स्क्रिप्ट की माँग हुई, तो ही मैं अंग प्रदर्शन करूँगी

किसी और के लिखे डायलॉग बोलना फिल्मी सितारों की आदत में शुमार हो जाता है। इस आदत का साइड इफेक्ट अक्सर यह होता है कि असल जिंदगी में भी वे मौलिक डायलॉग नहीं मार पाते और पिटे-पिटाए वाक्य बोल देते हैं।

सितारों के इंटरव्यू पढ़ने-सुनने के आदी फिल्मी दीवानों को इनके ये रियल लाइफ डायलॉग भी रट गए हैं। यही नहीं, वे यह भी जान गए हैं कि असल जीवन में जब कोई सितारा कोई चिर-परिचित बयान दे, तो उसका वह अर्थ नहीं होता जो सीधे-सीधे लगता है। कुछ बातें कहने की होती हैं और कुछ बातें समझने की।

सितारे जानते हैं कि असल जिंदगी में जिन डायलॉग को बोलने का उन्हें विशेषाधिकार प्राप्त है, उनका वास्तविक अर्थ उनके चाहने वाले भी समझते हैं। शायद यह भी एक कारण है कि वे कोई नया डायलॉग सोचने की जहमत नहीं उठाते। यूँ भी फॉर्मूलों की मारी इंडस्ट्री में सितारे फॉर्मूलों में बँधे बयान दें, तो उन्हें दोष देना उचित नहीं लगता।

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अब यही डायलॉग लीजिए कि 'हम तो बस अच्छे दोस्त हैं!' जब भी दो सितारों के बीच कुछ खिचड़ी पकने की बातें उड़ने लगती हैं, तो उनके लिए यह डायलॉग बोलना अनिवार्य हो जाता है। सैफ-करीना की तरह 'खुल्लम-खुल्ला प्यार करेंगे हम दोनों' की नीति पर अमल करने वाले सितारे कम ही होते हैं, पहले तो बिलकुल भी नहीं होते थे। अतः यह दोस्ती वाला बयान बरसों से इंडस्ट्री में जमकर घीसा गया है।

हाल के समय में प्रियंका चोपड़ा और शाहिद कपूर ने इस वाक्य का सदुपयोग किया था। इन दिनों प्रतीक और एमी जैक्सन इसे दोहरा रहे हैं। रानी मुखर्जी और आदित्य चोपड़ा की भी इस वाक्य में अगाध श्रद्धा रही है।

ऐसा ही एक और वाक्य है,'स्क्रिप्ट की माँग हुई, तो ही मैं अंग प्रदर्शन करूँगी।' हिन्दी फिल्मों में हीरोइनें लंबे समय तक प्रदर्शन की वस्तु ही रही हैं। ऐसे में हर हीरोइन के लिए यह जताना जरूरी रहता है कि वह उनमें से नहीं है जो रोल पाने की खातिर अपने बदन की नुमाइश करे। लिहाजा 'स्क्रिप्ट की माँग' का जुमला उछाला जाता है।

यह और बात है कि यह स्क्रिप्ट मुई बार-बार माँग करती है और बहुत माँग करती है! आम तौर पर यह डायलॉग नवागंतुक हीरोइनें ही ज्यादा बोलती पाई जाती हैं लेकिन कई बार ऐसी हीरोइनें भी इसे आजमा लेती हैं जिनके करियर पर ब्रेक लग चला है और अब वे काम पाने की खातिर 'समझौते' करने को तैयार हैं। जाहिर है, ये समझौते स्क्रिप्ट का सम्मान करने के नाम पर किए जाते हैं।

एक वाक्य आजकल कई सितारों के श्रीमुख से सुनने को मिलता है और वह है 'मेरे पास ऑफर तो बहुत आ रहे हैं लेकिन फिलहाल मैं स्क्रिप्ट्‌स पढ़ने में व्यस्त हूँ। कोई अच्छा ऑफर आया तो जरूर काम करूँगा/करूँगी।' मतलब यह कि हमें काम देने के लिए मरे जाने वालों की तो कोई कमी नहीं है, यह तो हम ही हैं जो फिलहाल अपनी इच्छा से बेरोजगार बैठे हैं...।'

