फिल्म निर्देशक सत्यजीत रे की भतीजी रूमा ने 60 से अधिक फिल्मों में काम किया। उनकी ज्यादातर फिल्मों का निर्माण सत्यजीत रे, तपन सिन्हा, तरुण मजूमदार, राजन तरफदार, अर्पणा सेन और मीरा नायर जैसे प्रख्यात निर्देशकों ने किया।
रूमा की यादगार फिल्में गंगा (1959), अभिजान (1962), पालातक (1963), एंटनी फिरंगी (1967), बालिका बधू (1967), दादर कीर्ति (1980), 36 चौरंगीलेन (1981) है। रूमा ने कई हिन्दी फिल्मों में भी काम किया जिनमें ज्वार भाटा (1944), मशाल (1950), अफसर (1950), प्रमुख हैं। ज्वार भाटा रूमा की पहली और नेमसेक आखिरी फिल्म थी।
रूमा ने कई फिल्मों के लिए उन्होंने पार्श्व गायन भी किया। वर्ष 1958 में रूमा ने गीत और नृत्य समूह 'कलकत्ता यूथ कोयर' की स्थापना भी की। इस समूह के लोकप्रिय लोक गीतों में 'आज जोतो जुद्धबाज', 'भारतबरषो सुरजेर एक नाम', 'ओ गंगा बोइचो केनो' और 'वक्त की आवाज' आदि प्रमुख हैं।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रूमा के निधन पर शोक तथा उनके परिजनों के प्रति संवेदना जाहिर की है। ममता ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा, रूमा गुहा ठाकुरता के निधन से दुखी हूं। सिनेमा और संगीत की दुनिया में उनका योगदान अविस्मरणीय है। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मैं संवेदना जाहिर करती हूं।