अमेरिका में बोस्टन मैराथन धमाके के संदिग्धों को ढूढ़ने के लिए सोशल मीडिया पर भी जोर-शोर से मुहिम शुरू हुई। पर इससे हमले में शामिल असली हमलावर तो नहीं मिले, लेकिन कुछ मासूमों की जान पर बन आई।
रेडिट, 4चेन, फेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल साइटों पर लोग अपनी-अपनी तरह से जांच में जुटे गए। कई तरह की कहानियां गढ़ी जा रही थी। वीडियो फुटेज और तस्वीरों को देखकर लोग अपने हिसाब से संदिग्धों की पहचान कर रहे थे। लेकिन इस दौरान जो भी नाम उभरे वो सभी गलत साबित हुए।
शुक्रवार को संदिग्धों के पकड़े जाने के साथ ही सोशल मीडिया पर इस प्रकरण का पटाक्षेप हो गया। शुरुआत में ट्विटर पर जिस नाम की सबसे ज्यादा चर्चा हुई, वो नाम था भारतीय मूल के सुनील त्रिपाठी का, लेकिन 22 साल के सुनील मार्च से ही लापता हैं।
सोशल मीडिया पर उनके नाम और तस्वीर को सबसे ज्यादा शेयर किया गया।
विशेष सेक्शन : रेडिट पर एक विशेष सेक्शन तैयार किया गया और इसे नाम दिया गया- 'फाइंड बॉस्टन बॉम्बर्स'। इसमें लोगों ने जमकर अपने आइडिया और फुटेज भेजे। साथ में ये भी बताया कि उनकी नजर में कौन संदिग्ध है।
संदिग्धों में 17 साल के 'सलाह बरहून' का नाम भी उभरा, ये भी गलत साबित हुआ। बरहून ने एबीसी न्यूज से कहा कि उन्हें अब जान का खतरा है।
अमेरिकी जांच ऐजेंसी एफबीआई ने जैसे ही असली संदिग्धों को खोज निकालने की पुष्टि की, वैसे ही 'फाइंड बॉस्टन बॉम्बर्स' ग्रुप को चलाने वालों ने स्पष्टीकरण दिया कि अब इस बारे में किसी भी पोस्ट को तुरंत हटा दिया जाएगा।
कई सदस्यों ने तो इसके बाद बाकायदा माफी भी मांग ली।
रेडिट के यूजर रादर कनफ्यूज्ड ने कहा, 'मैं सुनील त्रिपाठी और उनके परिजनों से माफी मांगता हूं। गलत सूचना के कारण उन्हें जो तकलीफ हुई उसका हमें अफसोस है। हमसे पहचानने में गलती हो गई।'
त्रिपाठी के परिवार ने फेसबुक पर एक मैसेज में कहा, 'पिछले 12 घंटों में हमारे प्यारे सुनील के बारे में जो कुछ कहा गया, उससे हमें गहरा दुख पहुंचा है। हम उन सभी लोगों का शुक्रिया अदा करते हैं, जिन्होंने सुनील को ढूंढ़ने में मदद का आश्वासन दिया है।'