महजबी ने लिखा, मैं ये इसलिए लिख रही हूं क्योंकि मैं पिछले दो साल से बहुत परेशान थी। मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि मैं ऐसा क्या करूं, जिससे मुझे सुकून मिले। इंसान जब गुनाह करता है तो उस गुनाह की लज्जत थोड़ी देर में खत्म हो जाती है लेकिन उसका गुनाह कयामत तक रहता है।
उन्होने लिखा, मैंने महसूस किया है कि मैं अपनी असल जिंदगी को भूलकर दुनिया की दिखावे वाली जिंदगी जी रही थी। अल्लाह की नाफरमानी करके इंसान को कभी सुकून नहीं मिल सकता। आप चाहें लोगों को खुश करने के लिए कितना भी अच्छा कर लो और चाहें कितना भी वक्त दे दो, लोग आपकी कभी कद्र नहीं करेंगे। इससे बेहतर है कि आप अपना वक्त अल्लाह को खुश (राजी) करने में लगाएं, जिससे मेरी और आपकी आखिरत बेहतर हो जाए।
महजबी ने सना खान का जिक्र करते हुए लिखा, मैं सना खान बहन को 1 साल से फॉलो कर रही थी। मुझे उनकी बातें बहुत अच्छी लगती थीं। उन्हें देखकर मेरे अंदर बयान सुनने का शौक जागा। मुझे अल्लाह से तौबा करके जो सुकून मिला वो मैं लफ्जों में बयां नहीं कर सकती, जो सुकून ढूंढ रही थी वो मुझे नमाज यानी अल्लाह की इबादत करके मिला।