मेरी गर्लफ्रैंड कौन है या है भी या नहीं : करण देओल

रूना आशीष

बुधवार, 25 सितम्बर 2019 (06:13 IST)
'जब मुझे अपनी फिल्म के लिए रोमांटिक सीन करने थे तो बहुत अजीब लग रहा था। पापा निर्देशक भी हैं और मेरे पापा भी। पापा के लिए भी ये उतना ही अजीब था। उन्होंने मुझे और सेहर को बुलाकर कहा कि तुम दोनों बड़े हो और हर बात जानते-समझते हो। सीन कैसे करना है, ये मैं अब तुम्हें समझा नहीं सकता। तो तुम अपने हिसाब से रोमांटिक सीन करना और मैं कैमरे के पीछे बैठकर ओके टेक कहता रहूंगा। बस जो भी करना, उसे फील करके करना।'


देओल परिवार की तीसरी पीढ़ी यानी करण देओल अपने करियर की शुरुआत अपने पापा सनी देओल के निर्देशन में कर रहे हैं। जहां सनी ने अपने बेटे को अपनी निगरानी में डेब्यू करने का फैसला लिया तो वहीं बाप-बेटे के बीच शर्म की दीवार ने अड़ंगा डाल ही दिया। लेकिन करण को इस बात की खुशी भी है कि इसी बहाने पापा से दोस्ती का रिश्ता कायम हो गया।
 
ALSO READ: सिलेक्शन की बात सुनकर लगा कि मैं रोने लगूंगी : सेहर बंबा
 
करण ने 'वेबदुनिया' से बात करते हुए आगे बताया कि 'मेरे घर में कभी भी पापा और बेटा दोस्त नहीं हो सकते हैं। हम लोगों में पापा के लिए हमेशा वो इज्जत और शर्म और सम्मान रहता है। मेरे लिए बॉबी चाचा और अभय चाचा ज्यादा दोस्ताना हैं। लेकिन फिल्म मेकिंग के दौरान मैंने कई वर्कशॉप्स की पापा के साथ। उन्होंने मुझे लाइट से लेकर अलग-अलग तरह की फिल्म मेकिंग सिखाई। मुझे फिल्म मेकिंग का हर हिस्सा पसंद आता है तो मैं भी सीखता रहा। इस दौरान मैंने पापा से बहुत सारी बातें कीं और समझीं। तो अब मैं कह सकता हूं कि मैं और पापा बहुत करीब हैं।'

तो आप पापा को बता सकते हैं कि आपकी गर्लफ्रैंड कौन हैं?
(शर्माते हुए) अब मेरी गर्लफ्रैंड कौन है या है भी या नहीं, ये मैं यहां नहीं बताना चाहता। इसलिए इस सवाल पर मैं कुछ नहीं कहूंगा।

आपको कब लगा कि मैं एक्टर बनना चाहता हूं?
मैं 4 या 5 साल का था, तब एक बार मैंने स्टार वॉर्स देखी और फिर एक-एक करके देखता ही रहा। पापा आ गए फिर भी देखता रहा। फिर जब मैं 18 साल का हुआ तो फिर मैंने एक दिन अपनी मां से कहा कि मैं एक्टर बनना चाहता हूं तो उन्होंने सबसे पहले ये ही पूछा कि 'तय कर लिया है?' क्योंकि आप जानते हो हमारे घर में ये माहौल रहा है।

उन्होंने कहा कि घर में कई बार तनाव भी रहा है। बहुत उतार-चढ़ाव आते हैं, खासकर के आलोचना का शिकार होना पड़ता है। मैं भी समझता था कि स्टारकिड होने के नाते नेपोटिज्म की बात हमारे साथ जोड़ दी जाती है। मुझे लगता है कि यह सही भी है, वरना हमें फिल्म में आने के लिए मदद मिलती ही है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमें मेहनत नहीं करना पड़ती है।

वर्ना कई स्टार किड्स लॉन्च हुए लेकिन उनके पास आज कोई फिल्म नहीं है। मां ने जब ये सब कहा तो मैंने भी उनसे कहा कि मैं समझता हूं ये सब। फिर उसी शाम पापा से बात की तो वो भी सेल ही बोले, तब जाकर पापा ने कहा कि अगर तुमने तय किया है तो ठीक है, हम तुम्हारे साथ हैं।

पापा के बारे में तो बातें होती हैं, मां से कितना क्लोज हैं आप?
मैं मम्मा बॉय हूं। अपनी हर बात मां से शेयर करता हूं। वो मुझसे ज्यादा जानती हैं। वो कहती हैं कि जिस काम में हो, उसमें अच्छा दिखना जरूरी है। इम्प्रेशन बनाओ। सोशल नेटवर्किंग साइट पर बने रहो या ये ट्रेंड है कपड़ों में तो ऐसे कपड़े पहना करो। कई बार तो मैं ये बातें सुन-सुनकर लड़ लेता हूं फिर बाद में मम्मा से दोस्ती कर लेता हूं, क्योंकि फिर लगता है कि वो सही कहती हैं।

देओल परिवार के बाकी के बेटों के बारे में भी बताएं?
मैं तो बहुत साफ बता सकता हूं कि मुझे तो मम्मा-पापा की देखभाल करनी है और मैं इसी तरह से परिवार का नाम रोशन करूं। जहां तक बात है बॉबी चाचा के बेटे आर्यमन की तो वो न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से बिजनेस मैनेजमेंट का कोर्स करने जा रहे हैं। वो एक्टिंग से अलग ही रास्ता ले रहे हैं। उनके छोटे भाई धरम तो अभी से एक्टर बनने की तैयारी करने लग गए हैं। वो दिनभर अपने कैमरे के साथ कुछ न कुछ शूट करते रहते हैं।
मुझे तो लगता है कि वो किसी भी समय फिल्मों में आ जाना चाहते हैं। फिर मेरे छोटे भाई राजवीर की बात कहूं तो उन्हें भी फिल्में पसंद हैं। मुझे लगता है कि वो भी जल्द ही फिल्मों की तैयारी में लग जाएंगे। उन्होंने थिएटर भी मुझसे ज्यादा किया है। फिल्मों को लेकर उनका नजरिया भी मुझसे काफी अलग है। मुझे उनमें एक लेखक दिखाई देता है। उनकी लेखनी बहुत अच्छी है और मैं उसे फिल्म इंडस्ट्री में एक लेखक के तौर पर देखता हूं।

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी