Saiyami Kher Interview: मैं बहुत ही कंजूस किस्म की लड़की हूं। आप चाहे तो सबको बता दे कि मैं बहुत सारी चीजों में पैसा खर्चा करना पसंद नहीं करती हूं। मेरे बारे में तो प्रोडक्शन हाउस में भी यही बोला जाता है कि काश कि हम तुम्हें एक्टिंग के लिए नहीं प्रोडक्शन के लिए ले लेते ताकि फिल्म बनाते समय खर्चा कम से कम हो सके। लोग बहुत हंसते हैं इस बात पर लेकिन मैं जानती हूं कि मुझे पैसे खर्चा करना बिल्कुल भी पसंद नहीं।
मेरी फिलॉसफी यह है कि जब मेरे पास पैसा है, मैंने खुद ने अपने लिए कमाया है और पैसे कमाना कोई छोटी मोटी बात नहीं है। कितनी मेहनत लगती है तब जाकर आपको थोड़ा सा पैसा मिलता है तो इस पैसे को मैं फिजूलखर्ची में क्यों खत्म कर दूं। क्यों मैं अब ब्रांडेड चीज लूं, सादी चीज ले लूंगी। लेकिन साथ ही मुझे कार का बहुत शौक है। आपको मेरे पास बहुत बड़ी बड़ी चीज शायद ना मिले लेकिन कार मिलेंगे क्योंकि वह मुझे पसंद है। मेरी मां का सपना था कि मैं एक दिन बड़ी सी मर्सिडीज़ में उन्हें घुमाऊ तो बस मैंने सारे पैसे इकट्टा किए है और फिर वह मर्सिडीज ले ली और मां का सपना पूरा कर दिया।
यह कहना है सैयामी खेर का जो फिल्म घूमर के जरिए बहुत ही जल्द लोगों के सामने आने वाली है। इस फिल्म में वह एक ऐसी क्रिकेट प्लेयर बनी है जो एक्सीडेंट में अपना एक हाथ खो देती है लेकिन बाएं हाथ जो सही सलामत है उसके साथ खेल कर एक बार फिर से नेशनल टीम का हिस्सा बन जाती हैं।
सैयामी के बारे में बात बताएं तो वह यह कि वह खुद भी एक अच्छी क्रिकेट प्लेयर रह चुकी हैं। उन्होंने अपने राज्य का भी प्रतिनिधित्व किया है। अपनी बातों को आगे बढ़ाते हुए हल्के-फुल्के तौर पर सैयामी बताती हैं कि मैं अपने इतने सारे पैसे बचाएं करती थी। बहुत सारे फैशन असाइनमेंट से पैसे मिला करते थे। 2011 में मैंने डेढ़ लाख का टिकट लिया वर्ल्ड कप का ताकि मैं अपनी आंखों से अपने फेवरेट क्रिकेट प्लेयर सचिन तेंदुलकर को देख सकूं। जब यह बात मैंने अपनी मम्मी को बताई तो वह बड़ी नाराज हो गई कि तुम इतना सारा पैसा सिर्फ क्रिकेट के लिए खर्च कर रही हो तो मैंने भी कह दिया कि मेरा पैसा है और मैं उस चीज पर खर्च कर रही हूं जिसके लिए मुझे बहुत अच्छा लगता है। जब मैं विंबलडन देखने गई थी, मैं अपना पूरा खर्चा उठा विंबलडन कोर्ट में बैठी और अपने फेवरेट फेडरर को जीतते हुए देखा।
आपकी जिंदगी में खेल का क्या महत्व रहा है।
मुझे लगता है कि आज मैं जो कुछ भी हूं, वह सब स्पोर्ट्स की वजह से हूं और यह मैं अपने ही लिए नहीं कहना चाहती। मुझे लगता है हर माता-पिता और पालक को अपने बच्चे को स्पोर्ट्स जैसे एक्टिविटी में जरूर डालनी चाहिए। यह आपको अनुशासन सिखाता है। मेरे जीवन में इतनी कई छोटी-बड़ी चीजें हैं इतनी कई खूबियां है जो मुझ में आईं इसलिए क्योंकि मैं बचपन से खेलती रही हूं। मुझे याद है कि राकेश ओम प्रकाश मेहरा जी बोलते थे फिल्म के लिए तुम 3:00 बजे उठकर आ गई। मुझे लगता था कि 3:00 बजे तो उठना ही था। यह तो मेरा काम है।
बचपन से हम लोग सुबह जल्दी उठते थे। तैयार होकर अपने प्ले ग्राउंड में चला जाया करते थे और अगर कभी लेट हो जाते थे तो मेरे जो कोच उसी रैकेट से मेरे पांव पर लगाया करते थे और फिर हमें 10 चक्कर उस ग्राउंड के लगाने पड़ते थे। स्पोर्ट्स की वजह से अनुशासन की आदत सी पड़ गई थी। आप बोलो इस समय उठना है और काम करके तैयार होना है। मैं उस समय तैयार हो जाती थी।
फिर ऐसा होता है कि आप अब किसी भी तरीके का काम कर लो। चाहे वह बैंकिंग वाला काम हो गया एक्ट का काम ही क्यों ना हो? आप को अनुशासित रहना बहुत जरूरी है और जिस तरीके से खेल या स्पोर्ट्स आपको अनुशासन सिखाता है, वह आपके अंदर से निकालना नामुमकिन है। स्पोर्ट्स आपको हारना सिखाता है कि हार को कैसे खुले दिल से स्वीकार करें और अगर कभी जीत जाएं तो कितने विनम्र होकर अपने जीत को स्वीकार करें?
