गोवा में 16 जनवरी से जारी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (IFFI) अब शबाब पर है। कोरोना संकट के बावजूद दुनिया के तमाम फिल्म समारोहों के लिए यह उत्सव एक मिसाल बन गया है। समारोह अब मिडफेस्ट में दिखाई गई फिल्म-मेहरून्निसा से समापन समारोह की ओर बढ़ रहा है। इस समारोह में करीब 200 फिल्में दिखाई जा रही हैं। आइनॉक्स और कला अकादमी, पणजी के 7 थियेटर हॉलों में हर दिन 3-4 फिल्म शोज़ का दौर जारी है। फिल्में देखने के लिए सिने प्रेमी दर्शकों की ख़ासी संख्या जुट रही है। कोरोना की वजह से इस बार हायब्रिड (मिश्रित) आयोजन हो रहा है। एक तरफ ऑनलाइन वर्चुअल मास्टर क्लासेस और इन कन्वरसेशन चल रहा है, फिल्म बाज़ार लगा है। दूसरी तरफ़ सिनेमा प्रेमी देश और दुनिया की फिल्मों का मज़ा ले रहे हैं। बड़े नाम कम ही सही, लेकिन देश-विदेश के फिल्म निर्माताओं, निर्देशकों, कलाकारों से रूबरू हो रहे हैं।
असंभव को कर दिखाया संभव
इस पूरे आयोजन की डीएफएफ के निदेशक चैतन्य प्रसाद के साथ ही बड़ी सजगता से डिप्टी डायरेक्टर प्रशांत कुमार, समकक्ष सहयोगी तनु रॉय के साथ कमान संभाल रहे हैं। प्रशांत कुमार आयोजन से करीब तीन हफ़्ते पहले दिल्ली से गोवा आकर डेरा डाल चुके थे। गोवा सरकार के प्रशासकीय सहयोग से अपनी युवा टीम के साथ समारोह के प्रबंधन में जुट गए थे।
पणजी में इस आयोजन की भागमभाग के बीच मेरी प्रशांत कुमार से बातचीत हुई। पूछने पर वे बताने लगे, दुनिया भर में कोविड की दहशत की वजह से आशंका थी कि इस बार 50 सालों से जारी भारत के इंटरनेशनल फिल्म समारोह पर कहीं ब्रेक ना लग जाए। हर साल अप्रैल के महीने से ही नवंबर में होने वाले अंतरराष्ट्रीय समारोह की तैयारी शुरू हो जाती थी। परंतु इस बार कोरोना का ऐसा ग्रहण लगा कि जून में फेस्टिवल का काम शुरू हो सका। इस बार प्रिव्यू कमेटी का गठन भी अक्टूबर-नवंबर में हुआ और फिर प्राथमिक स्तर पर फिल्मों को दिल्ली के सिरीफोर्ट ऑडियोटोरियम में देखने का काम शुरू हुआ। कमेटी के सदस्यों ने एक दिन में 5-5 फिल्में देखीं, सर्दी, सैटरडे-संडे को छुट्टी दे दी और बेहतर फिल्मों के चयन की दिशा में शिद्दत से आगे बढ़ने का काम किया।'
इफ्फी के उद्घाटन समारोह के प्रमुख अतिथि कन्नड़ एक्टर सुदीप (Kiccha Sudeep ) के साथ डीएफएफ के डिप्टी डायरेक्टर प्रशांत कुमार
आगे बढ़ने का मिला हौसला
प्रशांत कुमार ने कहा, भले ही आयोजन दो महीने विलंब से हुआ, लेकिन आज यह समारोह दुनिया के बहुत से फिल्मी समारोहों के लिए एक मिसाल बन गया है। यह सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, सचिव अऩिल खरे से मिले हर संभव सहयोग और प्रोत्साहन से ही हो सका। इसमें गोवा सरकार का कदम-कदम पर सहयोग मिला।
गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत खुद इस सफल बनाने के लिए एक्शन में रहे। आप जानते ही हैं, हमें पणजी में गोवा सरकार का ही लॉजिस्टिक सपोर्ट मिलता है। यहां पर मैं ईएसजी के सीईओ अमित सतेजा, टेक्निकल कमेटी के प्रमुख एके बीर और निगरानी कमेटी के सहयोग को भी मैं नहीं भूल सकता। उनका भी इस आयोजन की सफलता में बड़ा योगदान है। मिसाल के लिए ग्लिच फ्री स्क्रीनिंग की विदेशी फिल्मकारों ने भी तारीफ़ की है।
हायब्रिड आयोजन से बनी बात
हां, इस बार कोविड की वजह से हमें बहुत सी सावधानियों का भी ध्यान रखना पड़ा। इसी वजह से यह एक हायब्रिड आयोजन रहा, फिजिकल और वर्चुअल दोनों ही तरह से होने की कल्पना की गई। प्रशांत कुमार बताते हैं, दुनिया में और भी जगहों पर हायब्रिड फिल्म समारोह तो हुए, जैसे कि फ्रांस में। मगर वहां पर फिल्मों को सिर्फ वर्चुअली मार्केट किया गया। मगर पणजी,गोवा में हम बकायदा फिल्में दिखा रहे हैं।