जिन सितारों या सितारा स्टेटस के आकांक्षियों को और कोई व्यस्तता नहीं है, वे स्क्रिप्ट पढ़ने में व्यस्त होने का हवाला देते नहीं थकते। इनमें पैर जमाने के लिए तरस रहे न्यूकमर भी होते हैं और घर-गृहस्थी जमाने के बाद वापसी के लिए प्रयासरत पूर्व हीरोइनें भी।

जब कोई फिल्म रिलीज होने को होती है, तो उससे जुड़े सितारे मानो सर्वव्यापी हो जाते हैं। चारों ओर फैलकर वे न केवल फिल्म का गुणगान करते हैं, बल्कि यह भी बताते फिरते हैं कि इसकी शूटिंग के दौरान उन्होंने कितना बेहतरीन समय गुजारा और अपने साथी कलाकारों के साथ काम करते हुए उन्हें कितना मजा आया।

बहुत संभव है कि किसी साथी कलाकार के साथ आपकी पटरी जरा भी नहीं जमी हो, उसके रोल को लेकर आप ईर्ष्या से जले जा रहे हों, उसके सामने प्रकट होते ही आपके मन में ऐसे-ऐसे शब्द उछल पड़ते हों जो फिल्म के डायलॉग में हों तो 'ब्लीप' करने पड़ें लेकिन जनाब, आप कहेंगे यही कि ओह! उसके साथ काम करने में बहुत मजा आया!

इन दिनों फिट रहना फिल्मी सितारों के लिए भी उतना ही जरूरी हो गया है जितना कि खिलाड़ियों के लिए। क्या हीरो, क्या हीरोइन, जिसे देखो चुस्त-दुरुस्त नजर आने को तत्पर रहता है। जाने कब स्क्रिप्ट माँग कर बैठे और उन्हें अपनी फिटनेस की नुमाइश करनी पड़ जाए! तो जीरो फिगर/सिक्स पैक्स/कसरती बदन पाने की चाह में सितारे प्रकृति के दिए हुए समय और खुद बटोरे गए पैसे का खासा बड़ा हिस्सा खर्च करते हैं।

हाँ, जब इस बारे में कोई पूछता है कि आप ऐसे दिखने के लिए क्या करते हैं, तो उनके जवाब दो टाइप के होते हैं। एक तो यह कि 'अरे! मैं कोई खास एक्सरसाइज-वेक्सरसाइज नहीं करती/करता। न ही खाने-पीने में कोई परहेज करती-करता हूँ। मुझ पर तो मेरे जीन्स की कृपा है कि मेरा शरीर यूँ ही फिट एंड फाइन रह लेता है!'

इसके विपरीत दूसरी प्रतिक्रिया यह भी हो सकती है कि 'मैं करेले/लौकी का ज्यूस पीती/पीता हूँ, उबली सब्जियाँ ही खाती/खाता हूँ, पंद्रह गिलास पानी पीती/पीता हूँ, जंक फूड को छूती/छूता तक नहीं, सुबह इतने घंटे जिम में और शाम को इतने घंटे टेनिस/स्क्वॉश कोर्ट/ स्विमिंग पूल में गुजारती-गुजारता हूँ।' इनके बयानों में 'प्रोटीन शेक', 'एंटी ऑक्सीडेंट', 'प्रो-बायोटिक' आदि जैसे शब्दों की भरमार होती है, जिनके अर्थ ये और इनके फैन भले ही न जानते हों लेकिन इनसे इम्प्रेशन अच्छा पड़ता है...।

आखिर शो-बिजनेस बहुत हद तक इम्प्रेशन के दम पर ही चलता है। सो सितारे इम्प्रेशन की खातिर, अपनी इमेज की खातिर, अपने टशन की खातिर और कई बार अपनी मजबुरियों की खातिर इस तरह के डायलॉग रियल लाइफ में मारते रहते हैं।

- अविनाश शास्त्री

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