13 जून 2022 को जेपी दत्ता की फिल्म 'बॉर्डर' (1997) को रिलीज हुए 25 साल होंगे। इस फिल्म ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर कामयाबी की नई इबारत लिखी बल्कि कुशल निर्देशन, उम्दा अभिनय और मधुर गीत-संगीत के कारण एक शानदार युद्ध फिल्म भी साबित हुई।
जेपी दत्ता को हमेशा बड़े सितारों का साथ मिला। बॉर्डर बनाने के पहले जेपी दत्ता की यतीम (1988), बंटवारा (1989), हथियार (1989), क्षत्रिय (1993) बॉक्स ऑफिस कुछ खास नहीं कर पाई थीं, जबकि ये मल्टीस्टारर फिल्में थीं। कलाकारों का मानना था कि ये फिल्में अच्छी थीं, लेकिन जेपी दत्ता की किस्मत साथ नहीं दे रही थी। इसलिए जब जेपी दत्ता ने बॉर्डर फिल्म बनाने की सोची तो तमाम सितारे उनके साथ काम करने के लिए तैयार हो गए। बॉर्डर की कहानी जेपी दत्ता के दिल के बेहद करीब थी। यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था। सितम्बर 1995 में उन्होंने कहानी लिखना शुरू की और अप्रैल 1996 में इसे पूरा किया। 1971 में हुए बैटल ऑफ लोंगेवाला से यह प्रेरित थी। उस दौर में युद्ध आधारित फिल्में कम ही बन रही थी और ऐसे में जेपी दत्ता का यह प्रोजेक्ट रिस्की माना गया, लेकिन दत्ता अड़े रहे और यह फिल्म पूरी कर ही माने।
ढेर सारे कलाकारों ने ठुकराई बॉर्डर
कहानी लिखने के बाद जेपी दत्ता के सामने चुनौती थी कलाकारों को लेना और इंडियन आर्मी और एअरफोर्स का सहयोग लेना। बॉर्डर में सनी देओल, जैकी श्रॉफ, सुनील शेट्टी, अक्षय खन्ना, तब्बू, पूजा भट्ट, राखी, सुदेश बैरी जैसे तमाम कलाकारों की भीड़ थी। वैसे यह फिल्म संजय दत्त, जूही जावला, मनीषा कोइराला, आमिर खान, सलमान खान, शाहरुख खान, अक्षय कुमार, अजय देवगन, सैफ अली खान अरमान कोहली, संजय कपूर, आसिफ शेख जैसे सितारों को भी ऑफर की गई थी। कुछ तारीखों की समस्या के चलते नहीं कर पाए तो कुछ ने यह सोच कर मना कर दिया कि कलाकारों की भीड़ में उनका रोल गुम हो जाएगा।
मिला आर्मी और एअरफोर्स का सहयोग
कलाकारों के चयन के बाद इंडियन आर्मी और एअरफोर्स का जेपी दत्ता को सहयोग मिला। सेना की गाड़ी, राइफल्स, मशीनगन्स दी गई। उस युद्ध में जो नीतियां अपनाई गई थी उसके बारे में बताया गया। उस दौर के टैंक, हथियार और प्लेन्स के बारे में बताया गया और दिए गए ताकि फिल्म वास्तविक लगे। राजस्थान के रेगिस्तान में इसकी शूटिंग की गई। शायद बॉलीवुड में यह पहली बार हो रहा था कि युद्ध फिल्म में वास्तविकता लाने के लिए इस तरह के प्रयास किए गए हों।
मधुर गानों से बनी बात
बॉर्डर में जेपी दत्ता का प्रस्तुतिकरण उम्दा था। युद्ध की फिल्म को इमोशन के साथ उन्होंने दर्शाया जिससे फिल्म देखते समय दर्शक भावुक हो जाते हैं। सैनिकों के प्रति उनके दिल में सम्मान और बढ़ जाता है। सैनिकों की कठिनाइयां और उनके परिवार की परिस्थितियों पर आंखें नम हो जाती हैं। जेपी दत्ता की फिल्मों में आमतौर पर संगीत कमजोर पक्ष हुआ करता था, लेकिन बॉर्डर की कहानी कहने में गानों का अभूतपूर्व योगदान रहा। गानों से जिस तरह से भाव अभिव्यक्त किए गए वो अद्भुत रहे। जावेद अख्तर ने अर्थपूर्ण गीत लिखे और संगीतकार अनु मलिक ने कमाल की धुन बनाई। 'संदेशे आते हैं' (रूप कुमार राठौड़ और सोनू निगम) में सैनिकों और उनके घर वालों के बीच पत्रों से होने वाली बातों को दर्शाया गया है। माता-पिता, पत्नी-बच्चे, घर-मकान जैसी सामान्य सी बातें गीत के जरिये शानदार तरीके से कही गई हैं। 'तू चलूं' (रूप कुमार राठौड़) में एक ऐसी सैनिक की कहानी है जिसे शादी होते ही युद्ध पर जाने का फरमान मिलता है। पत्नी के प्रति उसके फर्ज है, लेकिन देश सेवा उससे भी बड़ा फर्ज है। 'मेरे दुश्मन मेरे भाई' (हरिहरन) युद्ध के खिलाफ और उससे उपजे भयावह परिणाम को बताता है। ये गीतें आंखें नम कर देते हैं। आज भी ये गीत खूब बजते हैं।
देशभक्ति से ओतप्रोत
जेपी दत्ता ने हर सैनिक की कहानी को संक्षेप में पेश किया। उनकी बहादुरी, देशप्रेम, फर्ज के प्रति जुनून को बखूबी दिखाया। फिल्म का दूसरा हाफ पूरी तरह से युद्ध को समर्पित है। परदे पर इसे इस तरह दिखाया गया मानो हम रणभूमि में ही बैठे हैं। एक-एक कर सैनिकों की मृत्यु होती जाती है, लेकिन उनके जज्बे पर रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ता।
बॉक्स ऑफिस पर मचाई धूम
फिल्म बन कर तैयार हुई तो मल्टीस्टारर और विषय के कारण यह सुर्खियों में थी। 13 जून 1997 को फिल्म प्रदर्शित हुई और बॉक्स ऑफिस पर इस मूवी ने धूम मचा दी। वर्ष 1997 की भारत में सबसे ज्यादा कलेक्शन करने वाली फिल्म बनी। फिल्म ने अपनी लागत से 7 गुना ज्यादा कलेक्शन किया। फिल्म समीक्षकों के साथ आम दर्शकों ने भी इसकी सराहना की। सनी देओल, सुनील शेट्टी और अक्षय खन्ना के अभिनय की खूब तारीफ हुई। अनु मलिक के संगीत और जावेद अख्तर के गीतों ने प्रशंसा बटोरी। जेपी दत्ता का निर्देशन बढ़िया रहा।
3 राष्ट्रीय और 4 फिल्मफेअर पुरस्कार
फिल्मफेअर अवॉर्ड्स में 11 श्रेणियों में नामांकन हुआ और 4 में पुरस्कार मिले। 3 राष्ट्रीय पुरस्कार मिले। इसके अलावा कई पुरस्कार फिल्म को मिले। बॉर्डर की ऐतिहासिक सफलता के बाद देशभक्ति आधारित फिल्में ज्यादा बनने लगीं। लेकिन, बॉर्डर जैसी कामयाबी बहुत कम फिल्मों को मिल पाई।