दिवंगत राजनेता जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके के कुछ नेताओं ने इस फिल्म के कुछ सीन्स पर आपत्ति जताई है। एआईएडीएमके के नेता डी. जयकुमार का कहना है कि फिल्म में कुछ फैक्ट्स गलत दिखा गए हैं। उन्होंने कहा, यह फिल्म काफी अच्छी तरीके से बनाई गई है। अगर कुछ सीन को डिलीट कर दिया जाए, तो यह बड़ी हिट साबित होगी।
फिल्म देखने के बाद डी जयकुमार ने कहा, फिल्म में एमजीआर और जयललिता के बारे में दिखाए गए कुछ सीन्स वास्तविक नहीं हैं। इन सीन्स को छोड़कर यह फिल्म अच्छी बनी है, जिसके लिए काफी मेहनत की गई है और इसे पार्टी समर्थकों और आम आदमी की अच्छी प्रतिक्रिया मिलेगी।
जयकुमार ने कहा, एक सीन में रामचंद्रन (एमजीआर) को पहली द्रमुक सरकार में मंत्री पद मांगते हुए दिखाया गया है और इससे दिवंगत एम करूणानिधि इनकार करते दिखाए गए हैं। एमजीआर ने कभी इस तरह का पद नही मांगा। एमजीआर उस वक्त द्रमुक में थे, जिसने अपने संस्थापक दिवंगत सी.एन. अन्नादुरई के नेतृत्व में 1967 के चुनाव में कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर स्वतंत्र भारत में किसी राज्य के शासन की बागडोर संभालने वाला पहला क्षेत्रीय राजनीतिक दल बन गया था।
जयकुमार ने कहा, फिल्म में दिखाया गया है कि रामचंद्रन ने अन्नादुरई की मृत्यु के बाद मंत्री पद की मांग की थी, जब करूणानिधि ने शासन की बागडोर संभाली थी, लेकिन यह सच नहीं है। उन्होंने दावा किया कि वह एमजीआर ही थे जिन्होंने अन्नादुरई की मृत्यु के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए करूणानिधि की दावेदारी का प्रस्ताव किया था। बेहतर होगा कि दृश्य हटा दिया जाए।
उन्होंने कहा कि एक सीन में दावा किया गया है कि जयललिता, एमजीआर की जानकारी के बगैर दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के संपर्क में थीं, जिससे यह प्रदर्शित होता है कि वह रामचंद्रन के खिलाफ जा रही थीं। वहीं, एक अन्य दृश्य में यह दिखाया गया है कि रामचंद्रन उन्हें महत्व नहीं दे रहे हैं जो कि सच नहीं है। इसलिए इन दृश्यों को हटा देना चाहिए।