजिस्ट्रियों के मुताबिक महिलाओं में स्तन या ब्रेस्ट कैंसर के 14।8 फ़ीसद यानी 3।7 लाख मामलों का आकलन किया गया है।
 
आमतौर पर महिलाओं में ब्रेस्ट और सर्विक्स यूटेरी कैंसर के सबसे अधिक मामले सामने आते हैं और ये देखा गया है कि महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं।
 
31 साल , गर्भावस्था और ब्रेस्ट कैंसर
दिल्ली में रहने वाली अलिशा जब छह महीने की गर्भवती थीं तो एक दिन उनकी नज़र ब्रेस्ट पर उभरी एक गांठ या ग्लैंड पर गई। उन्हें शक हुआ।
 
जब उन्होंने स्त्री रोग विशेषज्ञ से जांच करवाई तो उन्हें बताया गया कि ये मिल्क ग्लैंड (दूध की ग्रंथि) हो सकती है और क्योंकि क़रीब छह साल बाद वे दोबारा गर्भवती हुई हैं तो ये मिल्क ग्लैंड बन सकते हैं। वे निश्चिन्त हो गईं।
 
वो बीबीसी से बातचीत में कहती हैं कि ये ग्लैंड धीरे-धीरे बढ़ रही थी और हम थोड़ा ज़्यादा सचेत भी थे क्योंकि मेरी मां को भी कैंसर था। और वो गूगल पर भी सर्च करती थीं तो यही पाती थीं कि प्रेग्नेंसी में 99।9 प्रतिशत कैंसर नहीं होता है और गर्भावस्था में ऐसे ग्लैंड बनना स्वाभाविक है।
 
लेकिन नौंवा महीना आते -आते उनके हाथों और कांख में बहुत तेज़ दर्द हुआ और बुखार हुआ। डॉक्टर का कहना था कि बुख़ार होना ठीक नहीं है। और उनकी समय से थोड़े दिन पहले डिलीवरी करवाई गई।
 
उनके अनुसार, ''मुझे बेटा हुआ और उसे फीडिंग कराते-कराते मेरा मिल्क ग्लैंड भी मुलायम होने लगा। फिर लगा कि चलो ये मिल्क ग्लैंड ही था लेकिन 15 दिन के भीतर उसमें इतनी बढ़ोतरी हुई कि मेरे स्तन का दो तिहाई हिस्सा पत्थर जैसा हो गया। फिर दूध आना बंद हो गया। डॉक्टर ने सलाह दी कि आप आगे की जांच कराएं।''
 
उन दिनों वो गुजरात में रहती थीं और मां दिल्ली में कैंसर पीड़ितों के लिए बनी इंडियन कैंसर सोसाइटी नाम की संस्था के साथ काम कर रही थीं।
 
अलिशा की मां ने उन्हें दिल्ली आने की सलाह दी और वो अपने 40 दिन के बेटे के साथ दिल्ली चली आईं। जांच पड़ताल में पता चला कि अलिशा को ब्रेस्ट कैंसर है। और उनका कैंसर थर्ड स्टेज के अंतिम चरण में पहुंच चुका था और फेल चुका था।
 
डॉक्टर ने सर्जरी की जगह कीमोथेरेपी की सलाह दी। उन्हें पहले छह कीमोथेरेपी दी गईं फिर दवाएं लेने की सलाह दी गई। वो उन दिनों को याद करते हुए बीबीसी से बातचीत में कहती हैं, ''मेरे छोटे भाई की शादी थी, मैं सरदारनी और मेरे इतने लंबे लंबे बाल, दो छोटे बच्चे और कैंसर। बहुत डरी हुई थी। मैं विग पहनकर शादी में शामिल हुई।''
 
क्यों बढ़ रहे हैं मामले?
लेकिन भारत में क्यों बढ़ रहे हैं कैंसर के मामले? इसके जवाब में डॉक्टर एसवीएस देव कहते हैं कि भारत की आबादी बढ़ी है तो मामले भी उसी अनुपात में बढ़े हैं। और युवा आबादी ज़्यादा है तो उनमें मामले सामने आ रहे हैं।
 
