फिल्म के नाम में ही खेल है तो खेल का होना जरूरी है। कुछ दोस्त अपनी पत्नियों के साथ सोशल इवेंट में जमा होते है तो बातों-बातों में ही एक अनोखा खेल खेलने का फैसला करते हैं।
सेल फोन टेबल पर रख दिए जाते हैं और शर्त यह होती है कि जो भी कॉल आएगा उसे स्पीकर पर रख सबको सुनाना होगा। यही नहीं, व्हाट्स एप मैसेज, एसएमएस और ईमेल को भी जोर से पढ़ना होगा।
शुरू में तो दोस्तों को यह खेल मजेदार लगता है, लेकिन धीरे-धीरे यह खतरनाक हो जाता है क्योंकि पति-पत्नी के रिश्तों और दोस्ती पर इसका असर होने लगता है।
जैसे-जैसे उनके अतीत के रहस्य सामने आते हैं, उन्हें अपने रास्ते में आने वाले खतरों से बचने की कोशिश करते हुए लंबे समय से दबी सच्चाई का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
इटालियन फिल्म परफेक्ट स्ट्रेंजर्स का रीमेक मुदस्सर अजीज ने हिंदी में खेल खेल में नाम से बनाया है। फिल्म कहानी में फन और टेंशन दोनों है, लेकिन स्क्रीनप्ले में इसका पूरा फायदा नहीं उठाया गया है।
टेंशन ऐसा नहीं है कि दर्शक नाखून चबा ले और कॉमेडी में ऐसे सीन की कमी है जो खूब हंसा सके। कुछ मजेदार दृश्य हैं, लेकिन इनकी संख्या ज्यादा होनी थी।
बतौर लेखक के निर्देशक के रूप में मुदस्सर का काम बेहतर है। उन्होंने अपने निर्देशकीय कौशल से दर्शकों को बांधने की पूरी कोशिश की है और कहानी के लिए माहौल अच्छा बनाया है।
सारे किरदार अमीर रखे हैं जिससे फिल्म में चकाचौंध आ गई है। साथ ही उन्होंने अपने कलाकारों से अच्छा काम भी लिया है।
रात की कहानी और ज्यादातर फिल्म को एक ही लोकेशन पर रख कर बात कहना आसान नहीं होता। कुछ लोगों को यह बात अखरेगी क्योंकि फिल्म उन्हें नीरस लग सकती है।
संवाद कई जगहों पर तीखे और मजाकिया हैं, खासकर अक्षय कुमार और उनके सह-कलाकारों के बीच के दृश्यों में, जो तनावपूर्ण दृश्यों के बीच बहुत जरूरी राहत देते हैं।
दूसरे हाफ में चुस्त संपादन की जरूरत महसूस होती है खासतौर पर जब फिल्म अंत की ओर बढ़ती है।
अक्षय कुमार अपनी भूमिका में चमकते हैं। कॉमिक रोल में उनके अंदर का अभिनेता खिल उठता है और यह स्क्रीन पर नजर आता है। उनकी सहज कॉमिक टाइमिंग सराहनीय है।
लंबे समय बाद बिग स्क्रीन पर फरदीन खान नजर आए हैं और प्रभावित करते हैं। तापसी पन्नू कुछ दृश्यों में ओवरएक्टिंग का शिकार नजर आईं।
प्रज्ञा जैसवाल का डेब्यू शानदार रहा है। एमी विर्क और आदित्य सील की एक्टिंग एवरेज रही, जबकि वाणी कपूर में कोई सुधार नजर नहीं आया।
तनिष्क बागची, बी प्राक, साजी अली, रोचक कोहली, गुरु रधावा, राज रंजोध, इंटेंस और जस्सी संधू जैसी संगीतकारों की फौज है, जिन्होंने ठीक-ठाक धुनें बनाई हैं। हौली हौली का पिक्चराइजेशन अच्छा है।
कुल मिलाकर, "खेल खेल में" की कहानी अनूठी है, लेकिन उस पर बनी फिल्म उतनी मजेदार नहीं है।
फिल्म : KHEL KHEL MEIN (2024)
निर्देशक : मुदस्सर अजीज
गीतकार : कुमार, जानी, खादिम हुसैन, गुरु रंधावा, राज रंजोध, जस्सी सिंधू, राहुल गिल
संगीतकार : तनिष्क बागची, बी प्राक, साजी अली, रोचक कोहली, गुरु रधावा, राज रंजोध, इंटेंस, जस्सी संधू