एक हसीना थी एक दीवाना था म्युजिकल रोमांटिक स्टोरी है : शिव दर्शन

अपनी दूसरी फिल्म ‘एक हसीना थी, एक दीवाना था’ के साथ बॉक्स ऑफिस पर टेस्ट देने के लिए तैयार हैं अभिनेता शिव दर्शन। पिता सुनील दर्शन और चाचा धर्मेश दर्शन ने बॉलीवुड में एक से बढ़कर एक फिल्में बनाई हैं, सो शिव के रक्त में भी सिनेमा बह रहा है, पर वो अभिनेता के रूप में। जब भी कोई मसला हो, शिव अपने दिल की सुनते हैं। पेश है इस उभरते प्रतिभावान अभिनेता से हुई बातचीत के अंश...
तीन साल बाद आपकी दूसरी फिल्म आ रही है। इस अंतराल की वजह?
फ्रैंकली कहूं तो उस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा परफॉर्म नहीं किया था। आपको उड़ने से पहले गिरना पड़ता है। पहली फिल्म के अच्छा न कर पाने की वजह से मैं थोड़ा अलर्ट हो गया। इस दौरान मुझे फिल्में तो कई ऑफर हुर्इं, पर मैं कहानी और उनकी भूमिकाओं से संतुष्ट नहीं था इसलिए ये गैप आ गया।
 
तो इस फिल्म को करने के लिए क्या खास वजह रही?
इस फिल्म की स्क्रिप्ट डैड ने लिखी थी 2 घंटे में। इसके बाद उन्होंने मुझे बुलाया और बताया। ये मुझे इतना अच्छा लगा कि मैंने तुरंत कह दिया। डैड ये फिल्म मुझे करनी है। इस तरह मैं इस फिल्म से जुड़ गया। 
 
 तो इस फिल्म की किस चीज ने आपको अपील की?
ये एक म्यूजिकल रोमांटिक स्टोरी है, जो काफी अच्छी है। डैड डायरेक्टर और नदीम म्यूजिक डायरेक्टर। ये दोनों ही इंडस्ट्री के दिग्गज हैं। फिर इस फिल्म से नदीम का कमबैक हो रहा है। तो मेरे लिए ये प्रिविलेज है। और जब कुछ अच्छा होने वाला होता है तो ऐसी चीजें होती हैं। ये किसी भी एक्टर के लिए आशीर्वाद की तरह होती हैं। 
 
किस तरह की भूमिकाएं करना आपको पसंद है?
मेरी कोई खास पसंद नहीं है। एक अच्छा एक्टर हर तरह के रोल करता है। बस रोल में दम होना चाहिए। मुझे कोई भी रोल मिले, वो बस दिल को छूना चाहिए। 
 
आप पहली बार डैड के सामने अभिनय कर रहे थे। तो कोई संकोच...
अरे नहीं। सेट पर हम बस एक्टर और डायरेक्टर होते हैं। एकदम प्रोफेशनल। पैकअप के बाद जब घर आते हैं, तो बाप-बेटे होते हैं। डैड काफी हंबल पर्सन हैं, पर जब कोई गलती हो जाए तो वहीं तुरंत डांट पड़ जाती है। सेट पर मैं उन्हें पापा नहीं बल्कि एक डायरेक्टर के तौर पर देखता था इसलिए मुझे कोई दिक्कत नहीं होती थी। 
 
सेट पर को-स्टार नताशा के साथ आपकी ट्यूनिंग कैसी रही?
ओह! बहुत ही अच्छी। यह उनकी पहली फिल्म है। पर उन्होंने जैसा काम किया है उससे लगा ही नहीं कि यह उनकी पहली फिल्म है। वे एक नेचुरल एक्टर हैं। डायरेक्टर की बात समझने में उन्हें काफी महारत हासिल है। 


 
आपके सामने अगर कोई नया प्रोड्यूसर अच्छी कहानी ऑफर करे और दूसरी तरफ कोई बड़े बैनर की फिल्म ऑफर हो तो आप किसे चुनना पसंद करेंगे?
मैंने कहा न मैं अपने दिल की सुनुंगा। मेरा दिल जो कहेगा, मैं वही करूंगा। 
 
आपके डैड ने बहुत सी फिल्में बनाई हैं। आपको कौन सी सबसे ज्यादा पसंद है?
ऐसे तो उन्होंने सभी अच्छी फिल्में बनाई हैं, पर 'जानवर' और 'एक रिश्ता' मुझे बहुत अच्छी लगती हैं। इन फिल्मों में अच्छी कहानी, एक्शन, इमोशन और म्यूजिक सभी कुछ है। 
 
बॉलीवुड में आपका फेवरिट एक्टर कौन है?
अमिताभ बच्चन का काम मुझे बहुत अच्छा लगता है। 
 
अगर कहा जाए कि आपकी एक्टिंग पर किस एक्टर का प्रभाव ज्यादा देखा जा सकता है?
मैंने तो अभी अपनी एक्टिंग की यात्रा शुरू ही की है। फिर भी जैसा कि मैंने कहा कि मुझे यहां अमिताभ बच्चन बहुत पसंद हैं और हॉलीवुड की बात करें तो अल पचीनो अच्छे लगते हैं। तो हो सकता है मेरे एक्टिंग में कहीं-न-कहीं उनका कुछ अपने आप आ जाए।
 
आपकी नजर में आपके डैड और चाचा दोनों में बेस्ट कौन हैं?
दोनों ही बेस्ट हैं। दोनों ने ही कई अच्छी फिल्में बनाई हैं। डैड की 'एक रिश्ता' की सीक्वल बन सकती है। चाचा ने भी 'लुटेरे' से लेकर 'धड़कन' तक अच्छी फिल्में बनाई हैं। 'लुटेरे' का सीक्वल बनाया जा सकता है। 
 
डैड और चाचा दोनों एकसाथ रोल ऑफर करें तो किसकी करना पसंद करेंगे?
मैंने पहले ही कहा मैं दिल की सुनता हूं। जिसकी स्क्रिप्ट अच्छी लगेगी उसकी करूंगा। 
 
डैड और चाचा दोनों ही डायरेक्टर हैं। क्या आगे चलकर आपका भी इरादा तो डायरेक्शन का नहीं?
अभी तो एक्टर हूं और यही काफी है। डायरेक्टर के लिए मल्टी टैलेंटेड होना पड़ता है। एक्टिंग टफ है, पर डायरेक्शन बहुत ही ज्यादा टफ है। 

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