यूपीए की नीतियों से देश की सुरक्षा खतरे में

शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010 (12:34 IST)
राष्ट्रीय अधिवेशन में पारित सुरक्षा प्रस्ताव के जरिए भाजपा ने प्रधानमंत्री से यह आश्वस्त करने को कहा है कि उनकी सरकार कश्मीर की धरा के बारे में कोई समझौता नहीं करेगी।

भाजपा ने आरोप लगाया कि देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा केंद्र की यूपीए सरकार के चलताऊ रवैए के कारण खतरे में पड़ रही है। सीमाओं की सुरक्षा के साथ आतंकवाद और नक्सलवाद की बढ़ती चुनौतियों को लेकर राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमनसिंह ने केन्द्र पर तीर चलाए।

राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर प्रस्ताव अरुण जेटली ने रखा, जिसका गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने समर्थन और मुख्तार अब्बास नकवी ने अनुमोदन किया। प्रस्ताव के पक्ष में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमनसिंह सहित अनेक वक्ताओं ने अपने विचार रखे।

अरुण जेटली ने अपने भाषण में कहा कि देश की सुरक्षा को लेकर हालात पिछले पाँच सालों में तेजी से बिगड़े हैं। पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने में जुटा है। यूपीए सरकार आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई कमजोर करने की राजनीति कर रही है। ऐसा लगता है जैसे अमेरिकी दबाव में निर्णय लिए जा रहे हैं। हद तो तब हो गई जब यूपीए का समर्थक रहा एक दल घाटी में दोनों देश की मुद्रा चलाने की वकालत कर बैठा।

जेटली ने यह सवाल भी उठाया कि चीन के साथ सीमा विवाद के मामले में भारत पुरजोर ढंग से अपनी बात क्यों नहीं रख पा रहा। आज हालत यह है कि प्रधानमंत्री यदि अरुणाचल जाते हैं तो भी चीन आपत्ति करता है। जेटली ने कहा कि आतंकवादियों पर सख्ती के लिए मप्र, छत्तीसगढ़ और गुजरात पोटा की माँग करते हैं, लेकिन केन्द्र अनुमति नहीं दे रहा।

बाटला हाउस की घटना की जाँच हो चुकी, लेकिन अब कांग्रेस के बड़े नेता आजमगढ़ चले गए। कांग्रेस नेताओं के लिए आजमगढ़ तीर्थ स्थान बन गया।

कांग्रेस का खोखला रवैया : नरेंद्र मोदी ने भी केन्द्र पर तीखे आरोप लगाते हुए कहा कि भारत की सुरक्षा के निर्णय वॉशिंगटन और वोट की राजनीति के प्रभाव में हो रहे हैं। कांग्रेस आतंकवाद पर खोखला रवैया अपना रही है। मोदी ने कहा कि आतंकवादियों के पास उन्नत शस्त्र हैं। वे दिन में तीन बार निशानेबाजी की प्रैक्टिस करते हैं, लेकिन केन्द्र ने निर्देश दिए हैं कि राज्यों में 1 साल की बजाय 3 साल में फायरिंग की प्रैक्टिस की जाए।

नक्सलियों की निगाहें दिल्ली पर : छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमनसिंह ने प्रस्ताव के समर्थन में कहा कि छत्तीसगढ़ सहित देश के अनेक राज्य नक्सल और माओवाद के शिकार हैं। नक्सलियों की निगाहें अब दिल्ली की सत्ता पर लगी हैं। नक्सलवाद जितना दिखता है, हकीकत में उससे कई गुना अधिक है। रेड कॉरिडोर में पशुपतिनाथ से तिरुपति तक नक्सलवाद फैलने की बात पुरानी पड़ चुकी है। उनका नेटवर्क काफी फैल चुका है। सिंह ने कहा कि उनकी सरकार ने छः साल से योजनाबद्ध तरीके से आदिवासियों के हित में लगातार अनेक निर्णय लिए और पुलिस में 26 हजार भर्तियाँ कीं, जिससे इस समस्या पर काफी अकुंश लगा है।

आतंकवाद केंद्रीय मुद्दा नहीं रहा : भाजपा उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने भी सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने दाढ़ी और टोपी को बिन लादेन की फैक्टरी का सामान बना दिया। आज हर मुसलमान शक के दायरे में आ गया है। (नईदुनिया)

वेबदुनिया पर पढ़ें