भाई दूज पर कौनसी परंपरा निभाई जाती है, जानिए क्यों खिलाते हैं भाई को पान

WD Feature Desk

शनिवार, 26 अक्टूबर 2024 (16:48 IST)
When is Bhai Dooj 2024: भाई दूज या भैया दूज पर्व को भाई टीका, भतरु द्वितीया, भाऊ बीज, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया आदि नामों से मनाया जाता है। भाई दूज के दिन मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना का पूजन भी होता है। मान्यता है कि इसी दिन यमदेव अपनी बहन यमुना के बुलावे पर उनके घर भोजन करने आए थे। इसी कारण भाई दूज मनाया जाता है। भाई दूज 03 नवंबर 2024 रविवार को मनाया जाएगा।
 
भाई दूज तिलक का शुभ समय- Bhai Dooj Tilak Time: रक्षा बंधन पर भाई अपनी बहन को बुलाता है और भाई दूज पर बहन अपने भाई को अपने घर बुलाकर टीका लगाती हैं और भोजन कराकर भाई के लम्बे और खुशहाल जीवन की प्रार्थना करती हैं। इस दौरान भाई अपनी बहनों को उपहार देता। भाई दूज तिलक एवं भोजन मुहूर्त: अपराह्न 01:10 से 03:22 के बीच रहेगा।
द्वितीया तिथि प्रारम्भ- 14 नवम्बर 2023 को दोपहर 02:36 से प्रारंभ।
द्वितीया तिथि समाप्त- 15 नवम्बर 2023 को दोपहर 01:47 पर समाप्त।
 
भाई दूज की परंपरा और पूजा विधि | Tradition and worship method of Bhai Dooj:-
 
पूजा: इस दिन बहनें प्रात: स्नान कर, अपने ईष्ट देव और विष्णु एवं गणेशजी का व्रत-पूजन करें। 
 
हाथों पर बांधें: इस दिन बहनें, भाई को अपने घर आमंत्रित कर अथवा सायं उनके घर जाकर उन्हें भोजन कराती और तिलक लगाती हैं। इसके लिए पहले चावल के आटे से चौक तैयार करने के बाद इस चौक पर भाई को बैठाएं और उनके हाथों की पूजा करें। फिर भाई की हथेली पर चावल का घोल लगाएं, उसके ऊपर थोड़ा सा सिन्दूर लगाकर कद्दू के फूल, सुपारी, मुद्रा आदि हाथों पर रखकर धीरे-धीरे हाथों पर पानी छोड़ें। फिर हाथों में कलवा बांधें। कहीं-कहीं पर इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारती हैं और फिर कलाइयों में कलावा बांधती हैं।
 
भोजन: इसके बाद माखन-मिश्री से भाई का मुंह मीठा करें। फिर भोजन कराएं। भोजन के बाद पान खिलाएं। भोजन के उपरान्त अपने भाई को पान जरूर भेंट करें। मान्यता है कि पान भेंट करने से बहनों का सौभाग्य अखण्ड रहता है।
 
उपहार: इस दिन बहुत से भाई अपनी बहनों के घर जाकर भोजन भी करते हैं और उन्हें कुछ उपहार भी भेंट करते हैं।
 
यम दीपम: अंत में संध्या के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर दीये का मुख दक्षिण दिशा की ओर करके रखें।
 
चील दर्शन: मान्यता है कि इस दिन बहनें आसमान में उड़ती हुई चील देखकर अपने भाईयों की लंबी आयु के लिए जो प्रार्थना करती हैं, वह पूर्ण हो जाती है और साथ ही वह अखंड सौभाग्यवती रहती हैं।
 
यमुना स्नान: इसके साथ ही इस दिन भाई और बहन यमुना नदी में स्नान कर इसके तट पर यम और यमुना का पूजन करते हैं जिससे दोनों ही अकाल मृत्यु से छुटकारा पाकर सुखपूर्वक जीवनयापन करते हैं। कहते हैं कि इस दिन जो भाई-बहन इस रस्म को निभाकर यमुनाजी में स्नान करते हैं, उनको यमराजजी यमलोक की यातना नहीं देते हैं। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना का पूजन किया जाता है।
 
यम और यमुना की कथा: भाई दूज की पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन यमुना अपने भाई भगवान यमराज को अपने घर आमंत्रित करके उन्हें तिलक लगाकर अपने हाथ से स्वादिष्ट भोजन कराती है। जिससे यमराज बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने अपनी बहन यमुना से वरदान मांगने को कहा। इस पर यमुना ने अपने भाई यम से कहा कि आज के दिन जो बहनें अपने भाई को निमंत्रित अपने घर बुलाकर उन्हें भोजन कराएंगी और उनके माथे पर तिलक लगाएगी तो उन्हें यम का भय ना हो। यमरान ने ऐसा सुनकर कहा, तथास्तु। तभी से कार्तिक मास की शुक्ल द्वितीया को बहनों द्वारा अपने भाई को भोजन कराकर तिलक लगाया जाता है।

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