वहीं दूसरी ओर आरजेड़ी और कांग्रेस का महागठबंधन में अभी भी सीट बंटवारे का मसला उलझा हुआ है। आज पटना मे तेजस्वी यादव लेफ्ट पार्टी के नेताओं के साथ मुलाकात कर रहे है। वहीं दिल्ली में राहुल गांधी के नेतृत्व मे सीट बंटवारे को लेकर मंथन तेज हो गया है। विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में आरजेडी इस बार बड़े भाई यानि अधिक सीटों पर चुनाव लड़ सकता है।
बिहार चुनाव में किसका पलडा भारी?- बिहार विधानसभा चुनाव इस बार NDA और महागठबंधन के बीच कांटे का मुकाबला माना जा रहा है। NDA मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चेहरे पर एक बार फिर चुनाव मैदान में उतरने जा रहा है। बिहार में नीतीश कुमार लगभग 20 से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज है और तमाम एंटी इंकंमबेंसी फैक्टर को दरकिनार कर एक बार फिर उन्हीं के नेतृत्व में NDA चुनाव लड़ने जा रहा है। NDA बिहार चुनाव में एक बार फिर जंगलराज का मुद्दा उठा रही है। वहीं नीतीश सरकार ने चुनाव से ठीक पहले जिस तरह से राज्य में लोकलुभावन घोषणों की झड़ी लगाई है, उसमें राज्य की 75 लाख महिलाओं के खाते में सीधे 10 हजार रुपए देना चुनाव में NDA के पक्ष में गेमचेंजर साबित हो सकता है। 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बिहार में 74 सीटों पर जीत हासिल की थी।
वहीं दूसरी ओर आजेडी और कांग्रेस का महागठबंधन ने भले ही अभी सीएम चेहरे का एलान नहीं किया हो लेकिन आरजेडी के तेजस्वी यादव खुद को मुख्यमंत्री चेहरा बता रहे है और चुनाव की तारीखों के एलान से पहले राज्य में दो यात्रा निकाल चुके है। राहुल और तेजस्वी यादव ने SIR के मुद्दें पर एक साथ बिहार अधिकार यात्रा निकाल चुके है। वहीं चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर पहली अपनी पार्टी जन सुराज के जरिए राज्य की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। प्रशांत किशोर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ भाजपा और आरजेडी और कांग्रेस पर हमलावर है।