शादाब खान ने बताया कि जिस दिन उनका जन्म हुआ था, उसी दिन उनके पिता अमजद खान को फिल्म शोले मिली थी। शादाब ने कहा, जिस दिन मैं पैदा हुआ था उस दिन उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वो हमें हॉस्पिटल से डिस्चार्ज करवा सकें।
उन्होंने कहा, ये देखकर मां रोने लगी थीं। मेरे पिता अस्पताल नहीं आ रहे थे, उन्हें अपना चेहरा दिखाने में शर्म महसूस हो रही थी। चेतन आनंद ने पापा को इतना परेशान देखा तब उन्होंने पापा को 400 रुपए दिए ताकी मैं और मां अस्पताल से डिस्चार्ज हो सकें।
शादाब ने यह भी बताया कि जब शोले में गब्बर सिंह का रोल मेरे पिता को मिला, तो सलीम खान साहब ने उनके नाम की सिफारिश रमेश सिप्पी से की थी। बैंगलोर के बाहरी इलाके रामगढ़ में शोले को शूट किया जाना था। प्लेन ने उड़ान भरी, लेकिन उस दिन इतना टरब्यूलेंस था कि उसे 7 बार लैंड करना पड़ा।
उन्होंने बताया, उसके बाद जब प्लेन रनवे पर रुका, तो ज्यादातर लोग बाहर निकल गए, लेकिन मेरे पिताजी नहीं गए। उन्हें डर था कि अगर उन्होंने ये फिल्म नहीं की, तो वो डैनी साब (डैनी डेन्जोंगपा) के पास चली जाएगी इसलिए वो प्लेन से नहीं उतरे और फिर कुछ देर बाद सफर के लिए निकल गए।
बता दें कि अमजद का जुलाई 1992 में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। तब वह 51 वर्ष के थे। अमजद के तीन बच्चे शादाब, अहलम खान और सीमाब खान हैं। उन्होंने कई यादगार फिल्मों में काम किया लेकिन लोग आज भी उन्हें 'शोले' के गब्बर के रूप में याद करते हैं।