‘धमाल’ के सीक्वल ‘डबल धमाल’ में क्या नया है? नाम से ही जाहिर है कि अब मजा डबल होगा। मैं बताना चाहूँगा कि जब भी कोई निर्माता सीक्वल बनाता है तो पहली फिल्म में दर्शकों को जो पसंद आया है उसे और बढ़ाकर दिखाने की कोशिश करता है। ‘डबल धमाल’ की कहानी वही से शुरू होगी जहाँ पर ‘धमाल’ खत्म हुई थी। पिछली फिल्म में हीरोइन की कमी कुछ लोगों को महसूस हुई थी, इस बार दो हीरोइनें डाल दी गई हैं।
‘डबल धमाल’ की कहानी के बारे में बताएँगे। ‘धमाल’ में हम पैसे के पीछे भागते नजर आए थे। उसी के कारण समस्याएँ उत्पन्न हुई थीं। अंत में जो पैसे हमें मिले वो चैरिटी में दे दिए। ‘डबल धमाल’ की शुरुआत में दिखाया गया है कि हमें अहसास होता कि हमने यही सबसे बड़ी गलती की थी। एक बार फिर हम चारों भिखारी हो गए। दूसरी तरफ हम चारों के अपराध में भागीदार रहा कबीर (संजय दत्त) तो मालामाल है। हम कबीर से पैसे ऐंठने के लिए कई तरह की योजनाएँ बनाते हैं।
‘धमाल’ के रिलीज होने के चार साल बाद ‘डबल धमाल’ रिलीज हो रही है। क्या पहली फिल्म दर्शकों को अब तक याद होगी? मुझे तो लगता ही नहीं कि ‘धमाल’ को रिलीज हुए चार साल हो गए हैं। शुरुआत में यह फिल्म हिट नहीं हुई, लेकिन धीरे-धीरे यह सफलता की ओर अग्रसर होने लगी। उसके बाद टीवी और डीवीडी के जरिये यह फिल्म कई लोगों ने कई बार देखी। यह बात ‘डबल धमाल’ के लिए फायदेमंद साबित होगी।
क्या सीक्वल करते समय कलाकार पर दबाव होता है? बिलकुल होता है क्योंकि हमें पहले से और ज्यादा बेहतर करना होता है।
आप सिर्फ हास्य फिल्मों तक ही सीमित हो गए हैं? क्या करूँ? यह मेरे हाथ में नहीं है। सीरियस सिनेमा करता हूँ तो वे फिल्में चल नहीं पाती हैं, जबकि मेरी हास्य फिल्में सुपरहिट होती हैं। जैसी फिल्में हिट होती हैं उसी तरह के ऑफर आते हैं।