राज कपूर द्वारा निर्देशित फिल्म 'संगम' 1964 में रिलीज हुई थी और इसे बनने में काफी समय लगा था। तब बॉलीवुड में राज कपूर, दिलीप कुमार और देव आनंद की तिकड़ी छाई हुई थी, जैसी कि वर्तमान में सलमान खान, शाहरुख खान और आमिर खान की छाई हुई है। दिलीप, राज और देव में आपस में प्रतिद्वंद्विता भी थी, लेकिन इसमें कोई कड़वाहट नहीं थी। अलबत्ता उनके फैंस आपस में लड़ते रहते थे और अपने प्रिय सितारे को बेहतर बताने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे।
राज कपूर ने जब संगम बनाने का फैसला लिया तो इसमें दो हीरो और एक हीरोइन की जरूरत महसूस हुई। राज कपूर खुद एक रोल करना चाहते थे और दूसरे रोल के लिए दिलीप कुमार को लेना चाहते थे। दिलीप और राज इसके पहले अंदाज नामक फिल्म साथ कर चुके थे।
दिलीप कुमार को जब राज कपूर साइन करने के लिए गए तो स्क्रिप्ट और एक ब्लैंक चेक साथ ले गए। उन्होंने दिलीप कुमार को कहा कि तुम्हें जो रोल पसंद हो उसके लिए हां कह दो और चेक में जितना रूपया चाहते हो उतने लिख लो और यह फिल्म कर लो।
दिलीप कुमार को स्क्रिप्ट पसंद भी आई, लेकिन उन्होंने फिल्म करने से इंकार कर दिया। कहा कि यदि वे यह फिल्म करेंगे तो उनके और राज कपूर के फैंस आपस में लड़ेंगे और इसका असर उनके संबंधों पर भी आ सकता है।
वैसे, दूसरी कहानी यह भी है कि दिलीप कुमार ने राज कपूर के आगे शर्त रख दी कि वे फिल्म की फाइनल एडिटिंग करेंगे जिससे राज कपूर ने इंकार कर दिया।
दिलीप कुमार के इंकार के बाद राज कपूर ने देव आनंद को फिल्म ऑफर की, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया। बंगाली फिल्मों के स्टार उत्तम कुमार को भी लेने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बन पाई। आखिर में राजेन्द्र कुमार इस फिल्म में राज कपूर के साथ नजर आएं।
हीरोइन के रूप में वैजयंतीमाला पहली पसंद नहीं थी। राज कपूर ने नरगिस को लेना चाहा था, लेकिन उन्होंने फिल्म करने से मना कर दिया।
बहरहाल, संगम रिलीज हुई और लागत से आठ गुना से भी ज्यादा का व्यवसाय किया। उस दौर में फिल्म ने आठ करोड़ रुपये का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन किया जो आज के दौर में लगभग 700 करोड़ रुपये होता।