Bihar Assembly Elections: मधेपुरा में पप्पू यादव और शरद यादव की प्रतिष्ठा दांव पर

शुक्रवार, 6 नवंबर 2020 (13:06 IST)
पटना। बिहार में तीसरे और अंतिम चरण में 7 नवंबर को हो रहे विधानसभा चुनाव में मधेपुरा जिले में जन अधिकार पार्टी (जाप) सुप्रीमो और पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव तथा पूर्व सासंद शरद यादव एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 2 मंत्री नरेन्द्र नारायण यादव और रमेश ऋषिदेव की प्रतिष्ठा दाव पर लगी हुई है। 
 
बिहार के कोसी इलाके की हाईप्रोफाइल मधेपुरा विधानसभा सीट का चुनाव महज एक सीट भर की बात नहीं है बल्कि इसे प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन (प्रलोग) के मुख्यमंत्री पद उम्मीदवार राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की प्रतिष्ठा से जोड़कर भी देखा जा रहा है।
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महागठबंधन की ओर से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के निवर्तमान विधायक और पूर्व मंत्री चंद्रशेखर इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगाने की जुगत में हैं वहीं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के टिकट पर मंडल आयोग के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल के पौत्र निखिल मंडल भी बाजी अपने नाम करने की पुरजोर कोशिश में लगे हैं। लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के साकार सुरेश यादव मुकाबले को चतुष्कोणीय बनाने की प्रयास में लगे हैं। इस सीट पर 18 प्रत्याशी भाग्य आजमा रहे हैं।
 
वर्ष 2015 में राजद के प्रो. चंद्रशेखर ने भाजपा के विजय कुमार विमल को 37642 मतों के अंतर से मात दी थी। मधेपुरा के बारे में एक कहावत है 'रोम पोप का, मधेपुरा गोप का।' मधेपुरा जिले में जातीय समीकरण और जातीय वोट का असर रहता है। मधेपुरा कभी समाजवाद का गढ़ कहा जाता था।
 
समाजवादी धारा से जुड़े लालू प्रसाद यादव ने इस इलाके पर अपना वर्चस्व बनाया। इस सीट पर लालू प्रसाद यादव का कितना असर है, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जब वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में  नीतीश कुमार की बिहार में लहर चल रही थी उस वक्त भी मधेपुरा सीट पर राजद प्रत्याशी प्रोफेसर चंद्रशेखर ने जीत दर्ज की। हालांकि इसके बाद वर्ष 2015 में लालू यादव और नीतीश कुमार ने महागठबंधन में शामिल होकर साथ चुनाव लड़ा और चंद्रशेखर फिर जीते।
 
मधेपुरा सीट से वर्ष 1962 और 1972 में बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल ने जीत हासिल की थी। फरवरी और अक्टूबर 2005 के चुनाव में मनिन्द्र कुमार मंडल भी निर्वाचित हुए। बिहारीगंज विधानसभा सीट से बिहार की सियासत के दिग्गज नेता माने जाने वाले पूर्व सासंद शरद यादव की पुत्री सुभाषिनी महागठबंधन की ओर से कांग्रेस के टिकट पर अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत कर रही हैं जिनका मुकाबला जदयू के निवर्तमान विधायक निरंजन कुमार मेहता से माना जा रहा है।
 
लोजपा के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ रहे पूर्व मंत्री रेणु कुशवाहा के पति विजय कुमार कुशवाहा और राजद से बागी इंजीनियर प्रभास जाप के टिकट पर चुनाव लड़कर मुकाबले को रोचक बनाने में लगे हैं। इस सीट से 22 प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे हैं। वर्ष 2015 में जदयू के मेहता ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के रवीन्द्र चरण यादव को 29253 मतो के अंतर से पराजित किया था।
 
आलमनगर सीट पर जीत का सिक्सर लगा चुके जदयू के निवर्तमान विधायक और विधि मंत्री नरेंद्र नारायण यादव 7वीं बार जीत का परचम लगाने की कोशिश में हैं, वहीं उनकी जीत की राह में राजद ने नए सिपाही नवीन कुमार पर दाव लगाया है। हालांकि, जाप मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में है। जाप ने कांग्रेस के बागी नेता सर्वेश्वर प्रताप सिंह को प्रत्याशी बनाया है।
 
पप्पू यादव के इस दाव से राजद को नुकसान हो सकता है। जदयू के नरेंद्र नारायण यादव आलमनगर सीट से 1995 से ही लगातार विधायक हैं। 1995 में पहली बार वह जनता दल के टिकट पर निर्वाचित हुए। इसके बाद उन्होंने वर्ष 2000, फरवरी एवं अक्टूबर 2005, 2010 और 2015 के विधानसभा चुनाव में वह लगातार जदयू के टिकट पर जीतते रहे। वर्ष 2015 में जदयू के यादव ने लोजपा के चंदन सिंह को 43876 मतों से परास्त किया था।
 
आलमनगर सीट से 10 प्रत्याशी भाग्य आजमा रहे हैं। सिंहेश्वर (सुरक्षित), से सूबे के अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण मंत्री और जदयू के निवर्तमान विधायक रमेश ऋषिदेव जीत की हैट्रिक लगाने की पुरजोर कोशिश में हैं। वहीं राजद ने जदयू से बागी पहली बार चुनाव लड़ रहे चंद्रहास चौपाल को उनके सामने लाकर खड़ा कर दिया है। लोजपा के अमित कुमार भारती और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के रामदेव राम मुकाबले को रोचक बनाने में लगे हैं। वर्ष 2015 में जदयू के रमेश ऋषिदेव ने हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) प्रत्याशी मंजू देवी को 50200 मतों से शिकस्त दी थी। इस सीट से 10 प्रत्यशी चुनाव लड़ रहे हैं। (वार्ता)

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