यहां सवाल ये उठता है कि क्या कैंसर और आबादी का सिर्फ़ अनुपातिक रिश्ता है।
 
इसके जवाब में डॉक्टर देव कहते हैं कि सही में ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। आंकड़े बताते हैं कि बीस साल में 20 फ़ीसद बढ़े हैं और इसकी पुष्टि कैंसर रजिस्ट्री करती है।
 
उनके अनुसार, ''हमें ब्रेस्ट कैंसर के बढ़ने के पीछे बिल्कुल ठोस वजह का पता नहीं है। युवा मामलों में लाइफस्टाइल मुख्य कारण है और दूसरा कारण जेनेटिक है जिसमें परिवार में अगर किसी को कैंसर हुआ हो तो आगे आने वाली पीढ़ी में कैंसर होने की आशंकाएं बढ़ जाती हैं।''
 
इसी बात को आगे बढ़ाते हुए डॉक्टर आर्य कहते हैं कि यंगेस्ट यानी 20-30 साल की उम्र की महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले आने का कारण लाइफ़स्टाइल की बजाए जेनेटिक है।
उदाहरण के तौर पर आपको याद होगा हॉलीवुड अभिनेत्री एंजलीना जोली ने स्तन कैंसर से बचने के लिए एक ऑपरेशन कराया था क्योंकि उनकी मां को कैंसर था और उनमें भी उनकी मां का जीन मिला और अनुवांशिक टेस्ट में ये जानकारी सामने आने के बाद उन्होंने अपने दोनों स्तन हटवाने का फैसला किया था।
 
अगर 20-30 साल की लड़कियों में ब्रेस्ट कैंसर के मामले सामने आते हैं तो उनके शरीर पर क्या असर पड़ सकता है?
 
फर्टिलिटी पर असर
डॉक्टरों का कहना है कि कैंसर के इलाज के समय चलने वाली कीमोथेरेपी का असर महिलाओं की फर्टिलीटी यानी प्रजनन क्षमता पर पड़ सकता है।
 
इसलिए इलाज के दौरान ये देखा जाता है कि महिलाएं अगर बच्चे पैदा कर सकती हैं तो कितने साल बाद प्रेग्नेंट होना सुरक्षित हो सकता है।
 
डॉक्टर बताते हैं कि 20-30 साल की उम्र ऐसी होती है जब या तो लड़कियों की शादी होने वाली होती है या हो चुकी होती है। जिनकी शादी हो चुकी होती है उनके छोटे बच्चे या कपल (वैवाहिक जोड़ा) बच्चा प्लान कर रहा होता है। तो ऐसे में उनकी फर्टिलीटी पर असर हो सकता है।
 
डॉक्टर कहते हैं कि ऐसे में इलाज शुरू करने से पहले मरीज़ से विस्तार से बात की जाती है और पूरी प्रक्रिया को समझाया जाता है क्योंकि कई मामलों में कीमोथेरेपी का ओवरिज़ या अंडाशय पर भी असर हो सकता है तो हम उन्हें ओवरिएन प्रिज़रवेशन या ओवरिज़ को संरक्षित करने की सलाह भी देते हैं। और जब मरीज़ दो-तीन साल में ठीक होने लगती है तब वे बच्चा प्लान कर सकते हैं।
 
साथ ही महिलाएं बहुत युवा होती हैं तो हम ब्रेस्ट कंज़रवेशन सर्जरी या रिकन्स्ट्रक्शन करने की कोशिश करते हैं। हम कोशिश करते हैं कि पूरी तरह से ब्रेस्ट को हटाने की प्रक्रिया ना हो।
 
