‘रकीब’ के जरिए इच्छा पूरी हुई : जिमी शेरगिल

IFM
जिमी शेरगिल इन दिनों अलग-अलग किरदारों में नजर आ रहे हैं। ‘बस एक पल’, ‘एकलव्य’ और ‘देहली हाइट्स’ के जरिए उन्होंने दिखाया कि हर तरह की भूमिका में वे जम सकते हैं। जिमी की ‘रकीब’ जल्द ही प्रदर्शित होने वाली है। पेश है उनसे बातचीत :

सबसे पहले आप ‘रकीब’ का अर्थ बताएं।
’रकीब’ का मतलब होता है दुश्मनी। यह एक लड़की की कहानी है जिसकी जिंदगी में दो पुरुष आते हैं। यह एक थ्रिलर फिल्म है।

आपको नहीं लगता कि इस तरह का नाम आम आदमी को समझ में आ सकता है?
मुझे आशा है कि लोग इस नाम का अर्थ समझ गए होंगे। और फिर आप टाइटल तो कुछ भी रख सकते हैं जैसे ‘लल्लन चले लंदन’। नाम से कोई फर्क नहीं पड़ता। फिल्म का प्रोमो और पैकेजिंग ही लोगों को फिल्म देखने के लिए प्रेरित करता हैं।

राजकंवर इस फिल्म के निर्माता हैं। उनका फिल्म में कितना दखल रहा?
फिल्म की पटकथा लिखने में उनका सहयोग रहा है और यह बात फिल्म के निर्देशक अनुराग भी मानते हैं। लेकिन पूरी फिल्म को अनुराग ने ही निर्देशित किया है। राजकंवर ने फिल्म की बेहतरी के लिए सुझाव दिए।

आप जो चरित्र निभा रहे हैं उसमें क्या खास बात है?
मैंने ऐसा चरित्र पहले कभी ‍नहीं निभाया। मेरी हमेशा से ख्वाहिश रही है कि मैं ऐसा किरदार निभाऊँ कि जब मैं परदे पर आऊँ तो तालियाँ पड़े और सीटी बजें। मुझे लगता है कि ‘रकीब’ के जरिए मेरी इच्छा पूरी हो गई है।

क्या आप इस रोल के लिए पहली चॉइस थे?
इसके पीछे एक मजेदार कहानी है। अनुराग सभी को अपनी पटकथा पढ़कर सुना रहे थे। बीच में ही मैं बोल पड़ा कि यह किरदार मैं अभिनीत करूँगा। अनुराग ने मुझे इंतजार करने को कहा। पटकथा पूरी होने के बाद अनुराग ने कहा कि इस किरदार के बारे में उन्होंने मेरा ही नाम सोचा था।

इस फिल्म में राहुल, शरमन और तनुश्री जैसे अपेक्षाकृत नए कलाकार हैं, क्या आप अपने आपको इनके बीच सीनियर मानते थे?
मेरे दिमाग में तो कभी ऐसा खयाल नहीं आया। अनुराग बहुत छोटा है पर उसके विचार स्पष्ट है। चाहे शॉट लेना हो या तुरंत निर्णय करना हो वह बखूबी अपना काम जानता है।

और तनुश्री के बारे में क्या कहेंगे?
तनुश्री का रोल बहुत ही जबरदस्त है। सारे चरित्र तनुश्री के इर्दगिर्द घूमते हैं। उसने बहुत मेहनत की है क्योंकि उसने तीन अलग-अलग किरदार निभाए हैं। मेरे खयाल से वह दर्शकों को चौंकाएगी।

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