'मेरे हिसाब से फिल्म इंडस्ट्री में आमिर खान जानते हैं कि फिल्मों की पब्लिसिटी कैसे की जाती है और अगर कोई डिपेंडेबल हैं तो वे हैं अक्षय कुमार। वे अपने हिसाब से काम करते हैं। सुबह 7 बजे काम कर सकते हैं और शाम के 6 बजे वे काम बंद कर देते हैं और घर निकल जाते हैं। मेरे हिसाब से वे परफेक्ट बैलेंस बनाकर चलते हैं। वे मजदूरों जैसे काम नहीं करते रहते हैं वरना फिल्मी दुनिया में तो ऐसा अक्सर हो जाता है।' ये कहना है सैफ अली खान का, जिन्होंने बात की 'वेबदुनिया' संवाददाता रूना आशीष से।
आपके लिए सफलता क्या है?
मैं सफलता के बारे में अक्सर सोचता रहता हूं। सफलता मतलब स्वतंत्रता। इस बारे में तो फ्रेंच दर्शनशास्त्रियों ने बहुत सोचा है। रूसो और वॉल्टेयर ने बहुत बात की है इस बारे में। उन्होंने कहा है कि आदमी तो स्वतंत्र ही पैदा हुआ है लेकिन हर जगह से वह जंजीरों में जकड़ा हुआ है। सफलता मतलब स्वतंत्र और स्वतंत्र मतलब अपने समय को अपने हिसाब से व्यतीत करना। हम एक्टर्स बहुत स्वतंत्र होते हैं, जो हम तय कर सकते हैं कि किसके साथ कितना काम करना होगा और कितने दिनों तक काम करना है।
हाल ही में प्रमोशन के दौरान मैं दिल्ली में था। तैमूर और करीना भी दिल्ली में ही थे। मुझे बताया गया कि प्रमोशन खत्म करके हमें रात की फ्लाइट से ही दिल्ली से रवाना होना है, क्योंकि अगले दिन बहुत सारे इंटरव्यू लाइनअप हैं। मैंने कह दिया कि कुछ भी हो जाए, मैं तो नहीं जाने वाला। मैं तो सुबह ही जाऊंगा। मैंने वो समय अपने बच्चे को देने की तय किया था और मैंने दिया।
कैसा लगता है प्रमोशन करना आपको?
मेरे खयाल से प्रोमो, ट्रेलर और पोस्टर देखकर लोग फिल्म देखने आते हैं, न कि मेरे कुछ कहने या बोलने पर। अगर मैं हॉलीवुड की भी बात करूं तो वहां तो लोग होटल में ही रहते हैं और इंटरव्यू हो जाते हैं होटल में ही। हम भी दिल्ली या आसपास के शहरों में ऐसा ही करते हैं। हालांकि मैंने देखा नहीं है हॉलीवुड वालों की पब्लिसिटी के स्टाइल को। लेकिन मेरे हिसाब से वे लोग इतने अलग-अलग तरह के प्रोमोशन तो नहीं करते होंगे। एक बार लॉस एंजिल्स में देखा था। एक या दो जगह पर बड़े से होर्डिंग्स लगा दिए गए और लोगों ने होर्डिंग्स देखकर फिल्म भी देख ली। लोग ट्रेलर देखकर फिल्म देखने जाते हैं और किसी भी फिल्म का भविष्य शुक्रवार शाम या शनिवार दोपहर तक समझ में आ जाता है।
आपके बेटे तैमूर तो सोशल मीडिया पर छाए ही रहते हैं?
वो तो अभी से स्टार है। वो अभी ये नहीं समझता है कि पापा पर्दे पर आते हैं या नहीं? लेकिन उसे मोबाइल दे दीजिए बस फिर देखना कैसे-कैसे पोज देता है, कैसे-कैसे लुक देता है। अभी तो उसके ये हालात हैं तो अब आगे जाकर कैसे बनेंगे ये तो हमें देखना पड़ेगा।
सभी को लगता है कि हम लोगों को तो सब कुछ आसानी से मिल गया जबकि ऐसा नहीं है। मुझे भी कितनी स्टडी करनी पड़ती है एक-एक कैरेक्टर को निभाने में। लोगों को देखते रहना पड़ता है। लेकिन तैमूर तो अभी से बड़ी-बड़ी होटलों में घूमता रहता है। उसे बड़े होने के बाद कैसा शख्स बनाना है, ये हम दोनों यानी हम पैरेंट्स पर निर्भर करेगा। हमें उसके साथ थोड़ा स्ट्रिक्ट होना पड़ेगा। बड़े होने पर उसे समझना पड़ेगा कि मीडिया के सामने कैसे पेश आना है। कुछ भी गड़बड़ किया तो सबको मालूम पड़ेगा। बिलकुल प्रिंस हैरी की तरह।