जेनेटिक टेस्ट में अगर वे पॉज़िटिव पाई जाती हैं और अगर ब्रेस्ट का दूसरा हिस्सा सामान्य भी हो तो हम उसे हटा देते हैं क्योंकि जीन म्यूटेशन हो रहा हो तो इन मामलों में उसके आगे बढ़ने की संभावना ज़्यादा होती है। तो ऐसे में महिलाएं दोनों ही ब्रेस्ट हटवा लेती हैं।
 
कैसे जाने ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण
स्तन में गांठ या लंप होना ये ब्रेस्ट कैंसर के आम लक्षणों में से एक है। डॉक्टर सलाह देते हैं कि अगर ब्रेस्ट में किसी प्रकार की गांठ महसूस होती है तो तुरंत मेडिकल जांच करवानी चाहिए।
 
अगर ब्रेस्ट में किसी प्रकार की सूजन दिखाई देती है तो उसके प्रति लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। ये सूजन ब्रेस्ट के एक हिस्से या पूरे ब्रेस्ट में हो तो सचेत हो जाना चाहिए।
 
ब्रेस्ट की त्वचा में किसी प्रकार का परिवर्तन दिखाई दे मसलन वहां जलन, लाल पड़ना या त्वचा का सख्त़ होना, त्वचा की बनावट में बदलाव दिखना। ऐसा महसूस करना जैसे त्वचा गीली हो।
 
अगर निप्पल से रिसाव होता पदार्थ निकलता दिखे, अंदर की तरफ़ धंसता दिखे या दर्द हो रहा हो तो डॉक्टर की सलाह ली जानी चाहिए।
 
डॉक्टर कहते हैं कि कई बार युवा महिलाओं में कैंसर के ये लक्षण पहचानने में चुनौतियां भी पेश आती हैं जैसे लक्षण ठीक से महसूस नहीं हो पाते, छोटे ट्यूमर का पता नहीं चल पाता और कई बार मेमोग्राफी में भी पता नहीं चल पाता। लेकिन अगर किसी तरह के बदलाव या ऊपर दिए गए कोई भी लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
 
इस उम्र में स्क्रीनिंग की बात से डॉक्टर देव इंकार करते हैं लेकिन वे ये ज़रूर कहते हैं कि इसके बारे में जागरूकता जितनी फैलाई जाए उतनी कम है। अगर किसी भी प्रकार के लक्षण दिखें तो डॉक्टर को दिखाएं और अगर जिनके घर में कैंसर की हिस्ट्री रही हो उन मामलों में हम 25 साल की उम्र के बाद स्क्रीनिंग और जेनेटिक टेस्टिंग की सलाह भी देते हैं।
 
कैसी हैं प्रियंका और अलिशा?
प्रियंका बताती हैं कि लॉकडाउन से दो दिन पहले उन्होंने पहली कीमोथेरेपी ली थी। कीमो के पहले हफ्ते एंजाइटी, एक दिन में करीब 40 बार उल्टियां आम थीं। लेकिन फिर धीरे-धीरे स्थिति ठीक होने लगी।
 
उनके अनुसार, ''मेरी आठ कीमो पूरी हुईं फिर सर्जरी हुई क्योंकि कैंसर फैलने का डर था। दोनों ब्रेस्ट को हटाया गया और अब मैं इम्पलांट करा चुकी हैं जो दस साल तक वैसे ही रहेगा। मैं ठीक हो चुकी हूं और एहतियात बरत रही हूं।''
 
कीमो के बाद अलिशा का कैंसर अब आगे नहीं बढ़ा है। वे एक सामान्य जीवन जी रही हैं और उसके बाद जो ओरल ड्रग्स (दवाएं) लेती थीं वो भी अब बंद कर दी गई हैं।
 
वो कहती हैं, ''अब मैं ज्यादा मज़बूत और सकारात्मक हूं। अगर आपको कैंसर से लड़ाई लड़नी है तो आपको सकारात्मक और मज़बूत होना बहुत ज़रूरी है। अब किसी चीज़ से डर नहीं लगता।''

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