यह बात और है कि सिनेमा हाल की कुल दर्शक संख्या से आधे लोगों को ही फिल्म दिखाई जा रही हैं। एक सीट छोड़कर फिल्म देखने की व्यवस्था की गई है। इस बार दर्शक करीब 200 फिल्में देख पा रहे हैं। चूंकि इन कन्वरसेशन और मास्टर क्लासेस में काफी संख्या में लोग आते हैं, इसलिए वक्त की नज़ाकत को देखते हुए इस बार यह दोनों प्रोग्राम वर्चुअली आयोजित किए गए हैं। इसमें शेखर कपूर, मधुर भंडारकर, राहुल रवैल जैसे दिग्गज सिनेकार अपने कार्यक्रम कर रहे हैं। इसके लिये पहली बार एक ओटीटी प्लेटफार्म बनाया गया है।
ऑनलाइन फिल्मोत्सव का लीजिये मज़ा
आयोजन से ऑनलाइन जुड़ने के बारे में प्रशांत कुमार ने बताया, कोई भी दर्शक या सिनेमा प्रेमी इसमें 500 रूपये की फीस जमा कर ऑनलाइन या आयोजन स्थल पर आकर रजिस्ट्रेशन करा सकता है। इस तरह वो ऐसे कार्यक्रमों का हिस्सा बन सकता है। उन्होंने कहा कि ओटीटी पर इन कार्यक्रमों के अलावा कुछ पहले की चर्चित रेट्रोस्पेक्टिव फिल्में हैं और कुछ इस बार की फोकस कंट्री बांग्लादेश की फिल्में भी शामिल हैं।
यानी ओटीटी पर आप समारोह की करीब 32 फिल्में देख सकते हैं। इसी तरह आप यहां दूरदर्शन के बहुत से प्रोग्राम भी देख सकते हैं। उन्होंने ध्यान दिलाया कि इस बार फिल्मोत्सव में सत्यजीत रे और दादा साहब फालके के फिल्म पैकेज भी हैं। जो इस साल की एक बड़ी विशेषता है।
क्या है फिल्म चयन की प्रक्रिया?
डीएफएफ के इस अधिकारी ने एक और अहम बात बताई। उन्होंने कहा, कोरोना संकट के बावजूद इस बार विदेश से हमारे पास कोई 600 फिल्में आईं। फिल्में हमें ऑनलाइन या क्यूरेटर्स के माध्यम से मिलती हैं। एंट्री मिलने के बाद की प्रक्रिया भी बहुत महत्वपूर्ण है। एंट्री के बाद आई फिल्मों को प्रिव्यू कमेटी देखती है। उससे पहले भी उनकी स्कूटनिंग होती है। फिल्मों के प्रिव्यू के बाद विदेश मंत्रालय से पोलिटिकल क्लियरेंस ली जाती है।
इंटरनेशनल फिल्म को लेकर सेंसर नियम भी अलग होते हैं। एक बार ये सब हो जाने के बाद हम फिल्मों की जानकारी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को देते हैं। उसके बाद हम फिल्मों को शॉर्ट लिस्ट करते हैं। उन्हें वर्गों के हिसाब से बांटते हैं। ऐसी फिल्में जिन्हें पहली बार ही भारत के अंतरराष्ट्रीय समारोह में शामिल किया जा रहा है। उन्हें हम वर्ल्ड प्रीमियर या एशिया प्रीमियर जैसे वर्गों में रखते हैं। इसी तरह हमने ओपनिंग, मिड फेस्ट और क्लोज़िंग इंडियन फिल्में प्लान की जाती हैं। ऑस्कर एंट्रीज़ वाली फिल्मों की भी एक प्रक्रिया है।
इफ्फ़ी में कलाकारों का वेलकम
अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह यानी इफ्फी में जो भी फिल्म प्रदर्शन और कॉम्पीटिशन के लिये चुन ली जाती हैं, उनके निर्माता-निर्देशकों या कलाकारों को आमंत्रित किया जाता है। इस बार कोविड प्रोटोकॉल की वजह से सिर्फ 80 लोग ही निमंत्रण स्वीकार कर सके। इनमें से भी आधे प्रतिबंधित उड़ानों या वीज़ा ना मिलने की वजह से गोवा नहीं आ सके।
40 इंटरनेशनल गेस्ट ज़रूर समारोह में पहुंचे हैं। इंटरनेशनल कॉम्पिटिशन सेक्शन की 5 ज्यूरी भी इस बार वीज़ा ना मिलने की वजह से आ पाने में असमर्थ रहे। इसके अध्यक्ष अर्जेंटिना के पाब्लो सीज़र हैं। भारत से इंटरनेशनल ज्यूरी प्रियदर्शन ज़रूर उदघाटन समारोह में शामिल हुए।
- सीनियर जर्नलिस्ट और लेखक शकील अख़्तर अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल (भारत सरकार) की प्रिव्यू कमेटी के सदस्य हैं।