आपकी फिल्म इंडस्ट्री में दोस्ती किन-किन से हैं?
मेरी फिल्म इंडस्ट्री में दोस्ती लगभग नहीं है। मेरे जितने भी दोस्त हैं वह सब फिल्म इंडस्ट्री के बाहर के हैं या तो मेरे स्कूल में मेरे साथ थे या कॉलेज में मेरे साथ थे। आज भी अगर कभी मैं कोई अपने दिल की बात कहना चाहूंगी, कभी परेशानी में हूं तो अपने इन्हीं दोस्तों के पास लौट जाती हूं। हां, एक अंगद बेदी जो इस फिल्म में मेरे साथ काम कर रहे हैं वह मेरे बहुत ही अच्छे दोस्त हैं। उन्हें मैं फिल्म इंडस्ट्री में होने के बावजूद भी फिल्म इंडस्ट्री वाला दोस्त नहीं कहती हूं इसलिए क्योंकि बहुत सालों पहले जब हम दोनों को एक्टिंग करनी थी तो हम एक ही एजेंसी के साथ में थे। हमें मॉडलिंग तब शुरू ही किया था और दोनों जानते थे कि हमारे दोनों के सपने फिल्म करना है। तो हम जब दोनों एक्टर्स नहीं थे, हम तब से दोस्त हैं। दूसरा जो हमारी दोस्ती का एक बहुत बड़ा आधार है वह क्रिकेट! अंगद और मैं हमेशा क्रिकेट की बातें करते रहते थे तो इसलिए दोस्ती उनके साथ है, लेकिन वह मेरी फिल्मी दोस्ती तो मैं नहीं कहूंगी।
आप अपनी मेंटल हेल्थ के लिए क्या करती हैं?
मुझे ऐसा लगता है कि मैं बहुत खुशनसीब हूं जो मुझे बहुत सपोर्ट करने वाले पैरंट्स मिले हैं। कोई भी हो कितनी भी बड़ी परेशानी हो, कैसा भी व्यक्ति हो परेशानियां तो आएंगी। जीवन ऐसा ही रहता है लेकिन अगर ऐसे में आपके साथ आपके घर वालों का साथ हो तो परेशानी का समय निकल भी जाता है। कई बार आपके दोस्त आप के लिए बड़े मददगार साबित होते हैं। मुझे अगर कोई परेशानी होती है तो मैं मेरे माता-पिता से बात कर लेती हूं। दोस्तों से बात कर लेती हूं, लेकिन मुझे दुख उन लोगों के लिए होता है जिनको ऐसी मदद नहीं मिल पाती है।
मुझे ऐसा लगता है कि माता-पिता दोस्तों को हमेशा अपने साथ रखना चाहिए। साथ ही एक समाज के तौर पर हमें अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। मुझे ऐसा लगता है कि आप या मैं कहीं हम चूक गए जो किसी के दुख को पहचान ना सके और उसे अकेला छोड़ दिया परेशानी से जूझने के लिए वह इस परेशानी से बाहर निकलना पाया। बहुत बुरा लगता है जब ऐसी कोई चीज में पढ़ती हूं या मुझे मालूम पड़ती है। हम अपनी जिंदगी में इतने खो गए हैं। सर झुकाए अपने मोबाइल में दुनिया भर की चीज है, देखते हैं लेकिन सिर उठाकर सामने वाले से एक बार नहीं पूछते हैं। तुम ठीक तो हो ना, सब कुछ ठीक तो चल रहा है ना?